1 अपके मुंह में नरसिंगा लगा। वह उकाब की नाईं यहोवा के घर पर फपकेगा, क्योंकि मेरे घर के लोगोंने मेरी वाचा तोड़ी, और मेरी व्यवस्या का उल्लंघन किया है।
2 वे मुझ से पुकारकर कहेंगे, हे हमारे परमेश्वर, हम इस्राएली लोग तुझे जानते हैं।
3 परन्तु इस्राएल ने भलाई को मन से उतार दिया है; शत्रु उसके पीछे पकेगा।।
4 वे राजाओं को ठहराते रहे, परन्तु मेरी इच्छा से नहीं। वे हाकिमोंको भी ठहराते रहे, परन्तु मेरे अनजाने में। उन्होंने अपना सोना-चान्दी लेकर मूरतें बना लीं जिस से वे ही नाश हो जाएं।
5 हे शोमरोन, उस ने तेरे बछड़े को मन से उतार दिया है, मेरा क्रोध उन पर भड़का है। वे निर्दोष होने में कब तक विलम्ब करेंगे?
6 यह इस्राएल से हुआ है।। एक कारीगर ने उसे बनाया; वह परमेश्वर नहीं है। इस कारण शोमरोन का वह बछड़ा टुकड़े टुकड़े हो जाएगा।।
7 वे वायु बोते हैं, और वे बवण्डर लवेंगे। उनके लिथे कुछ खेत रहेगा नहीं न उनकी उपज से कुछ आटा होगा; और यदि हो भी तो परदेशी उसको खा डालेंगे।
8 इस्राएल निगला गया; अब वे अन्यजातियोंमें ऐसे निकम्मे ठहरे जैसे तुच्छ बरतन ठहरता है।
9 क्योंकि वे अश्शूर को ऐसे चले गए, जैसा जंगली गदहा फुण्ड से बिछुड़ के रहता है; एप्रैम ने यारोंको मजदूरी पर रखा है।
10 यद्यपि वे अन्यजातियोंमें से मजदूर बनाकर रखें, तौभी मैं उनको इकट्ठा करूंगा। और वे हाकिमोंऔर राजा के बोफ के कारण घटने लेगेंगे।
11 एप्रैम ने पाप करने को बहुत सी वेदियां बनाई हैं, वे ही वेदियां उसके पापी ठहरने का कारण भी ठहरीं।
12 मैं तो उनके लिथे अपक्की व्यवस्या की लाखोंबातें लिखता आया हूं, परन्तु वे उन्हें पराया समझते हैं।
13 वे मेरे लिथे बलिदान तो करते हैं, और पशु बलि भी करते हैं, परन्तु उसका फल मांस ही है; वे आप ही उसे खाते हैं; परन्तु यहोवा उन से प्रसन्न नहीं होता। अब वह उनके अधर्म की सुधि लेकर उनके पाप का दण्ड देगा; वे मिस्र में लौट जाएंगे।
14 क्योंकि इस्राएल ने अपके कर्त्ता को बिसरा कर महल बनाए, और यहूदा ने बहुत से गढ़वाले नगरोंको बसाया है; परन्तु मैं उनके नगरोंमें आग लगाऊंगा, और उस से उनके गढ़ भस्म हो जाएंगे।