1 इस्राएली पुरूषोंने तो मिस्पा में शपय खाकर कहा या, कि हम में कोई अपक्की बेटी किसी बिन्यामीनी को न ब्याह देगा।
2 वे बेतेल को जाकर सांफ तक परमेश्वर के साम्हने बैठे रहे, और फूट फूटकर बहुत रोते रहे।
3 और कहते थे, हे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा, इस्राएल में ऐसा क्योंहोने पाया, कि आज इस्राएल में एक गोत्र की घटी हुई है?
4 फिर दूसरे दिन उन्होंने सवेरे उठ वहां वेदी बनाकर होमबलि और मेलबलि चढ़ाए।
5 तब इस्राएली पूछने लगे, इस्राएल के सारे गोत्रोंमें से कौन है जो यहोवा के पास सभा में न आया या? उन्होंने तो भारी शपय खाकर कहा या, कि जो कोई मिस्पा को यहोवा के पास न आए वह निश्चय मार डाला जाएगा।
6 तब इस्राएली अपके भाई बिन्यामीन के विषय में यह कहकर पछताने लगे, कि आज इस्राएल में से एक गोत्र कट गया है।
7 हम ने जो यहोवा की शपय खाकर कहा है, कि हम उन्हें अपक्की किसी बेटी को न ब्याह देंगे, इसलिथे बचे हुओं को स्त्रियां मिलने के लिथे क्या करें?
8 जब उन्होंने यह पूछा, कि इस्राएल के गोत्रोंमें से कौन है जो मिस्पा को यहोवा के पास न आया या? तब यह मालूम हुआ, कि गिलादी यावेश से कोई छावनी में सभा को न आया या।
9 अर्यात् जब लोगोंकी गिनती की गई, तब यह जाना गया कि गिलादी यावेश के निवासियोंमें से कोई यहां नहीं है।
10 इसलिथे मण्डली ने बारह हजार शूरवीरोंको वहां यह आज्ञा देकर भेज दिया, कि तुम जाकर स्त्रियोंऔर बालबच्चोंसमेत गिलादी यावेश को तलवार से नाश करो।
11 और तुम्हें जो करना होगा वह यह है, कि सब पुरूषोंको और जितनी स्त्र्ियोंने पुरूष का मुंह देखा हो उनको सत्यानाश कर डालना।
12 और उन्हें गिलादी यावेश के निवासियोंमें से चार सौ जवान कुमारियां मिलीं जिन्होंने पुरूष का मुंह नहीं देखा या; और उन्हें वे शीलो को जो कनान देश में है छावनी में ले आए।।
13 तब सारी मण्डली ने उन बिन्यामीनियोंके पास जो रिम्मोन नाम चट्टान पर थे कहला भेजा, और उन से संधि का प्रचार कराया।
14 तब बिन्यामीन उसी समय लौट गए; और उनको वे स्त्रियां दी गईं जो गिलादी यावेश की स्त्रियोंमें से जीवित छोड़ी गईं यीं; तौभी वे उनके लिथे योड़ी यीं।
15 तब लोग बिन्यामीन के विषय फिर यह कहके पछताथे, कि यहोवा ने इस्राएल के गोत्रोंमें घटी की है।
16 तब मण्डली के वृद्ध गोत्रोंने कहा, कि बिन्यामीनी स्त्रियां जो नाश हुई हैं, तो बचे हुए पुरूषोंके लिथे स्त्री पाने का हम क्या उपाय करें?
17 फिर उन्होंने कहा, बचे हुए बिन्यामीनियोंके लिथे कोई भाग चाहिथे, ऐसा न हो कि इस्राएल में से एक गोत्र मिट जाए।
18 परन्तु हम तो अपक्की किसी बेटी को उन्हें ब्याह नहीं दे सकते, क्योंकि इस्राएलियोंने यह कहकर शपय खाई है कि शापित हो वह जो किसी बिन्यामीनी को अपक्की लड़की ब्याह दे।
19 फिर उन्होंने कहा, सुनो, शीलो जो बेतेल की उत्तर ओर, और उस सड़क की पूर्व ओर है जो बेतेल से शकेन को चक्की गई है, और लाबोना की दक्खिन ओर है, उस में प्रति वर्ष यहोवा का एक पर्व माना जाता है।
20 इसलिथे उन्होंने बिन्यामीनियोंको यह आज्ञा दी, कि तुम जाकर दाख की बारियोंके बीच घात लगाए बैठे रहो,
21 और देखते रहो; और यदि शीलो की लड़कियां नाचने को निकलें, तो तुम दाख की बारियोंसे निकलकर शीलो की लड़कियोंमें से अपक्की अपक्की स्त्री को पकड़कर बिन्यामीन के देश को चले जाना।
22 और जब उनके पिता वा भाई हमारे पास फगड़ने को आएंगे, तब हम उन से कहेंगे, कि अनुग्रह करके उनको हमें दे दो, क्योंकि लड़ाई के समय हम ने उन में से एक एक के लिथे स्त्री नहीं बचाई; और तुम लोगोंने तो उनको ब्याह नहीं दिया, नहीं तो तुम अब दोषी ठहरते।
23 तब बिन्यामीनियोंने ऐसा ही किया, अर्यात् उन्होंने अपक्की गिनती के अनुसार उन नाचनेवालियोंमें से पकड़कर स्त्रियां ले लीं; तब अपके भाग को लौट गए, और नगरोंको बसाकर उन में रहने लगे।
24 उसी समय इस्राएली वहां से चलकर अपके अपके गोत्र और अपके अपके घराने को गए, और वहां से वे अपके अपके निज भाग को गए।
25 उन दिनोंमें इस्राएलियोंका कोई राजा न या; जिसको जो ठीक सूफ पड़ता या वही वह करता या।।