1 इन बातोंके बाद यीशु गलील में फिरता रहा, क्योंकि यहूदी उसे मार डालने का यत्न कर रहे थे, इसलिथे वह यहूदिया में फिरना न चाहता या।
2 और यहूदियोंका मण्डपोंका पर्ब्ब निकट या।
3 इसलिथे उसके भाइयोंने उस से कहा, यहां से कूच करके यहूदिया में चला जा, कि जो काम तू करता है, उन्हें तेरे चेले भी देखें।
4 क्योंकिं ऐसा कोई न होगा जो प्रसिद्ध होना चाहे, और छिपकर काम करे: यदि तू यह काम करता है, तो अपके तई जगत पर प्रगट कर।
5 क्योंकि उसके भाई भी उस पर विश्वास नहीं करते थे।
6 तब यीशु ने उन से कहा, मेरा समय अभी नहीं आया; परन्तु तुम्हारे लिथे सब समय है।
7 जगत तुम से बैर नहीं कर सकता, परन्तु वह मुझ से बैर करता है, क्योंकि मैं उसके विरोध में यह गवाही देता हूं, कि उसके काम बुरे हैं।
8 तुम पर्ब्ब में जाओ: मैं अभी इस पर्ब्ब में नहीं जाता; क्योंकि अभी तक मेरा समय पूरा नहीं हुआ।
9 वह उन से थे बातें कहकर गलील ही में रह गया।।
10 परन्तु जब उसके भाई पर्ब्ब में चले गए, तो वह आप ही प्रगट में नहीं, परन्तु मानोंगुप्त होकर गया।
11 तो यहूदी पर्ब्ब में उसे यह कहकर ढूंढ़ने लगे कि वह कहां है
12 और लोगोंमें उसके विषय चुपके चुपके बहुत सी बातें हुईं: कितने कहते थे; वह भला मनुष्य है: और कितने कहते थे; नहीं, वह लोगोंको भरमाता है।
13 तौभी यहूदियोंके भय के मारे कोई व्यक्ति उसके विषय में खुलकर नहीं बोलता या।
14 और जब पर्ब्ब के आधे दिन बीत गए; तो यीशु मन्दिर में जाकर उपकेश करने लगा।
15 तब यहूदियोंने अचम्भा करके कहा, कि इसे बिन पढ़े विद्या कैसे आ गई
16 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, कि मेरा उपकेश मेरा नहीं, परन्तु मेरे भेजनेवाले का है।
17 यदि कोई उस की इच्छा पर चलना चाहे, तो वह इस उपकेश के विषय में जान जाएगा कि वह परमेश्वर की ओर से है, या मैं अपक्की ओर से कहता हूं।
18 जो अपक्की ओर से कुछ कहता है, वह अपक्की ही बढ़ाई चाहता है; परन्तु जो अपके भेजनेवाले की बड़ाई चाहता है वही सच्चा है, और उस में अधर्म नहीं।
19 क्या मूसा ने तुम्हें व्यवस्या नहीं दी तौभी तुम में से काई व्यवस्या पर नहीं चलता। तुम क्योंमुझे मार डालना चाहते हो
20 लोगोंने उत्तर दिया; कि तुझ में दुष्टात्क़ा है; कौन तुझे मार डालना चाहता है
21 यीशु ने उन को उत्तर दिया, कि मैं ने एक काम किया, और तुम सब अचम्भा करते हो।
22 इसी कारण मूसा ने तुम्हें खतने की आज्ञा दी है (यह नहीं कि वह मूसा की ओर से है परन्तु बाप-दादोंसे चक्की आई है), और तुम सब्त के दिन को मनुष्य का खतना करते हो।
23 जब सब्त के दिन मनुष्य का खतना किया जाता है ताकि मूसा की व्यवस्या की आज्ञा टल न जाए, तो तुम मुझ पर क्योंइसलिथे क्रोध करते हो, कि मैं ने सब्त के दिन एक मनुष्य को पूरी रीति से चंगा किया।
24 मुंह देखकर न्याय न चुकाओ, परन्तु ठीक ठीक न्याय चुकाओ।।
25 तब कितने यरूशलेमी कहने लगे; क्या यह वह नहीं, जिस के मार डालने का प्रयत्न किया जा रहा है।
26 परन्तु देखो, वह तो खुल्लमखुल्ला बातें करता है और कोई उस से कुछ नहीं कहता; क्या सम्भव है कि सरदारोंने सच सच जान लिया है; कि यही मसीह है।
