1 फिर वह वहां से उठकर यहूदिया के सिवानोंमें और यरदन के पार आया, और भीड़ उसके पास फिर इकट्ठी हो गई, और वह अपक्की रीति के अनुसार उन्हें फिर उपकेश देने लगा।
2 तब फरीसियोंने उसके पास आकर उस की पक्कीझा करने को उस से पूछा, क्या यह उचित है, कि पुरूष अपक्की पत्नी को त्यागे
3 उस ने उन को उत्तर दिया, कि मूसा ने तुम्हें क्या आज्ञा दी है
4 उन्होंने कहा, मूसा ने त्याग पत्र लिखने और त्यागने की आज्ञा दी है।
5 यीशु ने उन से कहा, कि तुम्हारे मन की कठोरता के कारण उस ने तुम्हारे लिथे यह आज्ञा लिखी।
6 पर सृष्टि के आरम्भ से परमेश्वर ने नर और नारी करके उन को बनाया है।
7 इस कारण मनुष्य अपके माता-पिता से अलग होकर अपक्की पत्नी के साय रहेगा, और वे दोनोंएक तन होंगे।
8 इसलिथे वे अब दो नहीं पर एक तन हैं।
9 इसलिथे जिसे परमेश्वर ने जोड़ा है उसे मनुष्य अलग न करे।
10 और घर में चेलोंने इस के विषय में उस से फिर पूछा।
11 उस ने उन से कहा, जो कोई अपक्की पत्नी को त्यागकर दूसरी से ब्याह करे तो वह उस पहिली के विरोध में व्यभिचार करता है।
12 और यदि पत्नी अपके पति को छोड़कर दूसरे से ब्याह करे, तो वह व्यभिचार करता है।
13 फिर लोग बालकोंको उसके पास लाने लगे, कि वह उन पर हाथ रखे, पर चेलोंने उनको डांटा।
14 यीशु ने यह देख क्रुध होकर उन से कहा, बालकोंको मेरे पास आने दो और उन्हें मना न करो, क्योंकि परमेश्वर का राज्य ऐसोंही का है।
15 मैं तुम से सच कहता हूं, कि जो कोई परमेश्वर के राज्य को बालक की नाई ग्रहण न करे, वह उस में कभी प्रवेश करने न पाएगा।
16 और उस ने उन्हें गोद में लिया, और उन पर हाथ रखकर उन्हें आशीष दी।।
17 और जब वह निकलकर मार्ग में जाता या, तो एक मनुष्य उसके पास दौड़ता हुआ आया, और उसके आगे घुटने टेककर उस से पूछा हे उत्तम गुरू, अनन्त जीवन का अधिक्कारनेी होने के लिथे मैं क्यां करूं
18 यीशु ने उस से कहा, तू मुझे उत्तम क्योंकहता है कोई उत्तम नहीं, केवल एक अर्यात् परमेश्वर।
19 तू आज्ञाओं को तो जानता है; हत्या न करना, व्यभिचार न करना, चोरी न करना, फूठी गवाही न देना, छल न करना, अपके पिता और अपक्की माता का आदर करना।
20 उस ने उस से कहा, हे गुरू, इन सब को मैं लड़कपन से मानता आया हूं।
21 यीशु ने उस पर दृष्टि करके उस से प्रेम किया, और उस से कहा, तुझ में एक बात की घटी है; जा, जो कुछ तेरा है, उसे बेच कर कंगालोंको दे, और तुझे स्वर्ग में धन मिलेगा, और आकर मेरे पीछे हो ले।
22 इस बात से उसके चिहरे पर उदासी छा गई, और वह शोक करता हुआ चला गया, क्योंकि वह बहुत धनी या।
23 यीशु ने चारोंओर देखकर अपके चेलोंसे कहा, धनवानोंको परमेश्वरके राज्य में प्रवेश करना कैसा किठन है!
24 यीशु ने चारोंऔर देखकर अपके चेलोंसे कहा, धनवानोंको परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कैसा किठन है!
25 चेले उस की बातोंसे अचम्भित हुए, इस पर यीशु ने फिर उन को उत्तर दिया, हे बालको, जो धन पर भरोसा रखते हैं, उन के लिथे परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कैसा किठन है!
