1 फिर यीशु फतह से छ: दिन पहिले बैतनिय्याह में आया, जंहा लाजर या: जिसे यीशु ने मरे हुओं में से जिलाया या।
2 वहां उन्होंने उसके लिथे भोजन तैयार किया, और मरया सेवा कर रही यी, और लाजर उन में से एक या, जो उसके साय भोजन करने के लिथे बैठे थे।
3 तब मरियम ने जटामासी का आध सेर बहुमोल इत्र लेकर यीशु के पावोंपर डाला, और अपके बालोंसे उसके पांव पोंछे, और इत्र की सुगंध से घर सुगन्धित हो गया।
4 परन्तु उसके चेलोंमें से यहूदा इस्किरयोती नाम एक चेला जो उसे पकड़वाने पर या, कहने लगा।
5 यह इत्र तीन सौ दीनार में बेचकर कंगालोंको कयोंन दिया गया
6 उस ने यह बात इसलिथे न कही, कि उसे कंगालोंकी चिन्ता यी, परन्तु इसलिथे कि वह चोर या और उसके पास उन की यैली रहती यी, और उस में जो कुछ डाला जाता या, वह निकाल लेता या।
7 यीशु ने कहा, उसे मेरे गाड़े जाने के दिन के लिथे रहने दे।
8 क्योंकि कंगाल तो तुम्हारे साय सदा रहते हैं, परन्तु मैं तुम्हारे साय सदा न रहूंगा।।
9 यहूदियोंमें से साधारण लोग जान गए, कि वह वहां है, और वे न केवल यीशु के कारण आए परन्तु इसलिथे भी कि लाजर को देंखें, जिसे उस ने मरे हुओं में से जिलाया या।
10 तब महाथाजकोंने लाजर को भी मार डालने की सम्मति की।
11 क्योंकि उसके कारण बहुत से यहूदी चले गए, और यीशु पर विश्वास किया।।
12 दूसरे दिन बहुत से लोगोंने जो पर्ब्ब में आए थे, यह सुनकर, कि यीशु यरूशलेम में आता है।
13 खजूर की, डालियां लेीं, और उस से भेंट करने को निकले, और पुकारने लगे, कि होशाना, धन्य इस्त्राएल का राजा, जो प्रभु के नाम से आता है।
14 जब यीशु को एक गदहे का बच्चा मिला, तो उस पर बैठा।
15 जैसा लिखा है, कि हे सिय्योन की बेटी, मत डर, देख, तेरा राजा गदहे के बच्चे पर चढ़ा हुआ चला आता है।
16 उसके चेले, थे बातें पहिले न समझे थे; परन्तु जब यीशु की महिमा प्रगट हुई, तो उन को स्क़रण आया, कि थे बातें उसके विषय में लिखी हुई यीं; और लोगोंने उस से इस प्रकार का व्यवहार किया या।
17 तब भीड़ के लोगोंने जो उस समय उसके साय थे यह गवाही दी कि उस ने लाजर को कब्र में से बुलाकर, मरे हुओं में से जिलाया या।
18 इसी कारण लोग उस से भेंट करने को आए थे क्योंकि उन्होंने सुना या, कि उस ने यह आश्चर्यकर्म दिखाया है।
19 तब फरीसियोंने आपस में कहा, सोचो तो सही कि तुम से कुछ नहीं बन पड़ता: देखो, संसार उसके पीछे हो चला है।।
20 जो लोग उस पर्ब्ब में भजन करने आए थे उन में से कई यूनानी थे।
21 उन्होंने गलील के बैतसैदा के रहनेवाले फिलप्पुस के पास आकर उस से बिनती की, कि श्र्ीमान् हम यीशु से भेंट करना चाहते हैं।
22 फिलप्पुस ने आकर अद्रियास से कहा; तब अन्द्रियास और फिलप्पुस ने यीशु से कहा।
23 इस पर यीशु ने उन से कहा, वह समय आ गया है, कि मनुष्य के पुत्र कि महिमा हो।
24 मैं तुम से सच सच कहता हूं, कि जब तक गेहूं का दाना भूमि में पड़कर मर नहीं जाता, वह अकेला रहता है परन्तु जब मर जाता है, तो बहुत फल लाता है।
25 जो अपके प्राण को प्रिय जानता है, वह उसे खो देता है; और जो इस जगत में अपके प्राण को अप्रिय जानता हे, वह उसे खो देता है; और जो इस जगत में अपके प्राण को अप्रिय जानता है; वह अनन्त जीवन के लिथे उस की रझा करता करेगा।
26 यदि कोई मेरी सेवा करे, तो मेरे पीछे हो ले; और जहां मैं हूं वहां मेरा सेवक भी होगा; यदि कोई मेरी सेवा करे, तो पिता उसका आदर करेगा।
