1 फिर उस ने मुझे बिल्लौर की सी फलकती हुई, जीवन के जल की एक नदी दिखाई, जो परमेश्वर और मेंम्ने के सिंहासन से निकलकर उस नगर की सड़क के बीचोंबीच बहती यी।
2 और नदी के इस पार; और उस पार, जीवन का पेड़ या: उस में बारह प्रकार के फल लगते थे, और वह हर महीने फलता या; और उस पेड़ के पत्तोंसे जाति जाति के लोग चंगे होते थे।
3 और फिर स्राप न होगा और परमेश्वर और मेम्ने का सिंहासन उस नगर में होगा, और उसके दास उस की सेवा करेंगे।
4 और उसका मुंह देखेंगे, और उसका नाम उन के मायोंपर लिखा हुआ होगा।
5 और फिर रात न होगी, और उन्हें दीपक और सूर्य के उजियाले का प्रयोजन न होगा, क्योंकि प्रभु परमेश्वर उन्हें उजियाला देगा: और वे युगानुयुग राज्य करेंगे।।
6 फिर उस ने मुझ से कहा, थे बातें विश्वास के योग्य, और सत्य हैं, और प्रभु ने जो भविष्यद्वक्ताओं की आत्क़ाओं का परमेश्वर है, अपके स्वर्गदूत को इसलिथे भेजा, कि अपके दासोंको वे बातें जिन का शीघ्र पूरा होना अवश्य है दिखाए।
7 देख, मैं शीघ्र आनेवाला हूं; धन्य है वह, जो इस पुस्तक की भविष्यद्वाणी की बातें मानता है।।
8 मैं वही यूहन्ना हूं, जो थे बातें सुनता, और देखता या; और जब मैं ने सुना, और देखा, तो जो स्वर्गदूत मुझे थे बातें दिखाता या, मैं उसके पांवोंपर दण्डवत करने के लिथे गिर पड़ा।
9 और उस ने मुझ से कहा, देख, ऐसा मत कर; क्योंकि मैं तेरा और तेरे भाई भविष्यद्वक्ताओं और इस पुस्तक की बातोंके माननेवालोंका संगी दास हूं; परमेश्वर ही को दण्डवत कर।।
10 फिर उस ने मुझ से कहा, इस पुस्तक की भविष्यद्ववाणी की बातोंको बन्द मत कर; क्योंकि समय निकट है।।
11 जो अन्याय करता है, वह अन्याय ही करता रहे; और जो मलिन है, वह मलिन बना रहे; और जो धर्मी है, वह धर्मी बना रहे; और जो पवित्र है, वह पवित्र बना रहे।
12 देख, मैं शीघ्र आनेवाला हूं; और हर एक के काम के अनुसार बदला देने के लिथे प्रतिफल मेरे पास है।
13 मैं अलफा और ओमिगा, पहिला और पिछला, आदि और अन्त हूं।
14 धन्य वे हैं, जो अपके वस्त्र धो लेते हैं, क्योंकि उन्हें जीवन के पेड़ के पास आने का अधिक्कारने मिलेगा, और वे फाटकोंसे होकर नगर में प्रवेश करेंगे।
15 पर कुत्ते, और टोन्हें, और व्यभिचारी, और हत्यारे और मूतिर्पूजक, और हर एक फूठ का चाहनेवाला, और गढ़नेवाला बाहर रहेगा।।
16 मुझ यीशु ने अपके स्वर्गदूत को इसलिथे भेजा, कि तुम्हारे आगे कलीसियाओं के विषय में इन बातोंकी गवाही दे: मैं दाऊद का मूल, और वंश, और भोर का चमकता हुआ तारा हूं।।
17 और आत्क़ा, और दुल्हिन दोनोंकहती हैं, आ; और सुननेवाला भी कहे, कि आ; और जो प्यासा हो, वह आए और जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंतमेंत ले।।
18 मैं हर एक को जो इस पुस्तक की भविष्यद्वाणी की बातें सुनता है, गवाही देता हूं, कि यदि कोई मनुष्य इन बातोंमें कुछ बढ़ाए, तो परमेश्वर उन विपत्तियोंको जो इस पुस्तक में लिखी हैं, उस पर बढ़ाएगा।
19 और यदि कोई इस भविष्यद्वाणी की पुस्तक की बातोंमें से कुछ निकाल डाले, तो परमेश्वर उस जीवन के पेड़ और पवित्र नगर में से जिस की चर्चा इस पुस्तक में है, उसका भाग निकाल देगा।।
20 जो इन बातोंकी गवाही देता है, वह यह कहता है, हां शीघ्र आनेवाला हूं। आमीन। हे प्रभु यीशु आ।।
21 प्रभु यीशु का अनुग्रह पवित्र लोगोंके साय रहे। आमीन।।