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न्यायियों - Chapter 15

1 परन्तु कुछ दिनोंबाद, गेहूं की कटनी के दिनोंमें, शिमशोन ने बकरी का एक बच्चा लेकर अपक्की ससुराल में जाकर कहा, मैं अपक्की पत्नी के पास कोठरी में जाऊंगा। परन्तु उसके ससुर ने उसे भीतर जाने से रोका। 
2 और उसके ससुर ने कहा, मैं सचमुच यह जानता या कि तू उस से बैर ही रखता है, इसलिथे मैं ने उसे तेरे संगी को ब्याह दिया। क्या उसकी छोटी बहिन उस से सुन्दर नहीं है? उसके बदले उसी को ब्याह ले। 
3 शिमशोन ने उन लोगोंसे कहा, अब चाहे मैं पलिश्तियोंकी हानि भी करूं, तौभी उनके विषय में निर्दोष ही ठहरूंगा। 
4 तब शिमशोन ने जाकर तीन सौ लोमडिय़ां पकड़ीं, और मशाल लेकर दो दो लोमडिय़ोंकी पूंछ एक साय बान्धी, और उनके बीच एक एक मशाल बान्धा। 
5 तब मशालोंमें आग लगाकर उस ने लोमडिय़ोंको पलिश्तियोंके खड़े खेतोंमें छोड़ दिया; और पूलियोंके ढेर वरन खड़े खेत और जलपाई की बारियां भी जल गईं। 
6 तब पलिश्ती पूछने लगे, यह किस ने किया है? लोगोंने कहा, उस तिम्नी के दामाद शिमशोन ने यह इसलिथे किया, कि उसके ससुर ने उसकी पत्नी उसे संगी को ब्याह दी। तब पलिश्तियोंने जाकर उस पत्नी और उसके पिता दोनोंको आग में जला दिया। 
7 शिमशोन ने उन से कहा, तुम जो ऐसा काम करते हो, इसलिथे मैं तुम से पलटा लेकर ही चुप रहूंगा। 
8 तब उस ने उनको अति निठुरता के साय बड़ी मार से मार डाला; तब जाकर एताम नाम चट्टान की एक दरार में रहने लगा।। 
9 तब पलिश्तियोंने चढ़ाई करके यहूदा देश में डेरे खड़े किए, और लही में फैल गए। 
10 तब यहूदी मनुष्योंने उन से पूछा, तुम हम पर क्योंचढ़ाई करते हो? उन्होंने उत्तर दिया, शिमशोन को बान्धने के लिथे चढ़ाई करते हैं, कि जैसे उस ने हम से किया वैसे ही हम भी उस से करें। 
11 तब तीन हजार यहूदी पुरूष ऐताम नाम चट्टान की दरार में जाकर शिमशोन से कहने लगे, क्या तू नहीं जानता कि पलिश्ती हम पर प्रभुता करते हैं? फिर तू ने हम से ऐसा क्योंकिया है? उस ने उन से कहा, जैसा उन्होंने मुझ से किया या, वैसा ही मैं ने भी उन से किया है। 
12 उन्होंने उस से कहा, हम तुझे बान्धकर पलिश्तियोंके हाथ में कर देने के लिथे आए हैं। शिमशोन ने उन से कहा, मुझ से यह शपय खाओ कि तुम मुझ पर प्रहार न करोगे। 
13 उन्होंने कहा, ऐसा न होगा; हम तुझे कसकर उनके हाथ में कर देंगे; परन्तु तुझे किसी रीति मान न डालेंगे। तब वे उसको दो नई रस्सिक्कों बान्धकर उस चट्टान पर ले गए। 
14 वह लही तक आ गया या, कि पलिश्ती उसको देखकर ललकारने लगे; तब यहोवा का आत्मा उस पर बल से उतरा, और उसकी बांहोंकी रस्सियां आग में जले हुए सन के समान हो गईं, और उसके हाथोंके बन्धन मानोंगलकर टूट पके। 
15 तब उसको गदहे के जबड़े की एक नई हड्डी मिली, और उस ने हाथ बढ़ा उसे लेकर एक हजार पुरूषोंको मार डाला। 
16 तब शिमशोन ने कहा, गदहे के जबड़े की हड्डी से ढेर के ढेर लग गए, गदहे के जबड़े की हड्डी ही से मैं ने हजार पुरूषोंको मार डाला।। 
17 जब वह ऐसा कह चुका, तब उस ने जबड़े की हड्डी फेंक दी और उस स्यान का नाम रामत-लही रखा गया। 
18 तब उसको बड़ी प्यास लगी, और उस ने यहोवा को पुकार के कहा तू ने अपके दास से यह बड़ा छुटकारा कराया है; फिर क्या मैं अब प्यासोंमरके उन खतनाहीन लोगोंके हाथ में पडूं? 
19 तब परमेश्वर ने लही में ओखली सा गढ़हा कर दिया, और उस में से पानी निकलने लगा; और जब शिमशोन ने पीया, तब उसके जी में जी आया, और वह फिर ताजा दम हो गया। इस कारण उस सोते का नाम एनहक्कोरे रखा गया, वह आज के दिन तक लही में हैं। 
20 शिमशोन तो पलिश्तियोंके दिनोंमें बीस वर्ष तक इस्राएल का न्याय करता रहा।।