1 जब सम्बल्लत ने सुना कि यहूदी लोग शहरपनाह को बना रहे हैं, तब उस ने बुरा माना, और बहुत रिसियाकर यहूदियोंको ठट्ठोंमें उड़ाने लगा।
2 वह अपके भाइयोंके और शोमरोन की सेना के साम्हने योंकहने लगा, वे निर्बल यहूदी क्या किया चाहते हैं? क्या वे वह काम अपके बल से करेंगे? क्या वे अपना स्यान दृढ़ करेंगे? क्या वे यज्ञ करेंगे? क्या वे आज ही सब काम निपटा डालेंगे? क्या वे मिट्टीके ढेरोंमें के जले हुए पत्य्रोंको फिर नथे सिक्के से बनाएंगे?
3 उसके पास तो अम्मोनी तोबियाह या, और वह कहने लगा, जो कुछ वे बना रहे हैं, यदि कोई गीदड़ भी उस पर चढ़े, तो वह उनकी बनाई हुई पत्यर की शहरपनाह को तोड़ देगा।
4 हे हमारे परमेश्वर सुन ले, कि हमारा अपमान हो रहा है; और उनका किया हुआ अपमान उन्हीं के सिर पर लौटा दे, और उन्हें बन्धुआई के देश में लुटवा दे।
5 और उनका अधर्म तू न ढांप, और न उनका पाप तेरे सम्मुख से मिटाया जाए; क्योंकि उन्होंने तुझे शहरपनाह बनानेवालोंके साम्हने क्रोध दिलाया है।
6 और हम लोगोंने शहरपनाह को बनाया; और सारी शहरपनाह आधी ऊंचाई तक जुड़ गई। क्योंकि लोगोंका मन उस काम में नित लगा रहा।
7 जब सम्बल्लत और तोबियाह और अरबियों, अम्मोनियोंऔर अशदोदियोंने सुना, कि यरूशलेम की शहरपनाह की मरम्मत होती जाती है, और उस में के नाके बन्द होने लगे हैं, तब उन्होंने बहुत ही बुरा माना;
8 और सभोंने एक मन से गोष्ठी की, कि जाकर यरूशलेम से लड़ें, और उस में गड़बड़ी डालें।
9 परन्तु हम लोगोंने अपके परमेश्वर से प्रार्यना की, और उनके डर के मारे उनके विरुद्ध दिन रात के पहरुए ठहरा दिए।
10 और यहूदी कहने लगे, ढोनेवालोंका बल घट गया, और मिट्टी बहुत पक्की है, इसलिथे शहरपनाह हम से नहीं बन सकती।
11 और हमारे शत्रु कहने लगे, कि जब तक हम उनके बीच में न महुंचे, और उन्हें घात करके वह काम बन्द न करें, तब तक उनको न कुछ मालूम होगा, और न कुछ दिखाई पकेगा।
12 फिर जो यहूदी उनके आस पास रहते थे, उन्होंने सब स्यानोंसे दस बार आ आकर, हम लोगोंसे कहा, तुम को हमारे पास लौट आना चाहिथे।
13 इस कारण मैं ने लोगोंको तलवारें, बछिर्यां और धनुष देकर शहरपनाह के पीछे सब से नीचे के खुले स्यानोंमें घराने घराने के अनुसार बैठा दिया।
14 तब मैं देखकर उठा, और रईसोंऔर हाकिमोंऔर और सब लोगोंसे कहा, उन से मत डरो; प्रभु जो महान और भययोग्य है, उसी को स्मरण करके, अपके भाइयों, बेटों, बेटियों, स्त्रियोंऔर घरोंके लिथे युद्ध करना।
15 जब हमारे शत्रुओं ने सुना, कि यह बात हम को मालूम हो गई है और परमेश्वर ने उनकी युक्ति निष्फल की है, तब हम सब के सब शहरपनाह के पास अपके अपके काम पर लौट गए।
16 और उस दिन से मेरे आधे सेवक तो उस काम मे लगे रहे और आधे बछिर्यों, तलवारों, धनुषोंऔर फिलमोंको धारण किए रहते थे; और यहूदा के सारे धराने के पीछे हाकिम रहा करते थे।
17 शहरपनाह के बनानेवाले और बोफ के ढोनेवाले दोनोंभार उठाते थे, अर्यत् एक हाथ से काम करते थे और दूसरे हाथ से हयियार पकड़े रहते थे।
18 और राज अपक्की अपक्की जांघ पर तलवार लटकाए हुए बनाते थे। और नरसिंगे का फूंकनेवाला मेरे पास रहता या।
19 इसलिथे मैं ने रईसों, हाकिमोंऔर सब लोगोंसे कहा, काम तो बड़ा और फैला हुआ है, और हम लोग शहरपनाह पर अलग अलग एक दूसरे से दूर रहते हैं।
20 इसलिथे जिधर से नरसिंगा तुम्हें सुनाई दे, उधर ही हमारे पास इकट्ठे हो जाना। हमारा परमेश्वर हमारी ओर से लड़ेगा।
21 योंहम काम में लगे रहे, और उन में आधे, पौ फटने से तारोंके निकलने तक बछिर्यां लिथे रहते थे।
22 फिर उसी समय मैं ने लोगोंसे यह भी कहा, कि एक एक मनुष्य अपके दास समेत यरूशलेम के भीतर रात बिताया करे, कि वे रात को तो हमारी रखवाली करें, और दिन को काम में लगे रहें।
23 और न तो मैं अपके कपके उतारता या, और न मेरे भाई, न मेरे सेवक, न वे पहरुए जो मेरे अनुचर थे, अपके कपके उतारते थे; सब कोई पानी के पास हयियार लिथे हुए जागते थे।