1 तब शूही बिल्दद ने कहा,
2 तुम कब तक फन्दे लगा लगाकर वचन पकड़ते रहोगे? चित्त लगाओ, तब हम बोलेंगे।
3 हम लोग तुम्हारी दृष्टि में क्योंपशु के तुल्य समझे जाते, और अशुद्ध ठहरे हैं।
4 हे अपके को क्रोध में फाड़नेवाले क्या तेरे निमित्त पृय्वी उजड़ जाएगी, और चट्टान अपके स्यान से हट जाएगी?
5 तौभी दुष्टोंका दीपक बुफ जाएगा, और उसकी आग की लौ न चमकेगी।
6 उसके डेरे में का उजियाला अन्धेरा हो जाएगा, और उसके ऊपर का दिया बुफ जाएगा।
7 उसके बड़े बड़े फाल छोटे हो जाएंगे और वह अपक्की ही युक्ति के द्वारा गिरेगा।
8 वह अपना ही पांव जाल में फंसाएगा, वह फन्दोंपर चलता है।
9 उसकी एड़ी फन्दे में फंस जाएगी, और वह जाल में पकड़ा जाएगा।
10 फन्दे की रस्सियां उसके लिथे भूमि में, और जाल रास्ते में छिपा दिया गया है।
11 चारोंओर से डरावनी वस्तुएं उसे डराएंगी और उसके पीछे पड़कर उसको भगाएंगी।
12 उसका बल दु:ख से घट जाएगा, और विपत्ति उसके पास ही तैयार रहेगी।
13 वह उसके अंग को खा जाएगी, वरन काल का पहिलौठा उसके अंगोंको खा लेगा।
14 अपके जिस डेरे का भरोसा वह करता है, उस से वह छीन लिया जाएगा; और वह भयंकरता के राजा के पास पहुंचाया जाएगा।
15 जो उसके यहां का नहीं है वह उसके डेरे में वास करेगा, और उसके घर पर गन्धक छितराई जाएगी।
16 उसकी जड़ तो सूख जाएगी, और डालियां कट जाएंगी।
17 पृय्वी पर से उसका स्मरण मिट जाएगा, और बाज़ार में उसका नाम कभी न सुन पकेगा।
18 वह उजियाले से अन्धिक्कारने में ढकेल दिया जाएगा, और जगत में से भी भगाया जाएगा।
19 उसके कुटुम्बियोंमें उसके कोई पुत्रपौत्र न रहेगा, और जहां वह रहता या, वहां कोई बचा न रहेगा।
20 उसका दिन देखकर पूरबी लोग चकित होंगे, और पश्चिम के निवासियोंके रोएं खड़े हो जाएंगे।
21 नि:सन्देह कुटिल लोगोंके निवास ऐसे हो जाते हैं, और जिसको ईश्वर का ज्ञान नहीं रहता उसका स्यान ऐसा ही हो जाता है।