1 आदि में वचन या, और वचन परमेश्वर के साय या, और वचन परमेश्वर या।
2 यही आदि में परमेश्वर के साय या।
3 सब कुछ उसी के द्वारा उत्पन्न हुआ और जो कुछ उत्पन्न हुआ है, उस में से कोई भी वस्तु उसके बिना उत्पन्न न हुई।
4 उस में जीवन या; और वह जीवन मुनष्योंकी ज्योति यी।
5 और ज्योति अन्धकार में चमकती है; और अन्धकार ने उसे ग्रहण न किया।
6 एक मनुष्य परमेश्वर की ओर से आ उपस्यित हुआ जिस का नाम यूहन्ना या।
7 यह गवाही देने आया, कि ज्योति की गवाही दे, ताकि सब उसके द्वारा विश्वास लाएं।
8 वह आप तो वह ज्योति न या, परन्तु उस ज्योति की गवाही देने के लिथे आया या।
9 सच्ची ज्योति जो हर एक मनुष्य को प्रकाशित करती है, जगत में आनेवाली यी।
10 वह जगत में या, और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहिचाना।
11 वह अपके घर में आया और उसके अपनोंने उसे ग्रहण नहीं किया।
12 परन्तु जितनोंने उसे ग्रहण किया, उस ने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिक्कारने दिया, अर्यात् उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं।
13 वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं।
14 और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा।
15 यूहन्ना ने उसके विषय में गवाही दी, और पुकारकर कहा, कि यह वही है, जिस का मैं ने वर्णन किया, कि जो मेरे बाद आ रहा है, वह मुझ से बढ़कर है क्योंकि वह मुझ से पहिले या।
16 क्योंकि उस की परिपूर्णता से हम सब ने प्राप्त किया अर्यात् अनुग्रह पर अनुग्रह।
17 इसलिथे कि व्यवस्या तो मूसा के द्वारा दी गई; परन्तु अनुग्रह, और सच्चाई यीशु मसीह के द्वारा पहुंची।
18 परमेश्वर को किसी ने कभी नहीं देखा, एकलौता पुत्र जो पिता की गोद में हैं, उसी ने उसे प्रगट किया।।
19 यूहन्ना की गवाही यह है, कि जब यहूदियोंने यरूशलेम से याजकोंऔर लेवीयोंको उस से यह पूछने के लिथे भेजा, कि तू कौन है
20 तो उस ने यह मान लिया, और इन्कार नहीं किया परन्तु मान लिया कि मैं मसीह नहीं हूं।
21 तब उन्होंने उस से पूछा, तो फिर कौन है क्या तू एलिय्याह है उस ने कहा, मैं नहीं हूं: तो क्या तू वह भविष्यद्वक्ता है उस ने उत्तर दिया, कि नहीं।
22 तब उन्होंने उस से पूछा, फिर तू है कौन ताकि हम अपके भेजनेवालोंको उत्तर दें; तू अपके विषय में क्या कहता है
23 उस ने कहा, मैं जैसा यशायाह भविष्यद्वक्ता ने कहा है, जंगल में एक पुकारनेवाले का शब्द हूं कि तुम प्रभु का मार्ग सीधा करो।
24 थे फरीसियोंकी ओर से भेजे गए थे।
25 उन्होंने उस से यह प्रश्न पूछा, कि यदि तू न मसीह है, और न एलिय्याह, और न वह भविष्यद्वक्ता है, तो फिर बपतिस्क़ा क्योंदेता है
26 यूहन्ना ने उन को उत्तर दिया, कि मैं तो जल से बपतिस्क़ा देता हूं; परन्तु तुम्हारे बीच में एक व्यक्ति खड़ा है, जिसे तुम नहीं जानते।
27 अर्यात् मेरे बाद आनेवाला है, जिस की जूती का बन्ध मैं खोलने के योग्य नहीं।
28 थे बातें यरदन के पार बैतनिय्याह में हुई, जहां यूहन्ना बपतिस्क़ा देता या।
