1 तब योना ने उसके पेट में से अपके परमेश्वर यहोवा से प्रार्यना करके कहा,
2 मैं ने संकट में पके हुए यहोवा की दोहाई दी, और उस ने मेरी सुन ली है; अधोलोक के उदर में से मैं चिल्ला उठा, और तू ने मेरी सुन ली।
3 तू ने मुझे गहिरे सागर में समुद्र की याह तक डाल दिया; और मैं धाराओं के बीच में पड़ा या, तेरी भड़काई हुई सब तरंग और लहरें मेरे ऊपर से बह गईं।
4 तब मैं ने कहा, मैं तेरे साम्हने से निकाल दिया गया हूं; तौभी तेरे पवित्र मन्दिर की ओर फिर ताकूंगा।
5 मैं जल से यहां तक घिरा हुआ या कि मेरे प्राण निकले जाते थे; गहिरा सागर मेरे चारोंओर या, और मेरे सिर में सिवार लिपटा हुआ या।
6 मैं पहाड़ोंकी जड़ तक पहुंच गया या; मैं सदा के लिथे भूमि में बन्द हो गया या; तौभी हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तू ने मेरे प्राणोंको गड़हे में से उठाया है।
7 जब मैं मूर्छा खाने लगा, तब मैं ने यहोवा को स्मरण किया; और मेरी प्रार्यना तेरे पास वरन तेरे पवित्र मन्दिर में पहुंच गई।
8 जो लोग धोखे की व्यर्य वस्तुओं पर मन लगाते हैं, वे अपके करूणानिधान को छोड़ देते हैं।
9 परन्तु मैं ऊंचे शब्द से धन्यवाद करके तुझे बलिदान चढ़ाऊंगा; जो मन्नत मैं ने मानी, उसको पूरी करूंगा। उद्धार यहोवा ही से होता है।
10 और यहोवा ने मगरमच्छ को आज्ञा दी, और उस ने योना को स्यल पर उगल दिया।।