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सपन्याह - Chapter 3

1 हाथ बलवा करनेवाली और अशुद्ध और अन्धेर से भरी हुई नगरी! 
2 उस ने मेरी नहीं सुनी, उस ने ताड़ना से भी नहीं माना, उस ने यहोवा पर भरोसा नहीं रखा, वह अपके परमेश्वर के समीप नहीं आई।। 
3 उसके हाकिम गरजनेवाले सिंह ठहरे; उसके न्यायी सांफ को आहेर करनेवाले हुंडार हैं जो बिहान के लिथे कुछ नहीं छोड़ते। 
4 उसके भविष्यद्वक्ता व्यर्य बकनेवाले और विश्वासघाती हैं, उसके याजकोंने पवित्रस्यान को अशुद्ध किया और व्यवस्या में खींच-खांच की है। 
5 यहोवा जो उसके बीच में है, वह धर्मी है, वह कुटिलता न करेगा; वह अपना न्याय प्रति भोर प्रगट करता है और चूकता नहीं; परन्तु कुटिल जन को लज्जा आती ही नहीं। 
6 मैं ने अन्यजातियोंको यहां तक नाश किया, कि उनके कोनेवाले गुम्मट उजड़ गए; मैं ने उनकी सड़कोंको यहां तक सूनी किया, कि कोई उन पर नहीं चलता; उनके नगर यहां तक नाश हुए कि उन में कोई मनुष्य वरन कोई भी प्राणी नहीं रहा। 
7 मैं ने कहा, अब तू मेरा भय मानेगी, और मेरी ताड़ना अंगीकार करेगी जिस से उसका धाम उस सब के अनुसर जो मैं ने ठहराया या, नाश न हो। परन्तु वे सब प्रकार के बुरे बुरे काम यत्न से करने लगे।। 
8 इस कारण यहोवा की यह वाणी है, कि जब तक मैं नाश करने को न उठूं, तब तक तुम मेरी बाट जोहते रहो। मैं ने यह ठाना है कि जाति-जाति के और राज्य-राज्य के लोगोंको मैं इकट्ठा करूं, कि उन पर अपके क्रोध की आग पूरी रीति से भड़काऊं; क्योंकि सारी पृय्वी मेरी जलन की आग से भस्म हो जाएगी।। 
9 और उस समय मैं देश-देश के लोगोंसे एक नई और शुद्ध भाषा बुलवाऊंगा, कि वे सब के सब यहोवा से प्रार्यना करें, और एक मन से कन्धे से कन्धा मिलाए हुए उसकी सेवा करें। 
10 मेरी तितर-बितर की हुई प्रजा मुझ से बिनती करती हुई मेरी भेंट बनकर आएगी।। 
11 उस दिन, तू अपके सब बड़े से बड़े कामोंसे जिन्हें करके तू मुझ से फिर गई यी, फिर लज्जित न होगी। उस समय मैं तेरे बीच से सब फूले हुए घमण्डियोंको दूर करूंगा, और तू मेरे पवित्र पर्वत पर फिर कभी अभिमान न करेगी। 
12 क्योंकि मैं तेरे बीच में दीन और कंगाल लोगोंका एक दल बचा रखूंगा, और वे यहोवा के नाम की शरण लेंगे। 
13 इस्राएल के बचे हुए लोग न तो कुटिलता करेंगे और न फूठ बोलेंगे, और न उनके मुंह से छल की बातें निकलेंगी। वे चरेंगे और विश्रम करेंगे, और कोई उनको डरानेवाला न होगा।। 
14 हे सिय्योन, ऊंचे स्वर से गा; हे इस्राएल, जयजयकार कर! हे यरूशलेम अपके सम्पूर्ण मन से आनन्द कर, और प्रसन्न हो! 
15 यहोवा ने तेरा दण्ड दूर कर दिया और तेरा शत्रु भी दूर किया गया है। इस्राएल का राजा यहोवा तेरे बीच में है, इसलिथे तू फिर विपत्ति न भोगेगी। 
16 उस समय यरूशलेम से यह कहा जाएगा, हे सिय्योन मत डर, तेरे हाथ ढीले न पड़ने पाएं। 
17 तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे बीच में है, वह उद्धार करने में पराक्रमी है; वह तेरे कारण आनन्द से मगन होगा, वह अपके प्रेम के मारे चुपका रहेगा; फिर ऊंचे स्वर से गाता हुआ तेरे कारण मगन होगा।। 
18 जो लोग नियत पर्वो में सम्मिलित न होने के कारण खेदित रहते हैं, उनको मैं इकट्ठा करूंगा, क्योंकि वे तेरे हैं; और उसकी नामधराई उनको बोफ जान पड़ती है। 
19 उस समय मैं उन सभोंसे जो तुझे दु:ख देते हैं, उचित बर्ताव करूंगा। और मैं लंगड़ोंको चंगा करूंगा, और बरबस निकाले हुओं को इकट्ठा करूंगा, और जिनकी लज्जा की चर्चा सारी पृय्वी पर फैली है, उनकी प्रशंसा और कीत्ति सब कहीं फैलाऊंगा। 
20 उसी समय मैं तुम्हें ले जाऊंगा, और उसी समय मैं तुम्हें इकट्ठा करूंगा; और जब मैं तुम्हारे साम्हने तुम्हारे बंधुओं को लौटा लाऊंगा, तब पृय्वी की सारी जातियोंके बीच में तुम्हारी कीत्तिर् और प्रशंसा फैला दूंगा, यहोवा का यही वचन है।।