26 वे बहुत ही चकित होकर आपस में कहने लगे तो फिर किस का उद्धार हो सकता है।
27 यीशु ने उन की ओर देखकर कहा, मनुष्योंसे तो यह नहीं हो सकता, परन्तु परमेश्वर से हो सकता है; क्योंकि परमेश्वर से सब कुछ हो सकता है।
28 पतरस उस से कहने लगा, कि देख, हम तो सब कुछ छोड़कर तेरे पीछे हो लिथे हैं।
29 यीशु ने कहा, मैं तुम से सच कहता हूं, कि ऐसा कोई नहीं, जिस ने मेरे और सुसमाचार के लिथे घर या भाइयोंया बहिनोंया माता या पिता या लड़के-बालोंया खेतोंको छोड़ दिया हो।
30 और अब इस समय सौ गुणा न पाए, घरोंऔर भाइयोंऔर बहिनोंऔर माताओं और लड़के-बालोंऔर खेतोंको पर उपद्रव के साय और परलोक में अनन्त जीवन।
31 पर बहुतेरे जो पहिले हैं, पिछले होंगे; और जो पिछले हैं, वे पहिले होंगे।
32 और वे यरूशलेम को जाते हुए मार्ग में थे, और यीशु उन के आगे आगे जा रहा या: और वे अचम्भा करने लगे और जो उसके पीछे पीछे चलते थे डरने लगे, तब वह फिर उन बारहोंको लेकर उन से वे बातें कहने लगा, जो उस पर आनेवाली यीं।
33 कि देखो, हम यरूशलेम को जाते हैं, और मनुष्य का पुत्र महाथाजकोंऔर शास्त्रियोंके हाथ पकड़वाया जाएगा, और वे उस को घात के योग्य ठहराएंगे, और अन्यजातियोंके हाथ में सौंपेंगे।
34 और वे उस को ठट्ठोंमें उड़ाएंगे, और उस पर यूकेंगे, और उसे कोड़े मारेंगे, और उसे घात करेंगे, और तीन दिन के बाद वह जी उठेगा।।
35 तब जब्दी के पुत्र याकूब और यूहन्ना ने उसके पास आकर कहा, हे गुरू, हम चाहते हैं, कि जो कुछ हम तुझ से मांगे, वही तू हमारे लिथे करे।
36 उस ने उन से कहा, तुम क्या चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिथे करूं
37 उन्होंने उस से कहा, कि हमें यह दे, कि तेरी महिमा में हम में से एक तेरे दिहने और दूसरा तेरे बांए बैठे।
38 यीशु न उन से कहा, तुम नहीं जानते, कि क्या मांगते हो जो कटोरा मैं पीने पर हूं, क्या पी सकते हो और जो बपतिस्क़ा मैं लेने पर हूं, क्या ले सकते हो
39 उन्होंने उस से कहा, हम से हो सकता है: यीशु ने उन से कहा: जो कटोरा मैं पीने पर हूं, तुम पीओंगे; और जो बपतिस्क़ा मैं लेने पर हूं, उसे लोगे।
40 पर जिन के लिथे तैयार किया गया है, उन्हें छोड़ और किसी को अपके दिहने और अपके बाएं बिठाना मेरा काम नहीं।
41 यह सुनकर दसोंयाकूब और यूहन्ना पर िरिसयाने लगे।
42 और यीशु ने उन को पास बुला कर उन से कहा, तुम जानते हो, कि जो अन्यजातियोंके हाकिम समझे जाते हैं, वे उन पर प्रभुता करते हैं; और उन में जो बड़ें हैं, उन पर अधिक्कारने जताते हैं।
43 पर तुम में ऐसा नहीं है, बरन जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे वह तुम्हारा सेवक बने।
44 और जो कोई तुम में प्रधान होना चाहे, वह सब का दास बने।
45 क्योंकि मनुष्य का पुत्र इसलिथे नहीं आया, कि उस की सेवा अहल की जाए, पर इसलिथे आया, कि आप सेवा टहल करे, और बहुतोंकी छुड़ौती के लिथे अपना प्राण दे।।
46 और वे यरीहो में आए, और जब वह और उसके चेले, और एक बड़ी भीड़ यरीहो से निकलती यी, तो तिमाई का पुत्र बरितमाई एक अन्धा भिखारी सड़क के किनारे बैठा या।
47 वह यह सुनकर कि यीशु नासरी है, पुकार पुकार कर कहने लगा; कि हे दाऊद की सन्तान, यीशु मुझ पर दया कर।
48 बहुतोंने उसे डांटा कि चुप रहे, पर वह और भी पुकारने लगा, कि हे दाऊद की सन्तान, मुझ पर दया कर।
49 तब यीशु ने ठहरकर कहा, उसे बुलाओ; और लोगोंने उस अन्धे को बुलाकर उस से कहा, ढाढ़स बान्ध, उठ, वह तुझे बुलाता है।
50 वह अपना कपड़ा फेंककर शीघ्र उठा, और यीशु के पास आया।
51 इस पर यीशु ने उस से कहा; तू क्या चाहता है कि मैं तेरे लिथे करूं अन्धे ने उस से कहा, हे रब्बी, यह कि मैं देखने लगूं।
52 यीशु ने उस से कहा; चला जा, तेरे विश्वास ने तुझे चंगा कर दिया है: और वह तुरन्त देखने लगा, और मार्ग में उसके पीछे हो लिया।।