1 फिर मैं ने आंखें उठाईं तो क्या देखा, कि हाथ में नापके की डोरी लिए हुए एक पुरूष है।
2 तब मैं ने उस से पूछा, तू कहां जाता है? उस ने मुझ से कहा, यरूशलेम को नापके जाता हूं कि देखूं उसकी चौड़ाई कितनी, और लम्बाई कितनी है।
3 तब मैं ने क्या देखा, कि जो दूत मुझ से बातें करता या वह चला गया, और दूसरा दूत उस से मिलने के लिथे आकर,
4 उस से कहता है, दौड़कर उस जवान से कह, यरूशलेम मनुष्योंऔर घरैलू पशुओं की बहुतायत के मारे शहरपनाह के बाहर बाहर भी बसेगी।
5 और याहोवा की यह वाणी है, कि मैं आप उसके चारोंओर आग की से शहरपनाह ठहरूंगा, और उसके बीच में तेजोमय होकर दिखाई दूंगा।।
6 यहोवा की यह वाणी है, देखो, सुनो उत्तर के देश में से भाग जाओ, क्योंकि मैं ने तुम को आकाश की चारोंवायुओं के समान तितर बितर किया है।
7 हे बाबुलवाली जाति के संग रहनेवाली, सिय्योन को बचकर निकल भाग!
8 क्योंकि सेनाओं का यहोवा योंकहता है, उस तेल के प्रगट होने के बाद उस ने मुझे उन जातियोंके पास भेजा है जो तुम्हें लूटती यीं, क्योंकि जो तुम को छूता है, वह मेरी आंख की पुतली ही को छूता है।
9 देखो, मैं अपना हाथ उन पर उठाऊंगा, तब वे उन्हीं से लूटे जाएंगे जो उनके दास हुए थे। तब तुम जानोगे कि सेनाओं के यहोवा ने मुझे भेजा है।
10 हे सिय्योन, ऊंचे स्वर से गा और आनन्द कर, क्योंकि देख, मैं आकर तेरे बीच में निवास करूंगा, यहोवा की यही वाणी है।
11 उस समय बहुत सी जातियां यहोवा से मिल जाएंगी, और मेरी प्रजा हो जाएंगी; और मैं तेरे बीच में बास करूंगा,
12 और तू जानेगी कि सेनाओं के यहोवा ने मुझे तेरे पास भेज दिया है। और यहोवा यहूदा को पवित्र देश में अपना भाग कर लेगा, और यरूशलेम को फिर अपना ठहराएगा।।
13 हे सब प्राणियों! यहोवा के साम्हने चुपके रहो; क्योंकि वह जागकर अपके पवित्र निवासस्यान से निकला है।।