1 श्ग्ियोनीत की रीति पर हबक्कूक नबी की प्रार्यना।।
2 हे यहोवा, मैं तेरी कीत्तिर् सुनकर डर गया। हे यहोवा, वर्तमान युग में अपके काम को पूरा कर; इसी युग में तू उसको प्रकट कर; क्रोध करते हुए भी दया करना स्मरण कर।।
3 ईश्वर तेमान से आया, पवित्र ईश्वर परान पर्वत से आ रहा है। उसका तेज आकाश पर छाया हुआ है, और पृय्वी उसकी स्तुति से परिपूर्ण हो गई है।।
4 उसकी ज्योति सूर्य के तुल्य यी, उसके हाथ से किरणे निकल रही यीं; और इन में उसका सामर्य छिपा हुआ या।
5 उसके आगे आगे मरी फैलती गई, और उसके पांवोंसे महाज्वर निकलता गया।
6 वह खड़ा होकर पृय्वी को नाप रहा या; उस ने देखा और जाति जाति के लोग घबरा गए; तब सनातन पर्वत चकनाचूर हो गए, और सनातन की पहाडिय़ां फुक गई उसकी गति अनन्त काल से एक सी है।
7 मुझे कूशान के तम्बू में रहनेवाले दु:ख से दबे दिखाई पके; और मिद्यान देश के डेरे डगमगा गए।
8 हे यहोवा, क्या तू नदियोंपर रिसियाया या? क्या तेरा क्रोध नदियोंपर भड़का या, अयवा क्या तेरी जलजलाहट समुद्र पर भड़की यी, जब तू अपके घोड़ोंपर और उद्धार करनेवाले विजयी रयोंपर चढ़कर आ रहा या?
9 तेरा धनुष खोल में से निकल गया, तेरे दण्ड का वचन शाप के साय हुआ या। तू ने धरती को नदियोंसे चीर डाला।
10 पहाड़ तुझे देखकर कांप उठे; आंधी और जलप्रलय निकल गए; गहिरा सागर बोल उठा और अपके हाथोंअर्यात् लहरोंको ऊपर उठाया।
11 तेरे उड़नेवाले तीरोंके चलने की जयोति से, और तेरे चमकीले भाले की फलक के प्रकाश से सूर्य और चन्द्रमा अपके अपके स्यान पर ठहर गए।।
12 तू क्रोध में आकर पृय्वी पर चल निकला, तू ने जाति जाति को क्रोध से नाश किया।
13 तू अपक्की प्रजा के उद्धार के लिथे निकला, हां, अपके अभिषिक्त के संग होकर उद्धार के लिथे निकला। तू ने दुष्ट के घर के सिर को घायल करके उसे गल से नेव तक नंगा कर दिया।
14 तू ने उसके योद्धाओं के सिक्कों उसी की बर्छी से छेदा है, वे मुझ को तितर-बितर करने के लिथे बवंडर की आंधी की नाईं आए, और दीन लोगोंको घात लगाकर मार डालने की आशा से आनन्दित थे।
15 तू अपके घोड़ोंपर सवार होकर समुद्र से हां, जलप्रलय से पार हो गया।।
16 यह सब सुनते ही मेरा कलेजा कांप उठा, मेरे ओंठ यरयराने लगे; मेरी हड्डियां सड़ने लगीं, और मैं खड़े खड़े कांपके लगा। मैं शान्ति से उस दिन की बाट जोहता रहूंगा जब दल बांधकर प्रजा चढ़ाई करे।।
17 क्योंकि चाहे अंजीर के वृझोंमें फूल न लगें, और न दाखलताओं में फल लगें, जलपाई के वृझ से केवल धोखा पाया जाए और खेतोंमें अन्न न उपके, भेड़शालाओं में भेड़-बकरियां न रहें, और न यानोंमें गाय बैल हों,
18 तौभी मैं यहोवा के कारण आनन्दित और मगन रहूंगा, और अपके उद्धारकर्त्ता परमेश्वर के द्वारा अति प्रसन्न रहूंगा।।
19 यहोवा परमेश्वर मेरा बलमूल है, वह मेरे पांव हरिणोंके समान बना देता है, वह मुझ को मेरे ऊंचे स्यानोंपर चलाता है।।