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होशे - Chapter 2

1 इसलिथे तुम लोग अपके भाइयोंसे अम्मी और अपक्की बहिनोंसे रूहामा कहो।। 
2 अपक्की माता से विवाद करो, विवाद क्योंकि वह मेरी स्त्री नहीं और न मैं उसका पति हूं। वह अपके मुंह पर से अपके छिनालपन को और छातियोंके बीच से व्यभिचारोंको अलग करे; 
3 नहीं तो मैं उसके वस्त्र उतारकर उसको जन्म के दिन के समान नंगी कर दूंगा, और उसको मरूस्यल के समान और मरूभूमि सरीखी बनाऊंगा, और उसे प्यास से मार डालूंगा। 
4 उसके लड़केबालोंपर भी मैं कुछ दया न करूंगा, क्योंकि वे कुकर्म के लड़के हैं। 
5 उनकी माता ने छिनाला किया है; जिसके गर्भ में वे पके, उस ने लज्जा के योग्य काम किया है। उस ने कहा, मेरे यार जो मुझे रोटी-पानी, ऊन, सन, तेल और मद्य देते हैं, मैं उन्हीं के पीछे चलूंगी। 
6 इसलिथे देखो, मैं उसके मार्ग को कांटोंसे घेरूंगा, और ऐसा बाड़ा खड़ा करूंगा कि वह राह न पा सकेगी। 
7 वह अपके यारोंके पीछे चलने से भी न पाएगी; और उन्हें ढूंढ़ने से भी न पाएगी। तब वह कहेगी, मैं अपके पहिले पति के पास फिर जाऊंगी, क्योंकि मेरी पहिली दशा इस समय की दशा से अच्छी यी। 
8 वह यह नहीं जानती यी, कि अन्न, नया दाखमधु और तेल मैं ही उसे देता या, और उसके लिथे वह चान्दी सोना जिसको वे बाल देवता के काम में ले आते हैं, मैं ही बढ़ाता या। 
9 इस कारण मैं अन्न की ऋतु में अपके अन्न को, और नथे दाखमधु के होने के समय में अपके नथे दाखमधु को हर लूंगा; और अपना ऊन और सन भी जिन से वह अपना तन ढांपक्की है, मैं छीन लूंगा। 
10 अब मैं उसके यारोंके साम्हने उसके तन को उघाडूंगा, और मेरे हाथ से कोई उसे छुड़ा न सकेगा। 
11 और मैं उसके पर्व, नथे चांद और विश्रमदिन आदि सब नियत समयोंके उत्सवोंका अन्त कर दूंगा। 
12 और मैं उसकी दाखलताओं और अंजीर के वृझोंको, जिनके विषय वह कहती है कि यह मेरे छिनाले की प्राप्ति है जिसे मेरे यारोंने मुझे दी है, उन्हें ऐसा उजाडूंगा कि वे जंगल से हो जाएंगे, और वन-पशु उन्हें चर डालेंगे। 
13 और वे दिन जिन में वह बाल देवताओं के लिथे धूप जलाती, और नत्य और हार पहिने अपके यारोंके पीछे जाती और मुझको भूले रहती यी, उन दिनोंका दण्ड मैं उसे दूंगा, यहोवा की यही वाणी है।। 
14 इसलिथे देखो, मैं उसे मोहित करके जंगल में ले जाऊंगा, और वहंा उस से शान्ति की बातें कहूंगा। 
15 और वहीं मैं उसको दाख की बारियां दूंगा, और आकोर की तराई को आशा का द्वार कर दूंगा और वहां वह मुझ से ऐसी बातें कहेगी जैसी अपक्की जवानी के दिनोंमें अर्यात्‌ मिस्र देश से चले आने के समय कहती यी। 
16 और यहोवा की यह वाणी है कि उस समय तू मुझे ईशी कहेगी और फिर बाली न कहेगी। 
17 क्योंकि भविष्य में मैं उसे बाल देवताओं के नाम न लेने दूंग; और न उनके नाम फिर स्मरण में रहेंगे। 
18 और उस समय मैं उनके लिथे वन-पशुओं और आकाश के पझियोंऔर भूमि पर के रेंगनेवाले जन्तुओं के साय वाचा बान्धूंगा, और धनुष और तलवार तोड़कर युद्ध को उनके देश से दूर कर दूंगा; और ऐसा करूंगा कि वे लोग निडर सोया करेंगे। 
19 और मैं सदा के लिथे तुझे अपक्की स्त्री करने की प्रतिज्ञा करूंगा, और यह प्रतिज्ञा धर्म, और न्याय, और करूंणा, और दया के साय करूंगा। 
20 और यह सच्चाई के साय की जाएगी, और तू यहोवा को जान लेगी।। 
21 और यहोवा की यह वाणी है कि उस समय मैं आकाश की सुनकर उसको उत्तर दूंगा, और वह पृय्वी की सुनकर उसे उत्तर देगा; 
22 और पृय्वी अन्न, नथे दाखमधु, और ताजे तेल की सुनकर उनको उत्तर देगी, और वे यिज्रेल को उत्तर देंगे। 
23 और मैं अपके लिथे उसे देश में बोऊंगा, और लोरूहामा पर दया करूंगा, और लोअम्मी से कहूंगा, तू मेरी प्रजा है, और वह कहेगा, “हे मेरे परमेश्वर”।।