1 परमेश्वर यहोवा ने मुझ को योंदिखाया: कि, धूपकाल के फलोंसे भरी हुई एक टोकरी है।
2 और उस ने कहा, हे आमोस, तुझे क्या देख पड़ता है? मैं ने कहा, धूपकाल के फलोंसे भरी एक टोकरी। तब यहोवा ने मुण् से कहा, मेरी प्रजा इस्राएल का अन्त आ गया है; मैं अब उसको और न छोडूंगा।
3 परमेश्वर यहोवा की वणी है, कि उस दिन राजमन्दिर के गीत हाहाकार में बदल जाएंगे, और लायोंका बड़ा ढेर लगेगा; और सब स्यानोंमें वे चुपचाप फेंक दी जाएंगी।।
4 यह सुनो, तुम जो दरिद्रोंको निगलना और देश के नम्र लोगोंको नाश करना चाहते हो,
5 जो कहते हो नया चांद कब बीतेगा कि हम अन्न बेच सकें? और विश्रमदिन कब बीतेगा, कि हम अन्न के खत्ते खोलकर एपा को छोटा और शेकेल को भारी कर दें, और छल से दण्डी मारें,
6 कि हम कंगालोंको रूपया देकर, और दरिद्रोंको एक जोड़ी जूतियां देकर मोल लें, और निकम्मा अन्न बेचें?
7 यहोवा, जिस पर याकूब को घमण्ड करना उचित है, वही अपक्की शपय खाकर कहता है, मैं तुम्हारे किसी काम को किभी न भूलूंगा।
8 क्या इस कारण भूमि न कांपेगी? और क्या उन पर के सब रहनेवाले विलाप न करेंगे? यह देश सब का सब मिस्र की नील नदी के समान होगा, जो बढ़ती है, फिर लहरें मारती, और घट जाती है।।
9 परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, उस समय मैं सूर्य का दोपहर के समय अस्त करूंगा, और इस देश को दिन दुपहरी अन्धिक्कारनेा कर दूंगा।
10 मैं तुम्हारे पर्वोंके उत्सव दूर करके विलाप कराऊंगा, और तुम्हारे सब गीतोंको दूर करके विलाप के गीत गवाऊंगा; मैं तुम सब की कटि में टाट बंधाऊंगा, और तुम सब के सिक्कों मुंड़ाऊंगा; और ऐसा विलाप कराऊंगा जैसा एकलौते के लिथे होता है, और उसका अन्त कठिन दु:ख के दिन का सा होगा।।
11 परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, देखो, ऐसे दिन आते हैं, जब मैं इस देश में महंगी करूंगा; उस में ने तो अन्न की भूख और न पानी की प्यास होगी, परन्तु यहोवा के वचनोंके सुनने ही की भूख प्यास होगी।
12 और लोग यहोवा के वचन की खोज में समुद्र से समुद्र तब और उत्तर से पूरब तक मारे मारे फिरेंगे, परन्तु उसको न पाएंगे।।
13 उस समय सुन्दर कुमारियां और जवान पुरूष दोनोंप्यास के मारे मूर्छा खाएंगे।
14 जो लोग सामरिया के पाप मूल देवता की शपय खाते हैं, और जो कहते हैं कि दान के देवता के जीवन की शपय, और बेर्शेबा के पन्य की शपय, वे सब गिर पकेंगे, और फिर न उठेंगे।।