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न्यायियों - Chapter 2

1 और यहोवा का दूत गिलगाल से बोकीम को जाकर कहने लगा, कि मैं ने तुम को मिस्र से ले आकर इस देश में पहुंचाया है, जिसके विषय में मैं ने तुम्हारे पुरखाओं से शपय खाई यी। और मैं ने कहा या, कि जो वाचा मैं ने तुम से बान्धी है, उसे मैं कभी न तोडूंगा; 
2 इसलिथे तुम इस देश के निवासिक्कों वाचा न बान्धना; तुम उनकी वेदियोंको ढा देना। परन्तु तुम ने मेरी बात नहीं मानी। तुम ने ऐसा क्योंकिया है? 
3 इसलिथे मैं कहता हूं, कि मैं उन लोगोंको तुम्हारे साम्हने से न निकालूंगा; और वे तुम्हारे पांजर में कांटे, और उनके देवता तुम्हारे लिथे फंदे ठहरेंगे। 
4 जब यहोवा के दूत ने सारे इस्राएलियोंसे थे बातें कहीं, तब वे लोग चिल्ला चिल्लाकर रोने लगे। 
5 और उन्होंने उस स्यान का नाम बोकीम रखा। और वहां उन्होंने यहोवा के लिथे बलि चढ़ाया।। 
6 जब यहोशू ने लोगोंको विदा किया या, तब इस्राएली देश को अपके अधिक्कारने में कर लेने के लिथे अपके अपके निज भाग पर गए। 
7 और यहोशू के जीवन भर, और उन वृद्ध लोगोंके जीवन भर जो यहोशू के मरने के बाद जीवित रहे और देख चुके थे कि यहोवा ने इस्राएल के लिथे कैसे कैसे बड़े काम किए हैं, इस्राएली लोग यहोवा की सेवा करते रहे। 
8 निदान यहोवा का दास नून का पुत्र यहोशू एक सौ दस वर्ष का होकर मर गया। 
9 और उसको तिम्नथेरेस में जो एप्रैम के पहाड़ी देश में गाश नाम पहाड़ की उत्तर अलंग पर है, उसी के भाग में मिट्टी दी गई। 
10 और उस पीढ़ी के सब लोग भी अपके अपके पितरोंमें मिल गए; तब उसके बाद जो दूसरी पीढ़ी हुई उसके लोग न तो यहोवा को जानते थे और न उस काम को जो उस ने इस्राएल के लिथे किया या।। 
11 इसलिथे इस्राएली वह करने लगे जो यहोवा की दृष्टि में बुरा है, और बाल नाम देवताओं की उपासना करने लगे; 
12 वे अपके पूर्वजोंके परमेश्वर यहोवा को, जो उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया या, त्यागकर पराथे देवताओं की उपासना करने लगे, और उन्हें दण्डवत्‌ किया; और यहोवा को रिस दिलाई। 
13 वे यहोवा को त्याग कर के बाल देवताओं और अशतोरेत देवियोंकी उपासना करने लगे। 
14 इसलिथे यहोवा का कोप इस्राएलियोंपर भड़क उठा, और उस ने उनको लुटेरोंके हाथ में कर दिया जो उन्हें लूटने लगे; और उस ने उनको चारोंओर के शत्रुओं के आधीन कर दिया; और वे फिर अपके शत्रुओं के साम्हने ठहर न सके। 
15 जहां कहीं वे बाहर जाते वहां यहोवा का हाथ उनकी बुराई में लगा रहता या, जैसे यहोवा ने उन से कहा या, वरन यहोवा ने शपय खाई यी; इस प्रकार से बड़े संकट में पड़ गए। 
16 तौभी यहोवा उनके लिथे न्यायी ठहराता या जो उन्हें लूटनेवाले के हाथ से छुड़ाते थे। 
17 परन्तु वे अपके न्यायियोंकी भी नहीं मानते थे; वरन व्यभिचारिन की नाईं पराथे देवताओं के पीछे चलते और उन्हें दण्डवत्‌ करते थे; उनके पूर्वज जो यहोवा की आज्ञाएं मानते थे, उनकी उस लीक को उन्होंने शीघ्र ही छोड़ दिया? और उनके अनुसार न किया। 
18 और जब जब यहोवा उनके लिथे न्यायी को ठहराता तब तब वह उस न्यायी के संग रहकर उसके जीवन भर उन्हें शत्रुओं के हाथ से छुड़ाता या; क्योंकि यहोवा उनका कराहना जो अन्धेर और उपद्रव करनेवालोंके कारण होता या सुनकर दु:खी या। 
19 परन्तु जब न्यायी मर जाता, तब वे फिर पराथे देवताओं के पीछे चलकर उनकी उपासना करते, और उन्हें दण्डवत्‌ करके अपके पुरखाओं से अधिक बिगड़ जाते थे; और अपके बुरे कामोंऔर हठीली चाल को नहीं छोड़ते थे। 
20 इसलिथे यहोवा का कोप इस्राएल पर भड़क उठा; और उस ने कहा, इस जाति ने उस वाचा को जो मैं ने उनके पूर्वजोंसे बान्धी यी तोड़ दिया, और मेरी बात नहीं मानी, 
21 इस कारण जिन जातियोंको यहोशू मरते समय छोड़ गया है उन में से मैं अब किसी को उनके साम्हने से न निकालूंगा; 
22 जिस से उनके द्वारा मैं इस्राएलियोंकी पक्कीझा करूं, कि जैसे उनके पूर्वज मेरे मार्ग पर चलते थे वैसे ही थे भी चलेंगे कि नहीं। 
23 इसलिथे यहोवा ने उन जातियोंको एकाएक न निकाला, वरन रहने दिया, और उस ने उन्हें यहोशू के हाथ में भी उनको न सौंपा या।।