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नहेमायाह - Chapter 5

1 तब लोग और उनकी स्त्रियोंकी ओर से उनके भाई यहूदियोंके किरुद्ध बड़ी चिल्लाहट मची। 
2 कितने तो कहते थे, हम अपके बेटे-बेटियोंसमेत बहुत प्राणी हैं, इसलिथे हमें अन्न मिलना चाहिथे कि उसे खाकर जीवित रहें। 
3 और कितने कहते थे, कि हम अपके अपके खेतों, दाख की बारियोंऔर घरोंको महंगी के कारण बन्धक रखते हैं, कि हमें अन्न मिले। 
4 फिर कितने यह कहते थे, कि हम ने राजा के कर के लिथे अपके अपके खेतोंऔर दाख की बारियोंपर रुपया उधार लिया। 
5 परन्तु हमारा और हमारे भाइयोंका शरीर और हमारे और उनके लड़केबाले एक ही समान हैं, तौभी हम अपके बेटे-बेटियोंको दास बनाते हैं; वरन हमारी कोई कोई बेटी दासी भी हो चुकी हैं; और हमारा कुछ बस नहीं जलता, क्योंकि हमारे खेत और दाख की बारियां औरोंके हाथ पक्की हैं। 
6 यह चिल्लाहट ओर थे बातें सुनकर मैं बहुत क्रोधित हुआ। 
7 तब अपके मन में सोच विचार करके मैं ने रईसोंऔर हाकिमोंको घुड़ककर कहा, तुम अपके अपके भाई से ब्याज लेते हो। तब मैं ने उनके विरुद्ध एक बड़ी सभा की। 
8 और मैं ने उन से कहा, हम लोगोंने तो अपक्की शक्ति भर अपके यहूदी भाइयोंको जो अन्यजातियोंके हाथ बिक गए थे, दाम देकर छुड़ाया है, फिर क्या तुम अपके भाइयोंको बेचोगे? क्या वे हमारे हाथ बिकेंगे? तब वे चुप रहे और कुछ न कह सके। 
9 फिर मैं कहता गया, जो काम तुम करते हो वह अच्छा नहीं है; क्या तुम को इस कारण हमारे परमेश्वर का भय मानकर चलना न चाहिथे कि हमारे शत्रु जो अन्यजाति हैं, वे हमारी नामधराई न करें? 
10 मैं भी और मेरे भाई और सेवक उनको रुपया और अनाज उधार देते हैं, परन्तु हम इसका ब्याज छोड़ दें। 
11 आज ही अनको उनके खेत, और दाख, और जलपाई की बारियां, और घर फेर दो; और जो रुपया, अन्न, नया दाखमधु, और टटका तेल तुम उन से ले लेते हो, उसका सौवां भाग फेर दो? 
12 अन्होंने कहा, हम उन्हें फेर देंगे, और उन से कुछ न लेंगे; जैसा तू कहता है, वैसा ही हम करेंगे। तब मैं ने याजकोंको बुलाकर उन लोगोंको यह शपय खिलाई, कि वे इसी वचन के अनुसार करेंगे। 
13 फिर मैं ने अपके कपके की छोर फाड़कर कहा, इसी रीति से जो कोई इस वचन को पूरा न करे, उसको परमेश्वर फाड़कर, उसका घर और कमाई उस से छुड़ाए, और इसी रीति से वह फाड़ा जाए, और छूछा हो जाए। तब सारी सभा ने कहा, आमेन ! और यहोवा की स्तुति की। और लोगोंने इस वचन के अनुसार काम किया। 
14 फिर जब से मैं यहूदा देश में उनका अधिपति ठहराया गया, अर्यात्‌ राजा अर्तझत्र के बीसवें वर्ष से ले उसके बत्तीसवें वर्ष तक, अर्यात्‌ बारह वर्ष तक मैं और मेरे भाई अधिपति के हक का भोजन खाते रहे। 
15 परन्तु पहिले अधिपति जो मुझ से आगे थे, वह प्रजा पर भार डालते थे, और उन से रोटी, और दाखमधु, और इस से अधिक चालीस शेकेल चान्दी लेते थे, वरन उनके सेवक भी प्रजा के ऊपर अधिक्कारने जताते थे; परन्तु मैं ऐसा नहीं करता या, क्योंकि मैं यहोवा का भय मानता या। 
16 फिर मैं शहरपनाह के काम में लिपटा रहा, और हम लोगोंने कुछ भूमि मोल न ली; और मेरे सब सेवक काम करने के लिथे वहां इकट्ठे रहते थे। 
17 फिर मेरी मेज पर खानेवाले एक सौ पचास यहूदी और हाकिम और वे भी थे, जो चारोंओर की अन्यजातियोंमें से हमारे पास आए थे। 
18 और जो प्रतिदिन के लिथे तैयार किया जाता या वह एक बैल, छ: अच्छी अच्छी भेड़ें व बकरियां यीं, और मेरे लिथे चिडिय़ें भी तैयार की जाती यीं; दस दस दिन के बाद भांति भांति का बहुत दाखमधु भी तैयार किया जाता या; परन्तु तौभी मैं ने अधिपति के हक का भोज नहीं लिया, 
19 क्योंकि काम का भार प्रजा पर भारी या। हे मेरे परमेश्वर ! जो कुछ मैं ने इस प्रजा के लिथे किया है, उसे तू मेरे हित के लिथे स्मरण रख।