27 जब मेरा जी व्याकुल हो रहा है। इसलिथे अब मैं क्या कहूं हे पिता, मुझे इस घड़ी से बचा परन्तु मैं इसी कारण इस घड़ी को पहुंचा हूं।
28 हे पिता अपके नाम की महिमा कर: तब यह आकाशवाणी हुई, कि मैं ने उस की महिमा की है, और फिर भी करूंगा।
29 तब जो लोग खड़े हुए सुन रहे थे, उन्होंने कहा; कि बादल गरजा, औरोंने कहा, कोई स्वर्गदूत उस से बोला।
30 इस पर यीशु ने कहा, यह शब्द मेरे लिथे नहीं परन्तु तुम्हारे लिथे आया है।
31 अब इस जगत का न्याय होता है, अब इस जगत का सरदार निकाल दिया जाएगा।
32 और मैं यदि पृय्वी पर से ऊंचे पर चढ़ाया जाऊंगा, तो सब को अपके पास खीचंूगा।
33 ऐसा कहकर उस ने यह प्रगट कर दिया, कि वह कैसी मृत्यु से मरेगा।
34 इस पर लोगोंने उस से कहा, कि हम ने व्यवस्या की यह बात सुनी है, कि मसीह सर्वदा रहेगा, फिर तू क्योंकहता है, कि मनुष्य के पुत्र को ऊंचे पर चढ़ाया जाना अवश्य है
35 यह मनुष्य का पुत्र कौन है यीशु ने उन से कहा, ज्योति अब योड़ी देन तक तुम्हारे बीच में है, जब तक ज्योति तुम्हारे साय है तब तक चले चलो; ऐसा न हो कि अन्धकार तुम्हें आ घेरे; जो अन्धकार में चलता है वह नहीं जानता कि किधर जाता है।
36 जब तक ज्योति तुम्हारे साय है, ज्योति पर विश्वास करो कि तुम ज्योति के सन्तान होओ।। थे बातें कहकर यीशु चला गया और उन से छिपा रहा।
37 और उस ने उन के साम्हने इतने चिन्ह दिखाए, तौभी उन्होंने उस पर विश्वास न किया।
38 ताकि यशायाह भविष्यद्वक्ता का वचन पूरा हो जो उस ने कहा कि हे प्रभु हमारे समाचार की किस ने प्रतीति की है और प्रभु का भुजबल किस पर प्रगट हुआ
39 इस कारण वे विश्वास न कर सके, क्योंकि यशायाह ने फिर भी कहा।
40 कि उस ने उन की आंखें अन्धी, और उन का मन कठोर किया है; कहीं ऐसा न हो, कि आंखोंसे देखें, और मन से समझें, और फिरें, और मैं उन्हें चंगा करूं।
41 यशायाह ने थे बातें इसलिथे कहीं, कि उस ने उस की महिमा देखी; और उस ने उसके विषय में बातें की।
42 तौभी सरदारोंमें से भी बहुतोंने उस पर विश्वास किया, परन्तु फरीसियोंके कारण प्रगट में नहीं मानते थे, ऐसा न हो कि आराधनालय में से निकाले जाएं।
43 क्योंकि मनुष्योंकी प्रशंसा उन को परमेश्वर की प्रशंसा से अधिक प्रिय लगती यी।।
44 यीशु ने पुकारकर कहा, जो मुझ पर विश्वास करता है, वह मुझ पर नहीं, बरन मेरे भेजनेवाले पर विश्वास करता है।
45 और जो मुझे देखता है, वह मेरे भेजनेवाले को देखता है।
46 मैं जगत में ज्योति होकर आया हूं ताकि जो कोई मुझ पर विश्वास करे, वह अन्धकार में ने रहे।
47 यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता, क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिथे नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिथे आया हूं।
48 जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उस को दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्यात् जो वचन मैं ने कहा है, वह पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा।
49 क्योंकि मैं ने अपक्की ओर से बातें नहीं कीं, परन्तु पिता जिस ने मुझे भेजा है उसी ने मुझे आज्ञा दी है, कि क्या क्या कहूं और क्या क्या बोलूं
50 और मैं जानता हूं, कि उस की आज्ञा अनन्त जीवन है इसलिथे मैं जो बोलता हूं, वह जैसा पिता ने मुझ से कहा है वैसा ही बोलता हूं।।