1 जब सातवां महीना निकट आया, उस समय सब इस्राएली अपके अपके नगर में थे। तब उन सब लोगोंने एक मन होकर, जलफाटक के साम्हने के चौक में इकट्ठे होकर, बज्रा शास्त्री से कहा, कि मूसा की जो व्यवस्या यहोवा ने इस्राएल को दी यी, उसकी पुस्तक ले आ।
2 तब एज्रा याजक सातवें महीने के पहिले दिन को क्या स्त्री, क्या पुरुष, जितने सुनकर समझ सकते थे, उन सभोंके साम्हने व्यवस्या को ले आया।
3 और वह उसकी बातें भोर से दो पहर तक उस चौक के साम्हने जो जलफाटक के साम्हने या, क्या स्त्री, क्या पुरुष और सब समझने वालोंको पढ़कर सुनाता रहा; और लोग व्यवस्या की पुस्तक पर कान लगाए रहे।
4 एज्रा शास्त्री, काठ के एक मचान पर जो इसी काम के लिथे बना या, ख्ड़ा हो गयां; और उसकी दाहिनी अलंग मत्तित्याह, शेमा, अनायाह, ऊरिय्याह, हिल्किय्याह और मासेयाह; और बाई अलंग, पदायाह, मीशाएल, मल्किय्याह, हाशूम, हश्बद्दाना,जकर्याह और मशुल्लाम खड़े हुए।
5 तब एज्रा ने जो सब लोगोंसे ऊंचे पर या, सभोंके देखते उस पुस्तक को खोल दिया; और जब उस ने उसको खोला, तब सब लोग उठ खाड़े हुए।
6 तब एज्रा ने महान परमेश्वर यहोवा को धन्य कहा; और सब लोगोंने अपके अपके हाथ उठाकर आमेन, आमेन, कहा; और सिर फुकाकर अपना अपना माया भूमि पर टेक कर यहोवा को दणडवत किया।
7 और थेशू, बानी, शेरेब्याह, यामीन, अक्कूब, शब्बतै, होदिय्याह, मासेयाह, कलीता, अजर्याह, योजाबाद, हानान और पलायाह नाम लेवीय, लोगोंको व्यवस्या समझाते गए, और लोग अपके अपके स्यान पर खड़े रहे।
8 और उन्होंने परमेश्वर की व्यवस्या की पुस्तक से पढ़कर अर्य समझा दिया; और लोगोंने पाठ को समझ लिया।
9 तब नहेमायाह जो अधिपति या, और एज्रा जो याजक और शास्त्री या, और जो लेवीय लोगोंको समझा रहे थे, उन्होंने सब लोगोंसे कहा, आज का दिन तुम्हारे परमेश्वर यहोवा के लिथे पवित्र है; इसलिथे विलाप न करो और न रोओ। क्योंकि सब लोग व्यवस्या के वचन सुनकर रोते रहे।
10 फिर उस ने उन से कहा, कि जाकर चिकना चिकना भोजन करो और मीठा मीठा रस पियो, और जिनके लिथे कुछ तैयार नहीं हुआ उनके पास बैना भेजो; क्योंकि आज का दिन हमारे प्रभु के लिथे पवित्र है; और उदास मत रहो, क्योंकि यहोवा का आनन्द तुम्हारा दृढ़ गढ़ है।
11 योंलेवियोंने सब लोगोंको यह कहकर चुप करा दिया, कि चुप रहो क्योंकि आज का दिन पवित्र है; और उदास मत रहो।
12 तब सब लोग खाने, पीने, बैना भेजने और बड़ा आनन्द मनाने को चले गए, क्योंकि जो वचन उनको समझाए गए थे, उन्हें वे समझ गए थे।
13 और दूसरे दिन को भी समस्त प्रजा के पितरोंके घराने के मुख्य मुख्य पुरुष और याजक और लेवीय लोग, एज्रा शास्त्री के पास व्यवस्या के वचन ध्यान से सुनने के लिथे इकट्टे हुए।
14 और उन्हें व्यवस्या में यह लिखा हुआ मिला, कि यहोवा ने मूसा से यह आज्ञा दिलाई यी, कि इस्राएली सातवें महीने के पर्व के समय फोपडिय़ोंमें रहा करें,
15 और अपके सब नगरोंऔर यरूशलेम में यह सुनाया और प्रचार किया जाए, कि पहाड़ पर जाकर जलपाई, तैलवृझ, मेंहदी, खजूर और घने घने वृझोंकी डालियां ले आकर फोपडिय़ां बनाओ, जैसे कि लिखा है।
16 सो सब लोग बाहर जाकर डालियां ले आए, और अपके अपके घर की छत पर, और अपके आंगनोंमें, और परमेश्वर के भवन के आंगनोंमें, और जलफाटक के चौक में, और एप्रैम के फाटक के चौक में, फोंपडिय़ां बना लीं।
17 वरन सब मणडली के लोग जितने बन्धुआई से छूटकर लौट आए थे, फोंपडिय़ां बना कर उन में टिके। नून के पुत्र यहोशू के दिनोंसे लेकर उस दिन तक इस्राएलियोंने ऐसा नहीं किया या। और उस समय बहुत बड़ा आनन्द हुआ।
18 फिर पक्कीले दिन से पिछले दिन तक एज्रा ने प्रतिदिन परमेश्वर की व्यवस्या की पुस्तक में से पढ़ पढ़कर सुनाया। योंवे सात दिन तक पर्व को मानते रहे, और साठवें दिन नियम के अनुसार महासभा हुई।