27 इस को तो हम जानते हैं, कि यह कहां का है; परन्तु मसीह जब आएगा, तो कोई न जानेगा कि वह कहां का है।
28 तब यीशु ने मन्दिर में उपकेश देते हुए पुकार के कहा, तुम मुझे जानते हो और यह भी जानते हो कि मैं कहां का हूं: मैं तो आप से नहीं आया परन्तु मेरा भेजनेवाला सच्चा है, उस को तुम नहीं जानते।
29 मैं उसे जानता हूं; क्योंकि मैं उस की ओर से हूं और उसी ने मुझे भेजा है।
30 इस पर उन्होंने उसे पकड़ना चाहा तौभी किसी ने उस पर हाथ न डाला, क्योंकि उसका समय अब तक न आया या।
31 और भीड़ में से बहुतेरोंने उस पर विश्वास किया, और कहने लगे, कि मसीह जब आएगा, तो क्या इस से अधिक आश्चर्यकर्म दिखाएगा जो इस ने दिखाए
32 फरीसियोंने लोगोंको उसके विषय में थे बातें चुपके चुपके करते सुना; और महाथाजकोंऔर फरीसियोंने उसके पकड़ने को सिपाही भेजे।
33 इस पर यीशु ने कहा, मैं योड़ी देर तक और तुम्हारे साय हूं; तब अपके भेजनेवाले के पास चला जाऊंगा।
34 तुम मुझे ढूंढ़ोगे, परन्तु नहीं पाओगे और जहां मैं हूं, वहां तुम नहीं आ सकते।
35 यहूदियोंने आपस में कहा, यह कहां जाएगा, कि हम इसे न पाएंगे: क्या वह उन के पास जाएगा, जो यूनानियोंमें तित्तर बित्तर होकर रहते हैं, और यूनानियोंको भी उपकेश देगा
36 यह क्या बात है जो उस ने कही, कि तुम मुझे ढूंढ़ोगे, परन्तु न पाओगे: और जहां मैं हूं, वहां तुम नहीं आ सकते
37 फिर पर्ब्ब के अंतिम दिन, जो मुख्य दिन है, यीशु खड़ा हुआ और पुकार कर कहा, यदि कोई पियासा हो तो मेरे पास आकर पीए।
38 जो मुझ पर विश्वास करेगा, जैसा पवित्र शास्त्र में आया है उसके ह्रृदय में से जीवन के जल की नदियां बह निकलेगी।
39 उस ने यह वचन उस आत्क़ा के विषय में कहा, जिसे उस पर विश्वास करनेवाले पाने पर थे; क्योंकि आत्क़ा अब तक न उतरा या; क्योंकि यीशु अब तक अपक्की महिमा को न पहुंचा या।
40 तब भीड़ में से किसी किसी ने थे बातें सुन कर कहा, सचमुच यही वह भविष्यद्वक्ता है।
41 औरोंने कहा; यह मसीह है, परन्तु किसी ने कहा; क्योंक्या मसीह गलील से आएगा
42 क्या पवित्र शास्त्र में नहीं आया, कि मसीह दाऊद के वंश से और बैतलहम गांव से आएगा जहां दाऊद रहता या
43 सो उसके कारण लोगोंमें फूट पड़ी।
44 उन में से कितने उसे पकड़ना चाहते थे, परन्तु किसी ने उस पर हाथ न डाला।।
45 तब सिपाही महाथाजकोंऔर फरीसियोंके पास आए, और उन्होंने उन से कहा, तुम उसे क्योंनहीं लाए
46 सिपाहियोंने उत्तर दिया, कि किसी मनुष्य ने कभी ऐसी बातें न की।
47 फरीसियोंने उन को उत्तर दिया, क्या तुम भी भरमाए गए हो
48 क्या सरदारोंया फरीसियोंमें से किसी ने भी उस पर विश्वास किया है
49 परन्तु थे लोग जो व्यवस्या नहीं जानते, स्त्रापित हैं।
50 नीकुदेमुस ने, (जो पहिले उसके पास आया या और उन में से एक या), उन से कहा।
51 क्या हमारी व्यवस्या किसी व्यक्ति को जब तक पहिले उस की सुनकर जान न ले, कि वह क्या करता है; दोषी ठहराती है
52 उन्होंने उसे उत्तर दिया; क्या तू भी गलील का है ढूंढ़ और देख, कि गलील से कोई भविष्यद्वक्ता प्रगट नहीं होने का।
53 तब सब कोई अपके अपके घर को गए।।