1 फिर यहोवा ने यहोशू से कहा,
2 इस्राएलियोंसे यह कह, कि मैं ने मूसा के द्वारा तुम से शरण नगरोंकी जो चर्चा की यी उसके अनुसार उनको ठहरा लो,
3 जिस से जो कोई भूल से बिना जाने किसी को मार डाले, वह उन में से किसी में भाग जाए; इसलिथे वे नगर खून के पलटा लेनेवाले से बचने के लिथे तुम्हारे शरणस्यान ठहरें।
4 वह उन नगरोंमें से किसी को भाग जाए, और उस नगर के फाटक में से खड़ा होकर उसके पुरनियोंको अपना मुकद्दमा कह सुनाए; और वे उसको अपके नगर में अपके पास टिका लें, और उसे कोई स्यान दें, जिस में वह उनके साय रहे।
5 और यदि खून का पलटा लेनेवाला उसका पीछा करे, तो वे यह जानकर कि उस ने अपके पड़ोसी को बिना जाने, और पहिले उस से बिना बैर रखे मारा, उस खूनी को उसके हाथ में न दें।
6 और जब तक वह मण्डली के साम्हने न्याय के लिथे खड़ा न हो, और जब तक उन दिनोंका महाथाजक न मर जाए, तब तक वह उसी नगर में रहे; उसके बाद वह खूनी अपके नगर को लौटकर जिस से वह भाग आया हो अपके घर में फिर रहने पाए।
7 और उन्होंने नप्ताली के पहाड़ी देश में गलील के केदेश को, और एप्रैम के पहाड़ी देश में शकेम को, और यहूदा के पहाड़ी देश में किर्य्यतर्बा को, (जो हेब्रोन भी कहलाता है) पवित्र ठहराया।
8 और यरीहो के पास के यरदन के पूर्व की ओर उन्होंने रूबेन के गोत्र के भाग में बसेरे को, जो जंगल में चौरस भूमि पर बसा हुआ है, और गाद के गोत्र के भाग में गिलाद के रमोत को, और मनश्शे के गोत्र के भाग में बाशान के गालान को ठहराया।
9 सारे इस्राएलियोंके लिथे, और उन के बीच रहनेवाले परदेशियोंके लिथे भी, जो नगर इस मनसा से ठहराए गए कि जो कोई किसी प्राणी को भूल से मार डाले वह उन में से किसी में भाग जाए, और जब तक न्याय के लिथे मण्डली के साम्हने खड़ा न हो, तब तक खून का पलटा लेनेवाला उसे मार डालने न पाए, वे यह ही हैं।।