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तीतुस - Chapter 3

1 लोगोंको सुधि दिला, कि हाकिमोंऔर अधिक्कारनेियोंके आधीन रहें, और उन की आज्ञा मानें, और हर एक अच्‍छे काम के लिथे तैयार रह। 
2 किसी को बदनाम न करें; फगडालू न हों: पर कोमल स्‍वभाव के हों, और सब मनुष्योंके साय बड़ी नम्रता के साय रहें। 
3 क्‍योंकि हम भी पहिले, निर्बुद्धि, और आज्ञा न माननेवाले, और भ्रम में पके हुए, और रंग रंग के अभिलाषाओं और सुखविलास के दासत्‍व में थे, और बैरभाव, और डाह करने में जीवन निर्वाह करते थे, और घृणित थे, और एक दूसरे से बैर रखते थे। 
4 पर जब हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर की कृपा, और मनुष्योंपर उसकी प्रीति प्रगट हुई। 
5 तो उस ने हमारा उद्धार किया: और यह धर्म के कामोंके कारण नहीं, जो हम ने आप किए, पर अपक्की दया के अनुसार, नए जन्क़ के स्‍नान, और पवित्र आत्क़ा के हमें नया बनाने के द्वारा हुआ। 
6 जिसे उस ने हमारे उद्धारकर्ता यीशु मसीह के द्वारा हम पर अधिकाई से उंडेला। 
7 जिस से हम उसके अनुग्रह से धर्मी ठहरकर, अनन्‍त जीवन की आशा के अनुसार वारिस बनें। 
8 यह बात सच है, और मैं चाहता हूं, कि तू इन बातोंके विषय में दृढ़ता से बोले इसलिथे कि जिन्‍होंने परमेश्वर की प्रतीति की है, वे भले-भले कामोंमे लगे रहते का ध्यान रखें: थे बातें भली, और मनुष्योंके लाभ की हैं। 
9 पर मूर्खता के विवादों, और वंशावलियों, और बैर विरोध, और उन फगड़ोंसे, जो व्यवस्या के विषय में होंबचा रह; क्‍योंकि वे निष्‍फल और व्यर्य हैं। 
10 किसी पाखंडी को एक दो बार समझा बुफाकर उस से अलग रह। 
11 यह जानकर कि ऐसा मनुष्य भटक गया है, और अपके आप को दोषी ठहराकर पाप करता रहता है।। 
12 जब मैं तेरे पास अरितमास या तुखिकुस को भेजूं, तो मेरे पास नीकुपुलिस आने का यत्‍न करना: क्‍योंकि मैं ने वहीं जाड़ा काटने की ठानी है। 
13 जेनास व्यवस्यापक और अपुल्लोस को यत्‍न करके आगे पहुंचा दे, और देख, कि उन्‍हें किसी वस्‍तु की घटी न होने पाए। 
14 और हमारे लोग भी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिथे अच्‍छे कामोंमें लगे रहना सीखें ताकि निष्‍फल न रहें।। 
15 मेरे सब सायियोंका तुझे नमस्‍कार और जो विश्वास के कारण हम से प्रीति रखते हैं, उन को नमस्‍कार।। तुम सब पर अनुग्रह होता रहे।।