1 पुकार कर देख; क्या कोई है जो तुझे उत्तर देगा? और पवित्रोंमें से तू किस की ओर फिरेगा?
2 क्योंकि मूढ़ तो खेद करते करते नाश हो जाता है, और भोला जलते जलते मर मिटता है।
3 मैं ने मूढ़ को जड़ माड़ते देखा है; परन्तु अचानक मैं ने उसके वासस्यान को धिक्कारा।
4 उसके लड़केबाले उद्धार से दूर हैं, और वे फाटक में पीसे जाते हैं, और कोई नहीं है जो उन्हें छुड़ाए।
5 उसके खेत की उपज भूखे लोग खा लेते हैं, वरन कटीली बाड़ में से भी निकाल लेते हैं; और प्यासा उनके धन के लिथे फन्दा लगाता है।
6 क्योंकि विपत्ति धूल से उत्पन्न नहीं होती, और न कष्ट भूमि में से उगता है;
7 परन्तु जैसे चिंगारियां ऊपर ही ऊपर को उड़ जाती हैं,वैसे ही मनुष्य कष्ट ही भोगने के लिथे उत्पन्न हुआ है।
8 परन्तु मैं तो ईश्वर ही को खोजता रहूंगा और अपना मुक़द्दमा परमेश्वर पर छोड़ दूंगा।
9 वह तो एसे बड़े काम करता है जिनकी याह नहीं लगती, और इतने आश्चर्यकर्म करता है, जो गिने नहीं जाते।
10 वही पृय्वी के ऊपर वर्षा करता, और खेतोंपर जल बरसाता है।
11 इसी रीति वह नम्र लोगोंको ऊंचे स्यान पर बिठाता है, और शोक का पहिरावा पहिने हुए लोग ऊंचे पर पहुचकर बचते हैं।
12 वह तो धूर्त्त लोगोंकी कल्पनाएं व्यर्य कर देता है, और उनके हाथोंसे कुछ भी बन नहीं पड़ता।
13 वह बुद्धिमानोंको उनकी धूर्त्तता ही में फंसाता है; और कुटिल लोगोंकी युक्ति दूर की जाती है।
14 उन पर दिन को अन्धेरा छा जाता है, और दिन दुपहरी में वे रात की नाई टटोलते फिरते हैं।
15 परन्तु वह दरिद्रोंको उनके वचनरुपी तलवार से और बलवानोंके हाथ से बचाता है।
16 इसलिथे कंगालोंको आशा होती है, और कुटिल मनुष्योंका मुंह बन्द हो जाता है।
17 देख, क्या ही धन्य वह मनुष्य, जिसको ईश्वर ताड़ना देता है; इसलिथे तू सर्वशक्तिमान की ताड़ना को तुच्छ मत जान।
18 क्योंकि वही घायल करता, और वही पट्टी भी बान्धता है; वही मारता है, और वही अपके हाथोंसे चंगा भी करता है।
19 वह तुझे छ:विपत्तियोंसे छुड़ाएगा; वरन सात से भी तेरी कुछ हानि न होने पाएगी।
20 अकाल में वह तुझे मुत्यु से, और युद्ध में तलवार की धार से बचा लेगा।
21 तू वचनरूपी कोड़े से बचा रहेगा और जब विनाश आए, तब भी तुझे भय न होगा।
22 तू उजाड़ और अकाल के दिनोंमें हँसमुख रहेगा, और तुझे बनैले जन्तुओं से डर न लगेगा।
23 वरन मैदान के पत्यर भी तुझ से वाचा बान्धे रहेंगे, और वनपशु तुझ से मेल रखेंगे।
24 और तुझे निश्चय होगा, कि तेरा डेरा कुशल से है, और जब तू अपके निवास में देखे तब कोई वस्तु खेई न होगी।
25 तुझे यह भी निश्चित होगा, कि मेरे बहुत वंश होंगे। और मेरे सन्तान पृय्वी की घास के तुल्य बहुत होंगे।
26 जैसे पूलियोंका ढेर समय पर खलिहान में रखा जाता है, वैसे ही तू पूरी अवस्या का होकर क़ब्र को पहुंचेगा।
27 देख, हम ने खोज खोजकर ऐसा ही पाया है; इसे तू सुन, और अपके लाभ के लिथे ध्यान में रख।