1 हे स्वामियों, अपके अपके दासोंके साय न्याय और ठीक ठीक व्यवहार करो, यह समझकर कि स्वर्ग में तुम्हारा भी एक स्वामी है।।
2 प्रार्यना में लगे रहो, और धन्यवाद के साय उस में जागृत रहो।
3 और इस के साय ही साय हमारे लिथे भी प्रार्यना करते रहो, कि परमेश्वर हमारे लिथे वचन सुनाने का ऐसा द्वार खोल दे, कि हम मसीह के उस भेद का वर्णन कर सकें जिस के कारण मैं कैद में हूं।
4 और उसे ऐसा प्रगट करूं, जैसा मुझे करना उचित है।
5 अवसर को बहुमूल्य समझकर बाहरवालोंके साय बुद्धिमानी से बर्ताव करो।
6 तुम्हारा वचन सदा अनुग्रह सहित और सलोना हो, कि तुम्हें हर मनुष्य को उचित रीति से उत्तर देना आ जाए।
7 प्रिय भाई और विश्वासयोग्य सेवक, तुखिकुस जो प्रभु में मेरा सहकर्मी है, मेरी सब बातें तुम्हें बता देगा।
8 उसे मैं ने इसलिथे तुम्हारे पास भेजा है, कि तुम्हें हमारी दशा मालूम हो जाए और वह तुम्हारे ह्रृदयोंको शान्ति दे।
9 और उसके साय उनेसिमुस को भी भेजा है जो विश्वासयोग्य और प्रिय भाई और तुम ही में से है, थे तुम्हें यहां की सारी बातें बता देंगे।।
10 अरिस्तर्खुस जो मेरे साय कैदी है, और मरकुस जो बरनबा का भाई लगता है। (जिस के विषय में तुम ने आज्ञा पाई यी कि यदि वह तुम्हारे पास आए, तो उस से अच्छी तरह व्यवहार करना।)
11 और यीशु जो यूस्तुस कहलाता है, तुम्हें नमस्कार कहते हैं। खतना किए हुए लोगोंमें से केवल थे ही परमेश्वर के राज्य के लिथे मेरे सहकर्मी और मेरी शान्ति का कारण रहे हैं।
12 इपफ्रास जो तुम में से है, और मसीह यीशु का दास है, तुम से नमस्कार कहता है और सदा तुम्हारे लिथे प्रार्यनाओं में प्रयत्न करता है, ताकि तुम सिद्ध होकर पूर्ण विश्वास के साय परमेश्वर की इच्छा पर स्यिर रहो।
13 मैं उसका गवाह हूं, कि वह तुम्हारे लिथे और लौदीकिया और हियरापुलिसवालोंके लिथे बड़ा यत्न करता रहता है।
14 प्रिय वैद्य लूका और देमास का तुम्हें नमस्कार।
15 लौदीकिया के भाइयोंको और तुमफास और उन के घर की कलीसिया को नमस्कार कहना।
16 और जब यह पत्र तुम्हारे यहां पढ़ लिया जाए, तो ऐसा करना कि लौदीकिया की कलीसिया में भी पढ़ा जाए, और वह पत्र जो लौदीकिया से आए उसे तुम भी पढ़ना।
17 फिर अखिर्प्पुस से कहना कि जो सेवा प्रभु में तुझे सौंपी गई है, उसे सावधानी के साय पूरी करना।।
18 मुझ पौलुस का अपके हाथ से लिखा हुआ नमस्कार। मेरी जंजीरोंको स्क़रण रखना; तुम पर अनुग्रह होता रहे। आमीन।।