1 जब सातवां महीना आया, और इस्राएली अपके अपके नगर में बस गए, तो लोग यरूशलेम में एक मन होकर इकट्ठे हुए।
2 तब योसादाक के पुत्र थेशू ने अपके भाई याजकोंसमेत और शालतीएल के पुत्र जरूब्बाबेल ने अपके भाइयोंसमेत कमर बान्धकर इस्राएल के परमेश्वर की वेदी को बनाया कि उस पर होमबलि चढ़ाएं, जैसे कि परमेश्वर के भक्त मूसा की व्यवस्या में लिखा है।
3 तब उन्होंने वेदी को उसके स्यान पर खड़ा किया क्योंकि उन्हें उस ओर के देशोंके लोगोंका भय रहा, और वे उस पर यहोवा के लिथे होमबलि अर्यात् प्रतिदिन सबेरे और सांफ के होमबलि चढ़ाने लगे।
4 और उन्होंने फोपडिय़ोंके पर्व को माना, जैसे कि लिखा है, और प्रतिदिन के होमबलि एक एक दिन की गिनती और नियम के अनुसार चढ़ाए।
5 और उसके बाद नित्य होमबलि और नथे नथे चान्द और यहोवा के पवित्र किए हुए सब नियत पवॉं के बलि और अपक्की अपक्की इच्छा से यहोवा के लिथे सब स्वेच्छाबलि हर एक के लिथे बलि चढ़ाए।
6 सातवें महीने के पहिले दिन से वे यहोवा को होमबलि चढ़ाने लगे। परन्तु यहोवा के मन्दिर की नेव तब तक न डाली गई यी।
7 तब उन्होंने पत्य्र गढ़नेवालोंऔर कारीगरोंको रुपया, और सीदोनी और सोरी लोगोंको खने-पीने की वस्तुएं और तेल दिया, कि वे फारस के राजा कुस्रू के पत्र के अनुसार देवदार की लकड़ी लबानोन से जापा के पास के समुद्र में पहुंचाएं।
8 उनके परमेश्वर के भवन में, जो यरूशलेम में है, अपके के दूसरे वर्ष के दूसरे महीने में, शालतीएल के पुत्र जरुब्बाबेल ने और योसादाक के पुत्र थेशू ने और उनके और भाइयोंने जो याजक और लेवीय थे, और जितने बन्धुआई से यरूशलेम में आए थे उन्होंने भी काम को आरम्भ किया, और बीस वर्ष अयवा उससे अधिक अवस्या के लेवियोंको यहोवा के भवन का काम चलाने के लिथे नियुक्त किया।
9 तो सेशू और उसके बेटे और भाई और कदमीएल और उसके बेटे, जो यहूदा की सन्तान थे, और हेनादाद कीं सन्तान और उनके बेटे परमेश्वर के भवन में कारीगरोंका काम चलाने को खड़े हुए।
10 और जब राजोंने यहोवा के मन्दिर की नेव डाली तब अपके वस्त्र पहिने हुए, और तुरहियां लिथे हुए याजक, और फांफ लिथे हुए आसाप के वंश के लेवीय इसलिथे नियुक्त किए गए कि इस्राएलियोंके राजा दाऊद की चलाई हुई रीति के अनुसार यहोवा की स्तुति करें।
11 सो वे यह गा गाकर यहोवा की स्तुति और धन्यवाद करने लगे, कि वह भला है, और उसकी करुणा इस्राएल पर सदैव बनी है। और जब वे यहोवा की स्तुति करने लगे तब सब लोगोंने यह जानकर कि यहोवा के भवन की नेब अब पड़ रही है, ऊंचे शब्द से जय जयकार किया।
12 परन्तु बहुतेरे याजक और लेवीय और पूर्वजोंके घरानोंके मुख्य पुरुष, अर्यात् वे बूढ़े जिन्होंने पहिला भवन देखा या, जब इस भवन की नेव उनकी आंखोंके साम्हने पक्की तब फूट फूटकर रोने लगे, और बहुतेरे आनन्द के मारे ऊंचे शब्द से जय जयकार कर रहे थे।
13 इसलिथे लोग, आनन्द के जय जयकार का शब्द, लोगोंके रोने के शब्द से अलग पहिचान न सके, क्योंकि लोग ऊंचे शब्द से जय जयकार कर रहे थे, और वह शब्द दूर तक सुनाई देता या।