29 दूसरे दिन उस ने यीशु को अपक्की ओर आते देखकर कहा, देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है, जो जगत के पाप उठा ले जाता है।
30 यह वही है, जिस के विषय में मैं ने कहा या, कि एक पुरूष मेरे पीछे आता है, जो मुझ से श्र्ेष्ठ है, क्योंकि वह मुझ से पहिले या।
31 और मैं तो उसे पहिचानता न या, परन्तु इसलिथे मैं जल से बपतिस्क़ा देता हुआ आया, कि वह इस्त्राएल पर प्रगट हो जाए।
32 और यूहन्ना ने यह गवाही दी, कि मैं ने आत्क़ा को कबूतर की नाईं आकाश से उतरते देखा है, और वह उस पर ठहर गया।
33 और मैं तो उसे पहिचानता न या, परन्तु जिस ने मुझे जल से बपतिस्क़ा देने को भेजा, उसी ने मुझ से कहा, कि जिस पर तू आत्क़ा को उतरते और ठहरते देखे; वही पवित्र आत्क़ा से बपतिस्क़ा देनेवाला है।
34 और मैं ने देखा, और गवाही दी है, कि यही परमेश्वर का पुत्र है।।
35 दूसरे दिन फिर यूहन्ना और उसके चेलोंमें से दो जन खड़े हुए थे।
36 और उस ने यीशु पर जो जा रहा या दृष्टि करके कहा, देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है।
37 तब वे दोनोंचेले उस की सुनकर यीशु के पीछे हो लिए।
38 यीशु ने फिरकर और उन को पीछे आते देखकर उन से कहा, तुम किस की खोज में हो उन्होंने उस से कहा, हे रब्बी, अर्यात् (हे गुरू) तू कहां रहता है उस ने उन से कहा, चलो, तो देख लोगे।
39 तब उन्होंने आकर उसके रहने का स्यान देखा, और उस दिन उसी के साय रहे; और यह दसवें घंटे के लगभग या।
40 उन दोनोंमें से जो यूहन्ना की बात सुनकर यीशु के पीछे हो लिए थे, एक तो शमौन पतरस का भाई अन्द्रियास या।
41 उस ने पहिले अपके सगे भाईं शमौन से मिलकर उस से कहा, कि हम को खि्रस्तस अर्यात् मसीह मिल गया।
42 वह उसे यीशु के पास लाया: यीशु ने उस पर दृष्टि करके कहा, कि तू यूहन्ना का पुत्र शमौन है, तू केफा, अर्यात् पतरस कहलाएगा।।
43 ूदूसरे दिन यीशु ने गलील को जाना चाहा; और फिलप्पुस से मिलकर कहा, मेरे पीछे हो ले।
44 फिलप्पुस तो अन्द्रियास और पतरस के नगर बैतसैदा का निवासी या।
45 फिलप्पुस ने नतनएल से मिलकर उस से कहा, कि जिस का वर्णन मूसा ने व्यवस्या में और भविष्यद्वक्ताओं ने किया है, वह हम को मिल गया; वह यूसुफ का पुत्र, यीशु नासरी है।
46 नतनएल ने उस से कहा, क्या कोई अच्छी वस्तु भी नासरत से निकल सकती है फिलप्पुस ने उस से कहा, चलकर देख ले।
47 यीशु ने नतनएल को अपक्की ओर आते देखकर उसके विषय में कहा, देखो, यह सचमुच इस्त्राएली है: इस में कपट नहीं।
48 नतनएल ने उस से कहा, तू मुझे कहां से जानता है यीशु ने उस को उत्तर दिया; उस से पहिले कि फिलप्पुस ने तुझे बुलाया, जब तू अंजीर के पेड़ के तले या, तब मैं ने तुझे देखा या।
49 नतनएल ने उस को उत्तर दिया, कि हे रब्बी, तू परमेश्वर का पुत्र है; तू इस्त्राएल का महाराजा है।
50 यीशु ने उस को उत्तर दिया;
51 मैं ने जो तुझ से कहा, कि में ने तुझे अंजीर के पेड़ के तले देखा, क्या तू इसी लिथे विश्वास करता है तू इस से बड़े बड़े काम देखेगा।