1 फिर जाते हुए उस ने एक मनुष्य को देखा, जो जन्क़ का अन्धा या।
2 और उसके चेलोंने उस से पूछा, हे रब्बी, किस ने पाप किया या कि यह अन्धा जन्क़ा, इस मनुष्य ने, या उसके माता पिता ने
3 यीशु ने उत्तर दिया, कि न तो इस ने पाप किया या, न इस के माता पिता ने: परन्तु यह इसलिथे हुआ, कि परमेश्वर के काम उस में प्रगट हों।
4 जिस ने मुझे भेजा है; हमें उसके काम दिन ही दिन में करना अवश्य है: वह रात आनेवाली है जिस में कोई काम नहीं कर सकता।
5 जब तक मैं जंगल में हूं, तब तक जगत की ज्योति हूं।
6 यह कहकर उस ने भूमि पर यूका और उस यूक से मिट्टी सानी, और वह मिट्टी उस अन्धे की आंखोंपर लगाकर।
7 उस से कहा; जा शीलोह के कुण्ड में धो ले, (जिस का अर्य भेजा हुआ है) सो उस ने जाकर धोया, और देखता हुआ लौट आया।
8 तब पड़ोसी और जिन्होंने पिहले उसे भीख मांगते देखा या, कहने लगे; क्या यह वही नहीं, जो बैठा भीख मांगा करता या
9 कितनोंने कहा, यह वही है: औरोंने कहा, नहीं; परन्तु उसके समान है: उस ने कहा, मैं वही हूं।
10 तब वे उस से पूछने लगे, तेरी आंखें क्योंकर खुल गई
11 उस ने उत्तर दिया, कि यीशु नाम एक व्यक्ति ने मिट्टी सानी, और मेरी आंखोंपर लगाकर मुझ से कहा, कि शीलोह में जाकर धो ले; सो मैं गया, और धोकर देखने लगा।
12 उन्होंने उस से पूछा; वह कहां है उस ने कहा; मैं नहीं जानता।।
13 लोग उसे जो पहिले अन्धा या फरीसियोंके पास ले गए।
14 जिस दिन यीशु ने मिट्टी सानकर उस की आंखे खोली यी वह सब्त का दिन या।
15 फिर फरीसियोंने भी उस से पूछा; तेरी आंखें किस रीति से खुल गई उस न ेउन से कहा; उस ने मेरी आंखो पर मिट्टी लगाई, फिर मैं ने धो लिया, और अब देखता हूं।
16 इस पर कई फरीसी कहने लगे; यह मनुष्य परमेश्वर की ओर से नहीं, क्योंकि वह सब्त का दिन नहीं मानता। औरोंने कहा, पापी मनुष्य क्योंकर ऐसे चिन्ह दिखा सकता है सो उन में फूट पड़ी।
17 उन्होंने उस अन्धे से फिर कहा, उस ने जो तेरी आंखे खोली, तू उसके विषय में क्या कहता है उस ने कहा, यह भविष्यद्वक्ता है।
18 परन्तु यहूदियोंको विश्वास न हुआ कि यह अन्धा या और अब देखता है जब तक उन्होंने उसके माता-पिता को जिस की आंखे खुल गई यी, बुलाकर।
19 उन से न पूछा, कि क्या यह तुम्हारा पुत्र है, जिसे तुम कहते हो कि अन्धा जन्क़ा या फिर अब क्योंकर देखता है
20 उसके माता-पिता ने उत्तर दिया; हम तो जानते हैं कि यह हमारा पुत्र है, और अन्धा जन्क़ा या।
21 परन्तु हम यह नहीं जानते हैं कि अब क्योंकर देखता है; और न यह जानते हैं, कि किस ने उस की आंखे खोलीं; वह सयाना है; उसी से पूछ लो; वह अपके विषय में आप कह देगा।
22 थे बातें उसके माता-पिता ने इसलिथे कहीं क्योंकि वे यहूदियोंसे डरते थे; क्योकि यहूदी एका कर चुके थे, कि यदि कोई कहे कि वह मसीह है, तो आराधनालय से निकाला जाए।
23 इसी कारण उसके माता-पिता ने कहा, कि वह सयाना है; उसी से पूछ लो।
24 तब उन्होंने उस मनुष्य को जो अन्धा या दूसरी बार बुलाकर उस से कहा, परमेश्वर की स्तुति कर; हम तो जानते हैं कि वह मनुष्य पापी है।
25 उस ने उत्तर दिया: मैं नहीं जानता कि वह पापी है या नहीं: मैं एक बात जानता हूं कि मैं अन्धा या और अब देखता हूं।
26 उन्होंने उस से फिर कहा, कि उस ने तेरे साय क्या किया और किस तेरह तेरी आंखें खोली
27 उस ने उन से कहा; मैं तो तुम से कह चुका, और तुम ने ने सुना; अब दूसरी बार क्योंसुनना चाहते हो क्या तुम भी उसके चेले होना चाहते हो
28 तब वे उसे बुरा-भला कहकर बोले, तू ही उसका चेला है; हम तो मूसा के चेले हैं।
29 हम जानते हैं कि परमेश्वर ने मूसा से बातें कीं; परन्तु इस मनुष्य को नहीं जानते की कहां का है।
30 उस ने उन को उत्तर दिया; यह तो अचम्भे की बात है कि तुम नहीं जानते की कहां का है तौभी उस ने मेरी आंखें खोल दीं।
31 हम जानते हैं कि परमेश्वर पापियोंकी नहीं सुनता परन्तु यदि कोई परमेश्वर का भक्त हो, और उस की इच्छा पर चलता है, तो वह उस की सुनता है।
32 जगत के आरम्भ से यह कभी सुनने में नहीं आया, कि किसी ने भी जन्क़ के अन्धे की आंखे खोली हों।
33 यदि यह व्यक्ति परमेश्वर की ओर से न होता, तो कुछ भी नहीं कर सकता।
34 उन्होंने उस को उत्तर दिया, कि तू तो बिलकुल पापोंमें जन्क़ा है, तू हमें क्या सिखाता है और उन्होंने उसे बाहर निकाल दिया।।
35 यीशु ने सुना, कि उन्होंने उसे बाहर निकाल दिया है; और जब उसे भेंट हुई तो कहा, कि क्या तू परमेश्वर के पुत्र पर विश्वास करता है
36 उस ने उत्तर दिया, कि हे प्रभु; वह कौन है कि मैं उस पर विश्वास करूं
37 यीशु ने उस से कहा, तू ने उसे देखा भी है; और जो तेरे साय बातें कर रहा है वही है।
38 उस ने कहा, हे प्रभु, मैं विश्वास करता हूं: और उसे दंडवत किया।
39 तब यीशु ने कहा, मैं इस जगत में न्याय के लिथे आया हूं, ताकि जो नहीं देखते वे देखें, और जो देखते हैं वे अन्धे हो जाएं।
40 जो फरीसी उसके साय थे, उन्होंने थे बातें सुन कर उस से कहा, क्या हम भी अन्धे हैं
41 यीशु ने उन से कहा, यदि तुम अन्धे होते तो पापी न ठहरते परन्तु अब कहते हो, कि हम देखते हैं, इसलिथे तुम्हारा पाप बना रहता है।।