1 इफिसुस की कलीसिया के दूत को यह लिख, कि, जो सातोंतारे अपके दिहने हाथ में लिए हुए है, और सोने की सातोंदीवटोंके बीच में फिरता है, वह यह कहता है कि
2 मै तेरे काम, और परिश्र्म, और तेरा धीरज जानता हूं; और यह भी, कि तू बुरे लोगोंको तो देख नहीं सकता; और जो अपके आप को प्रेरित कहते हैं, और हैं नहीं, उन्हें तू ने परखकर फूठा पाया।
3 और तू धीरज धरता है, और मेरे नाम के लिथे दु:ख उठाते उठाते यका नहीं।
4 पर मुझे तेरे विरूद्ध यह कहना है कि तू ने अपना पहिला सा प्रेम छोड़ दिया है।
5 सो चेत कर, कि तू कहां से गिरा है, और मन फिरा और पहिले के समान काम कर; और यदि तू मन न फिराएगा, तो मै तेरे पास आकर तेरी दीवट को उस स्यान से हटा दूंगा।
6 पर होंतुझ में यह बात तो है, कि तू नीकुलइयोंके कामोंसे घृणा करता है, जिन से मैं भी घृणा करता हूं।
7 जिस के कान हों, वह सुन ले कि आत्क़ा कलीसियाओं से क्या कहता है: जो जय पाए, मैं उसे उस जीवन के पेड़ में से जो परमेश्वर के स्वर्गलोक में है, फल खाने को दूंगा।।
8 और स्क़ुरना की कलीसिया के दूत को यह लिख, कि, जो प्रयम और अन्तिम है; जो मर गया या और अब जीवित हो गया है, वह यह कहता है कि।
9 मैं तेरे क्लेश और दिरद्रता को जानता हूं; (परन्तु तू धनी है); और जो लोग अपके आप को यहूदी कहते हैं और हैं नहीं, पर शैतान की सभा हैं, उन की निन्दा को भी जानता हूं।
10 जो दु:ख तुझ को फेलने होंगे, उन से मत डर: क्योंकि देखो, शैतान तुम में से कितनोंको जेलखाने में डालने पर है ताकि तुम परखे जाओ; और तुम्हें दस दिन तक क्लेश उठाना होगा: प्राण देने तक विश्वासी रह; तो मैं तुझे जीवन का मुकुट दूंगा।
11 जिस के कान हों, वह सुन ले कि आत्क़ा कलीसियाओं से क्या कहता है: जो जय पाए, उस को दूसरी मृत्यु से हानि न पंहुचेगी।।
12 और पिरगमुन की कलीसिया के दूत को यह लिख, कि, जिस के पास दोधारी और चोखी तलवार है, वह यह कहता है, कि।
13 मैं यह तो जानता हूं, कि तू वहां रहता है जहां शैतान का सिंहासन है, और मेरे नाम पर स्यिर रहता है; और मुझ पर विश्वास करने से उन दिनोंमें भी पीछे नहीं हटा जिन में मेरा विश्वासयोग्य साझी अन्तिपास, तुम में उस स्यान पर घात किया गया जहां शैतान रहता है।
14 पर मुझे तेरे विरूद्ध कुछ बातें कहनी हैं, क्योंकि तेरे यहां कितने तो ऐसे हैं, जो बिलाम की शिझा को मानते हैं, जिस ने बालाक को इस्त्राएलियोंके आगे ठोकर का कारण रखना सिखाया, कि वे मूरतोंके बलिदान खाएं, और व्यभिचार करें।
15 वैसे ही तेरे यहां कितने तो ऐसे हैं, जो नीकुलइयोंकी शिझा को मानते हैं।
16 सो मन फिरा, नहीं तो मैं तेरे पास शीघ्र ही आकर, अपके मुख की तलवार से उन के साय लडूंगा।
17 जिस के कान हों, वह सुन ले कि आत्क़ा कलीसियाओं से क्या कहता है; जो जय पाए, उस को मैं गुप्त मन्ना में से दूंगा, और उसे एक श्वेत पत्यर भी दूंगा; और उस पत्यर पर एक नाम लिखा हुआ होगा, जिसे उसके पानेवाले के सिवाय और कोई न जानेगा।।
18 और यूआतीरा की कलीसिया के दूत को यह लिख, कि, परमेश्वर का पुत्र जिस की आंखे आग की ज्वाला की नाई, और जिस के पांव उत्तम पीतल के समान हैं, यह कहता है, कि
19 मैं तेरे कामों, और प्रेम, और विश्वास, और सेवा, और धीरज को जानता हूं, और यह भी कि तेरे पिछले काम पहिलोंसे बढ़कर हैं।
20 पर मुझे तेरे विरूद्ध यह कहना है, कि तू उस स्त्री इजेबेल को रहने देता है जो अपके आप को भविष्यद्वक्तिन कहती है, और मेरे दासोंको व्यभिचार करने, और मूरतोंके आगे के बलिदान खाने को सिखलाकर भरमाती है।
21 मैं ने उस को मन फिराने के लिथे अवसर दिया, पर वह अपके व्यभिचार से मन फिराना नहीं चाहती।
22 देख, मैं उसे खाट पर डालता हूं; और जो उसके साय व्यभिचार करते हैं यदि वे भी उसके से कामोंसे मन न फिराएंगे तो उन्हें बड़े क्लेश में डांलूगा।
23 और मैं उसके बच्चोंको मार डालंूगा; और तब सब कलीसियाएं जान लेंगी कि ह्रृदय और मन का परखनेवाला मैं ही हूं: और मैं तुम में से हर एक को उसके कामोंके अनुसार बदला दूंगा।
24 पर तुम यूआतीरा के बाकी लोगोंसे, जितने इस शिझा को नहीं मानते, और उन बातोंको जिन्हें शैतान की गहिरी बातें कहते हैं नहीं जानते, यह कहता हूं, कि मैं तुम पर और बोफ न डालूंगा।
25 पर हां, जो तुम्हारे पास है उस को मेरे आने तक यामें रहो।
26 जो जय पाए, और मेरे कामोंके अनुसार अन्त तक करता रहे, मैं उसे जाति जाति के लोगोंपर अधिक्कारने दूंगा।
27 और वह लोहे का राजदण्ड लिथे हुए उन पर राज्य करेगा, जिस प्रकार कुम्हार के मिट्टी के बरतन चकनाचूर हो जाते है: जैसे कि मै ने भी ऐसा ही अधिक्कारने अपके पिता से पाया है।
28 और मैं उसे भोर को तारा दूंगा।
29 जिस के कान हों, वह सुन ले कि आत्क़ा कलीसियाओं से क्या कहता है।।