1 और लिआ: की बेटी दीना, जो याकूब से उत्पन्न हुई यी, उस देश की लड़कियोंसे भेंट करने को निकली।
2 तब उस देश के प्रधान हित्ती हमोर के पुत्र शकेम ने उसे देखा, और उसे ले जाकर उसके साय कुकर्म करके उसको भ्रष्ट कर डाला।
3 तब उसका मन याकूब की बेटी दीना से लग गया, और उस ने उस कन्या से प्रेम की बातें की, और उस से प्रेम करने लगा।
4 और शकेम ने अपके पिता हमोर से कहा, मुझे इस लड़की को मेरी पत्नी होने के लिथे दिला दे।
5 और याकूब ने सुना, कि शकेम ने मेरी बेटी दीना को अशुद्ध कर डाला है , पर उसके पुत्र उस समय पशुओं के संग मैदान में थे, सो वह उनके आने तक चुप रहा।
6 और शकेम का पिता हमोर निकलकर याकूब से बातचीत करने के लिथे उसके पास गया।
7 और याकूब के पुत्र सुनते ही मैदान से बहुत उदास और क्रोधित होकर आए: क्योंकि शकेम ने याकूब की बेटी के साय कुकर्म करके इस्राएल के घराने से मूर्खता का ऐसा काम किया या, जिसका करना अनुचित या।
8 हमोर ने उन सब से कहा, मेरे पुत्र शकेम का मन तुम्हारी बेटी पर बहुत लगा है, सो उसे उसकी पत्नी होने के लिथे उसको दे दो।
9 और हमारे साय ब्याह किया करो; अपक्की बेटियां हम को दिया करो, और हमारी बेटियोंको आप लिया करो।
10 और हमारे संग बसे रहो: और यह देश तुम्हारे सामने पड़ा है; इस में रहकर लेनदेन करो, और इसकी भूमि को अपके लिथे ले लो।
11 और शकेम ने भी दीना के पिता और भाइयोंसे कहा, यदि मुझ पर तुम लोगोंकी अनुग्रह की दृष्टि हो, तो जो कुछ तुम मुझ से कहा, सो मैं दूंगा।
12 तुम मुझ से कितना ही मूल्य वा बदला क्योंन मांगो, तौभी मैं तुम्हारे कहे के अनुसार दूंगा : परन्तु उस कन्या को पत्नी होने के लिथे मुझे दो।
13 तब यह सोचकर, कि शकेम ने हमारी बहिन दीना को अशुद्ध किया है, याकूब के पुत्रोंने शकेम और उसके पिता हमोर को छल के साय यह उत्तर दिया,
14 कि हम ऐसा काम नहीं कर सकते, कि किसी खतनारहित पुरूष को अपक्की बहिन दें; क्योंकि इस से हमारी नामधराई होगी :
15 इस बात पर तो हम तुम्हारी मान लेंगे, कि हमारी नाई तुम में से हर एक पुरूष का खतना किया जाए।
16 तब हम अपक्की बेटियां तुम्हें ब्याह देंगे, और तुम्हारी बेटियां ब्याह लेंगे, और तुम्हारे संग बसे भी रहेंगे, और हम दोनोंएक ही समुदाय के मनुष्य हो जाएंगे।
17 पर यदि तुम हमारी बात न मानकर अपना खतना न कराओगे, तो हम अपक्की लड़की को लेके यहां से चले जाएंगे।
18 उसकी इस बात पर हमोर और उसका पुत्र शकेम प्रसन्न हुए।
19 और वह जवान, जो याकूब की बेटी को बहुत चाहता या, इस काम को करने में उस ने विलम्ब न किया। वह तो अपके पिता के सारे घराने में अधिक प्रतिष्ठित या।
20 सो हमोर और उसका पुत्र शकेम अपके नगर के फाटक के निकट जाकर नगरवासिक्कों योंसमझाने लगे;
21 कि वे मनुष्य तो हमारे संग मेल से रहना चाहते हैं; सो उन्हें इस देश में रहके लेनदेन करने दो; देखो, यह देश उनके लिथे भी बहुत है; फिर हम लोग उनकी बेटियोंको ब्याह लें, और अपक्की बेटियोंको उन्हें दिया करें।
22 वे लोग केवल इस बात पर हमारे संग रहने और एक ही समुदाय के मनुष्य हो जाने को प्रसन्न हैं, कि उनकी नाई हमारे सब पुरूषोंका भी खतना किया जाए।
23 क्या उनकी भेड़-बकरियां, और गाय-बैल वरन उनके सारे पशु और धन सम्पत्ति हमारी न हो जाएगी? इतना की करें कि हम लोग उनकी बात मान लें, तो वे हमारे संग रहेंगे।
24 सो जितने उस नगर के फाटक से निकलते थे, उन सभोंने हमोर की और उसके पुत्र शकेम की बात मानी; और हर एक पुरूष का खतना किया गया, जितने उस नगर के फाटक से निकलते थे।
25 तीसरे दिन, जब वे लोग पीड़ित पके थे, तब ऐसा हुआ कि शिमोन और लेवी नाम याकूब के दो पुत्रोंने, जो दीना के भाई थे, अपक्की अपक्की तलवार ले उस नगर में निधड़क घुसकर सब पुरूषोंको घात किया।
26 और हमोर और उसके पुत्र शकेम को उन्होंने तलवार से मार डाला, और दीना को शकेम के घर से निकाल ले गए।
27 और याकूब के पुत्रोंने घात कर डालने पर भी चढ़कर नगर को इसलिथे लूट लिया, कि उस में उनकी बहिन अशुद्ध की गई यी।
28 उन्होंने भेड़-बकरी, और गाय-बैल, और गदहे, और नगर और मैदान में जितना धन या ले लिया।
29 उस सब को, और उनके बाल-बच्चों, और स्त्रियोंको भी हर ले गए, वरन घर घर में जो कुछ या, उसको भी उन्होंने लूट लिया।
30 तब याकूब ने शिमोन और लेवी से कहा, तुम ने जो उस देश के निवासी कनानियोंऔर परिज्जियोंके मन में मेरी ओर घृणा उत्पन्न कराई है, इस से तुम ने मुझे संकट में डाला है, क्योंकि मेरे साय तो योड़े की लोग हैं, सो अब वे इकट्ठे होकर मुझ पर चढ़ेंगे, और मुझे मार डालेंगे, सो मैं अपके घराने समेत सत्यानाश हो जाऊंगा।
31 उन्होंने कहा, क्या वह हमारी बहिन के साय वेश्या की नाई बर्ताव करे?