1 क्योंकि सुनो, जिन दिनोंमें और जिस समय मैं यहूदा और यरूशलेम वासिक्कों बंधुआई से लौटा ले आऊंगा,
2 उस समय मैं सब जातियोंको इकट्ठी करके यहोशपात की तराई में ले जाऊंगा, और वहां उनके साय अपक्की प्रजा अर्यात् अपके निज भाग इस्राएल के विषय में जिसे उन्होंने अन्यजातियोंमें तितर-बितर करके मेरे देश को बांट लिया है, उन से मुकद्दमा लडूंगा।
3 उन्होंने तो मेरी प्रजा पर चिट्ठी डाली, और एक लड़का वेश्या के बदले में दे दिया, और एक लड़की बेचकर दाखमधु पीया है।।
4 हे सोर, और सीदोन और पलिश्तीन के सब प्रदेशो, तुम को मुझ से क्या काम? क्या तुम मुझ को बदला दोगे? यदि तुम मुझे बदला भी दो, तो मैं शीघ्र ही तुम्हारा दिया हुआ बदला, तुम्हारे ही सिर पर डाल दूंगा।
5 क्योंकि तुम ने मेरी चान्दी-सोना ले लिया, और मेरी अच्छी और मनभावनी वस्तुएं अपके मन्दिरोंमें ले जाकर रखी है;
6 और यहूदियोंऔर यरूशलेमियोंको यूनानियोंके हाथ इसलिथे बेच डाला है कि वे अपके देश से दूर किए जाएं।
7 इसलिथे सुनो, मैं उनको उस स्यान से, जहां के जानेवालोंके हाथ तुम ने उनको बेच दिया, बुलाने पर हूं, और तुम्हारा दिया हुआ बदला, तुम्हारे ही सिर पर डाल दूंगा।
8 मैं तुम्हारे बेटे-बेटियोंको यहूदियोंके हाथ बिकवा दूंगा, और वे उसको शबाइयोंके हाथ बेच देंगे जो दूर देश के रहनेवाले हैं; क्योंकि यहोवा ने यह कहा है।।
9 जाति जाति में यह प्रचार करो, युद्ध की तैयारी करो, अपके शूरवीरोंको उभारो। सब योद्धा निकट आकर लड़ने को चढ़ें।
10 अपके अपके हल की फाल को पीटकर तलवार, और अपक्की अपक्की हंसिया को पीटकर बर्छी बनाओ; जो बलहीन हो वह भी कहे, मैं वीर हूं।।
11 हे चारोंओर के जाति जाति के लोगो, फुर्ती करके आओ और इकट्ठे हो जाओ। हे यहोवा, तू भी अपके शूरवीरोंको वहां ले जा।
12 जाति जाति के लोग उभरकर चढ़ जाएं और यहोशापात की तराई में जाएं, क्योंकि वहां मैं चारोंआरे की सारी जातियोंका न्याय करने को बैठूंगा।।
13 हंसुआ लगाओ, क्योंकि खेत पक गया है। आओ, दाख रौंदो, क्योंकि हौज़ भर गया है। रसकुण्ड उमण्डने लगे, क्योंकि उनकी बुराई बहुत बड़ी है।।
14 निबटारे की तराई में भीड़ की भीड़ है! क्योंकि निबटारे की तराई में यहोवा का दिन निकट है।
15 सूर्य और चन्द्रमा अपना अपना प्रकाश न देंगे, और न तारे चमकेंगे।।
16 और यहोवा सिय्योन से गरजेगा, और यरूशलेम से बड़ा शब्द सुनाएगा; और आकाश और पृय्वी यरयराएंगे। परन्तु यहोवा अपक्की प्रजा के लिथे शरणस्यान और इस्राएलियोंके लिथे गढ़ ठहरेगा।।
17 इस प्रकार तुम जानोगे कि यहोवा जो अपके पवित्र पर्वत सिय्योन पर वास किए रहता है, वही हमारा परमेश्वर है। और यरूशलेम पवित्र ठहरेगा, और परदेशी उस में होकर फिर न जाने पाएंगे।।
18 और उस समय पहाड़ोंसे नया दाखमधु टपकने लगेगा, और टीलोंसे दूध बहने लगेगा, और यहूदा देश के सब नाले जल से भर जाएंगे; और यहोवा के भवन में से एक सोता फूट निकलेगा, जिस से शित्तीम का नाम नाला सींचा जाएगा।।
19 यहूदियोंपर उपद्रव करने के कारण, मिस्र उजाड़ और एदोम उजड़ा हुआ मरूस्यल हो जाएगा, क्योंकि उन्होंने उनके देश में निर्दोष की हत्या की यी।
20 परन्तु यहूदा सर्वदा और यरूशलेम पीढ़ी पीढ़ी तब बना रहेगा।
21 क्योंकि उनका खून, जो अब तक मैं ने पवित्र नहीं ठहराया या, उसे अब पवित्र ठहराऊंगा, क्योंकि यहोवा सिय्योन में वास किए रहता है।।