1 इन बातोंके पश्चात् ऐसा हुआ कि परमेश्वर ने, इब्राहीम से यह कहकर उसकी पक्कीझा की, कि हे इब्राहीम : उस ने कहा, देख, मैं यहां हूं।
2 उस ने कहा, अपके पुत्र को अर्यात् अपके एकलौते पुत्र इसहाक को, जिस से तू प्रेम रखता है, संग लेकर मोरिय्याह देश में चला जा, और वहां उसको एक पहाड़ के ऊपर जो मैं तुझे बताऊंगा होमबलि करके चढ़ा।
3 सो इब्राहीम बिहान को तड़के उठा और अपके गदहे पर काठी कसकर अपके दो सेवक, और अपके पुत्र इसहाक को संग लिया, और होमबलि के लिथे लकड़ी चीर ली; तब कूच करके उस स्यान की ओर चला, जिसकी चर्चा परमेश्वर ने उस से की यी।
4 तीसरे दिन इब्राहीम ने आंखें उठाकर उस स्यान को दूर से देखा।
5 और उस ने अपके सेवकोंसे कहा गदहे के पास यहीं ठहरे रहो; यह लड़का और मैं वहां तक जाकर, और दण्डवत् करके, फिर तुम्हारे पास लौट आऊंगा।
6 सो इब्राहीम ने होमबलि की लकड़ी ले अपके पुत्र इसहाक पर लादी, और आग और छुरी को अपके हाथ में लिया; और वे दोनोंएक साय चल पके।
7 इसहाक ने अपके पिता इब्राहीम से कहा, हे मेरे पिता; उस ने कहा, हे मेरे पुत्र, क्या बात है उस ने कहा, देख, आग और लकड़ी तो हैं; पर होमबलि के लिथे भेड़ कहां है ?
8 इब्राहीम ने कहा, हे मेरे पुत्र, परमेश्वर होमबलि की भेड़ का उपाय आप ही करेगा।
9 सो वे दोनोंसंग संग आगे चलते गए। और वे उस स्यान को जिसे परमेश्वर ने उसको बताया या पहुंचे; तब इब्राहीम ने वहां वेदी बनाकर लकड़ी को चुन चुनकर रखा, और अपके पुत्र इसहाक को बान्ध के वेदी पर की लकड़ी के ऊपर रख दिया।
10 और इब्राहीम ने हाथ बढ़ाकर छुरी को ले लिया कि अपके पुत्र को बलि करे।
11 तब यहोवा के दूत ने स्वर्ग से उसको पुकार के कहा, हे इब्राहीम, हे इब्राहीम; उस ने कहा, देख, मैं यहां हूं।
12 उस ने कहा, उस लड़के पर हाथ मत बढ़ा, और न उस से कुछ कर : क्योंकि तू ने जो मुझ से अपके पुत्र, वरन अपके एकलौते पुत्र को भी, नहीं रख छोड़ा; इस से मै अब जान गया कि तू परमेश्वर का भय मानता है।
13 तब इब्राहीम ने आंखे उठाई, और क्या देखा, कि उसके पीछे एक मेढ़ा अपके सींगो से एक फाड़ी में बफा हुआ है : सो इब्राहीम ने जाके उस मेंढ़े को लिया, और अपके पुत्र की सन्ती होमबलि करके चढ़ाया।
14 और इब्राहीम ने उस स्यान का नाम यहोवा यिरे रखा : इसके अनुसार आज तक भी कहा जाता है, कि यहोवा के पहाड़ पर उपाय किया जाएगा।
15 फिर यहोवा के दूत ने दूसरी बार स्वर्ग से इब्राहीम को पुकार के कहा,
16 यहोवा की यह वाणी है, कि मैं अपक्की ही यह शपय खाता हूं, कि तू ने जो यह काम किया है कि अपके पुत्र, वरन अपके एकलौते पुत्र को भी, नहीं रख छोड़ा;
17 इस कारण मैं निश्चय तुझे आशीष दूंगा; और निश्चय तेरे वंश को आकाश के तारागण, और समुद्र के तीर की बालू के किनकोंके समान अनगिनित करूंगा, और तेरा वंश अपके शत्रुओं के नगरोंका अधिक्कारनेी होगा :
18 और पृय्वी की सारी जातियां अपके को तेरे वंश के कारण धन्य मानेंगी : क्योंकि तू ने मेरी बात मानी है।
19 तब इब्राहीम अपके सेवकोंके पास लौट आया, और वे सब बेर्शेबा को संग संग गए; और इब्राहीम बेर्शेबा में रहता रहा।।
20 इन बातोंके पश्चात् ऐसा हुआ कि इब्राहीम को यह सन्देश मिला, कि मिल्का के तेरे भाई नाहोर से सन्तान उत्पन्न हुए हैं।
21 मिल्का के पुत्र तो थे हुए, अर्यात् उसका जेठा ऊस, और ऊस का भाई बूज, और कमूएल, जो अराम का पिता हुआ।
22 फिर केसेद, हज़ो, पिल्दाश, यिद्लाप, और बतूएल।
23 इन आठोंको मिल्का इब्राहीम के भाई नाहोर के जन्माए जनी। और बतूएल ने रिबका को उत्पन्न किया।
24 फिर नाहोर के रूमा नाम एक रखेली भी यी; जिस से तेबह, गहम, तहश, और माका, उत्पन्न हुए।।