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मीका - Chapter 5

1 अब हे बहुत दलोंकी स्वामिनी, दल बान्ध-बान्धकर इकट्ठी हो, क्योंकि उस ने हम लोगोंको घेर लिया है; वे इस्राएल के न्यायी के गाल पर सोंटा मारेंगे। 
2 हे बेतलेहेम एप्राता, यदि तू ऐसा छोटा है कि यहूदा के हजारोंमें गिना नहीं जाता, तौभी तुझ में से मेरे लिथे एक पुरूष निकलेगा, जो इस्राएलियोंमें प्रभुता करनेवाला होगा; और उसका निकलना प्राचीनकाल से, वरन अनादि काल से होता आया है। 
3 इस कारण वह उनको उस समय तक त्यागे रहेगा, जब तक जच्चा उत्पन्न न करे; तब इस्राएलियोंके पास उसके बचे हुए भाई लौटकर उन से मिल जाएंगे। 
4 और वह खड़ा होकर यहोवा की दी हुई शक्ति से, और अपके परमेश्वर यहोवा के नाम के प्रताप से, उनकी चरवाही करेगा। और वे सुरझित रहेंगे, क्योंकि अब वह पृय्वी की छोर तक महान्‌ ठहरेगा।। 
5 और वह शान्ति का मूल होगा, जब अश्शूरी हमारे देश पर चढ़ाई करें, और हमारे राजभवनोंमें पांव धरें, तब हम उनके विरूद्ध सात चरवाहे वरन आठ प्रधान मनुष्य खड़ें करेंगे। 
6 और वे अश्शूर के देश को वरन पैठाव के स्यानोंतक निम्रोद के देश को तलवार चलाकर मार लेंगे; और जब अश्शूरी लोग हमारे देश में आएं, और उसके सिवाने के भीतर पांव धरें, तब वही पुरूष हम को उन से बचाएगा। 
7 और याकूब के बचे हुए लोग बहुत राज्योंके बीच ऐसा काम देंगे, जैसा यहोवा की ओर से पड़नेवाली ओस, और घास पर की वर्षा, जो किसी के लिथे नहीं ठहरती और मनुष्योंकी बाट नहीं जोहती। 
8 और याकूब के बचे हुए लोग जातियोंमें और देश देश के लोगोंके बीच ऐसे होंगे जैसे वनपशुओं में सिंह, वा भेड़-बकरियोंके फुण्डोंमें जवान सिंह होता है, क्योंकि जब वह उनके बीच में से जाए, तो लताड़ता और फाड़ता जाएगा, और कोई बचा न सकेगा। 
9 तेरा हाथ तेरे द्रोहियोंपर पके, और तेरे सब शत्रु नाश हो जाएं।। 
10 यहोवा की यही वाणी है, उस समय मैं तेरे घोड़ोंको तेरे बीच में से नाश करूंगा; और तेरे रयोंका विनाश करूंगा। 
11 ओर मैं तेरे देश के नगरोंको भी नाश करूंगा, और तेरे किलोंको ढा दूंगा। 
12 और मैं तेरे तन्त्र-मन्त्र नाश करूंगा, और तुझ में टोन्हे आगे को न रहेंगे। 
13 ओर मैं तेरी खुदी हुई मूरतें, और तेरी लाठें, तेरे बीच में से नाश करूंगा; और तू आगे को अपके हाथ की बनाई हुई वस्तुओं को दण्डवत्‌ न करेगा। 
14 और मैं तेरी अशेरा नाम मूरतोंको तेरी भूमि में से उखाड़ डालूंगा, और तेरे नगरोंका विनाश करूंगा। 
15 और मैं अन्यजातियोंसे जो मेरा कहा नहीं मानतीं, क्रोध और जल जलाहट के साय पलटा लूंगा।।