1 इस कारण चाहिए, कि हम उन बातोंपर जो हम ने सुनी हैं और भी मन लगाएं, ऐसा न हो कि बहकर उन से दूर चले जाएं।
2 क्योंकि जो वचन स्वर्गदूतोंके द्वारा कहा गया या जब वह स्यिर रहा ओर हर एक अपराध और आज्ञा न मानने का ठीक ठीक बदला मिला।
3 तो हम लोग ऐसे बड़े उद्धार से निश्चिन्त रहकर क्योंकर बच सकते हैं जिस की चर्चा पहिले पहिल प्रभु के द्वारा हुई, और सुननेवालोंके द्वारा हमें निश्चय हुआ।
4 और साय ही परमेश्वर भी अपक्की इच्छा के अनुसार चिन्हों, और अद्भुत कामों, और नाना प्रकार के सामर्य के कामों, और पवित्र आत्क़ा के वरदानोंके बांटने के द्वारा इस की गवाही देता रहा।।
5 उस ने उस आनेवाले जगत को जिस की चर्चा हम कर रहे हैं, स्वर्गदूतोंके आधीन न किया।
6 बरन किसी ने कहीं, यह गवाही दी है, कि मनुष्य क्या हैं, कि तू उस की सुधि लेता है या मनुष्य का पुत्र क्या है, कि तू उस पर दृष्टि करता है
7 तू ने उसे स्वर्गदूतोंसे कुछ ही कम किया; तू ने उस पर महिमा और आदर का मुकुट रखा और उसे अपके हाथोंके कामोंपर अधिक्कारने दिया।
8 तू ने सब कुछ उसके पांवोंके नीचे कर दिया: इसलिथे जब कि उस ने सब कुछ उसके आधीन कर दिया, तो उस ने कुछ भी रख न छोड़ा, जो उसके आधीन न हो : पर हम अब तक सब कुछ उसके आधीन नहीं देखते।
9 पर हम को यीशु जो स्वर्गदूतोंसे कुछ ही कम किया गया या, मृत्यु का दुख उठाने के कारण महिमा और आदर का मुकुट पहिने हुए देखते हैं; ताकि परमेश्वर के अनुग्रह से हर एक मनुष्य के लिथे मृत्यु का स्वाद चखे।
10 क्योंकि जिस के लिथे सब कुछ है, और जिस के द्वारा सब कुछ है, उसे यही अच्छा लगा कि जब वह बहुत से पुत्रोंको महिमा में पहुंचाए, तो उन के उद्धार के कर्ता को दुख उठाने के द्वारा सिद्ध करे।
11 क्योंकि पवित्र करनेवाला और जो पवित्र किए जाते हैं, सब एक ही मूल से हैं: इसी कारण वह उन्हें भाई कहने से नहीं लजाता।
12 पर कहता है, कि मैं तेरा नाम अपके भाइयोंको सुनाऊंगा, सभा के बीच में मैं तेरा भजन गाऊंगा।
13 और फिर यह, कि मैं उस पर भरोसा रखूंगा; और फिर यह कि देख, मैं उन लड़कोंसहित जिसे परमेश्वर ने मुझे दिए।
14 इसलिथे जब कि लड़के मांस और लोहू के भागी हैं, तो वह आप भी उन के समान उन का सहभागी हो गया; ताकि मृत्यु के द्वारा उसे जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली यी, अर्यात् शैतान को निकम्मा कर दे।
15 और जितने मृत्यु के भय के मारे जीवन भर दासत्व में फंसे थे, उन्हें छुड़ा ले।
16 क्योंकि वह तो स्वर्गदूतोंको नहीं बरन इब्राहीम के वंश को संभालता है।
17 इस कारण उसको चाहिए या, कि सब बातोंमें अपके भाइयोंके समान बने; जिस से वह उन बातोंमें जो परमेश्वर से सम्बन्ध रखती हैं, एक दयालु और विश्वासयोग्य महाथाजक बने ताकि लोगोंके पापोंके लिथे प्रायश्चित्त करे।
18 क्योंकि जब उस ने पक्कीझा की दशा में दुख उठाया, तो वह उन की भी सहाथता कर सकता है, जिन की पक्कीझा होती है।।