1 तब यहोवा का यह वचन दूसरी बार योना के पास पहुंचा,
2 उठकर उस बड़े नगर नीनवे को जा, और जो बात मैं तुझ से कहूंगा, उसका उस में प्रचार कर।
3 तब योना यहोवा के वचन के अनुसार नीनवे को गया। नीनवे एक बहुत बड़ा लगर या, वह तीन दिन की यात्रा का या।
4 और योना ने नगर में प्रवेश करके एक दिन की यात्रा पूरी की, और यह प्रचार करता गया, अब से चालीस दिन के बीतने पर नीनवे उलट दिया जाएगा।
5 तब नीनवे के मनुष्योंने परमेश्वर के वचन की प्रतीति की; और उपवास का प्रचार किया गया और बड़े से लेकर छोटे तक सभोंने टाट ओढ़ा।
6 तब यह समाचार नीनवे के राजा के कान में पहुंचा; और उस ने सिंहासन पर से उठ, अपना राजकीय ओढ़ना उतारकर टाट ओढ़ लिया, और राख पर बैठ गया।
7 और राजा के प्रधानोंसे सम्मति लेकर नीनवे में इस आज्ञा का ढींढोरा पिटवाया, कि क्या मनुष्य, क्या गाय-बैल, क्या भेड़-बकरी, या और पशु, कोई कुछ भी न खाएं; वे ने खांए और न पानी पीवें।
8 और मनुष्य और पशु दोनोंटाट ओढ़ें, और वे परमेश्वर की दोहाई चिल्ला-चिल्ला कर दें; और अपके कुमार्ग से फिरें; और उस उपद्रव से, जो वे करते हैं, पश्चाताप करें।
9 सम्भव है, परमेश्वर दया करे और अपक्की इच्छा बदल दे, और उसका भड़का हुआ कोप शान्त हो जाए और हम नाश होने से बच जाएं।।
10 जब परमेश्वर ने उनके कामोंको देखा, कि वे कुमार्ग से फिर रहे हैं, तब परमेश्वर ने अपक्की इच्छा बदल दी, और उनकी जो हानि करने की ठानी यी, उसको न किया।।