1 उस समय यहोशू ने रूबेनियों, गादियों, और मनश्शे के आधे गोत्रियोंको बुलवाकर कहा,
2 जो जो आज्ञा यहोवा के दास मूसा ने तुम्हें दी यीं वे सब तुम ने मानी हैं, और जो जो आज्ञा मैं ने तुम्हें दी हैं उन सभोंको भी तुम ने माना है;
3 तुम ने अपके भाइयोंको इस मुद्दत में आज के दिन तक नहीं छोड़ा, परन्तु अपके परमेश्वर यहोवा की आज्ञा तुम ने चौकसी से मानी है।
4 और अब तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम्हारे भाइयोंको अपके वचन के अनुसार विश्रम दिया है; इसलिथे अब तुम लौटकर अपके अपके डेरोंको, और अपक्की अपक्की निज भूमि में, जिसे यहोवा के दास मूसा ने यरदन पार तुम्हें दिया है चले जाओ।
5 केवल इस बात की पूरी चौकसी करना कि जो जो आज्ञा और व्यवस्या यहोवा के दास मूसा ने तुम को दी है उसको मानकर अपके परमेश्वर यहोवा से प्रेम रखो, उसके सारे मार्गोंपर चलो, उसकी आज्ञाएं मानों, उसकी भंक्ति मे लौलीन रहो, और अपके सारे मन और सारे प्राण से उसकी सेवा करो।
6 तब यहोशू ने उन्हें आशीर्वाद देकर विदा किया; और वे अपके अपके डेरे को चले गए।।
7 मनश्शे के आधे गोत्रियोंको मूसा ने बासान में भाग दिया या; परन्तु दूसरे आधे गोत्र को यहोशू ने उनके भाइयोंके बीच यरदन के पश्चिम की ओर भाग दिया। उनको जब यहोशू ने विदा किया कि अपके अपके डेरे को जाएं,
8 तब उनको भी आशीर्वाद देकर कहा, बहुत से पशु, और चांदी, सोना, पीतल, लोहा, और बहुत से वस्त्र और बहुत धन-सम्पित लिए हुए अपके अपके डेरे को लौट आओ; और अपके शत्रुओं की लूट की सम्पत्ति को अपके भाइयोंके संग बांट लेना।।
9 तब रूबेनी, गादी, और मनश्शे के आधे गोत्री इस्राएलियोंके पास से, अर्यात् कनान देश के शीलो नगर से, अपक्की गिलाद नाम निज भूमि में, जो मूसा से दिलाई हुई, यहोवा की आज्ञा के अनुसार उनकी निज भूमि हो गई यी, जाने की मनसा से लौट गए।
10 और जब रूबेनी, गादी, और मनश्शे के आधे गोत्री यरदन की उस तराई में पहुंचे जो कनान देश में है, तब उन्होंने वहां देखने के योग्य एक बड़ी वेदी बनाई।
11 और इसका समाचार इस्राएलियोंके सुनने में आया, कि रूबेनियों, गादियों, और मनश्शे के आधे गोत्रियोंने कनान देश के साम्हने यरदन की तराई में, अर्यात् उसके उस पार जो इस्राएलियोंका है, एक वेदी बनाई है।
12 जब इस्राएलियोंने यह सुना, तब इस्राएलियोंकी सारी मण्डली उन से लड़ने के लिथे चढ़ाई करने को शीलो में इकट्ठी हुई।।
13 तब इस्राएलियोंने रूबेनियों, गादियों, और मनश्शे के आधे गोत्रियोंके पास गिलाद देश में एलीआज़र याजक के पुत्र पीनहास को,
14 और उसके संग दस प्रधानोंको, अर्यात् इस्राएल के एक एक गोत्र में से पूर्वजोंके घरानोंके एक एक प्रधान को भेजा, और वे इस्राएल के हजारोंमें अपके अपके पूर्वजोंके घरानोंके मुख्य पुरूष थे।
15 वे गिलाद देश में रूबेनियों, गादियों, और मनश्शे के आधे गोत्रियोंके पास जाकर कहने लगे,
16 यहोवा की सारी मण्डली यह कहती है, कि तुम ने इस्राएल के परमेश्वर यहोवा का यह कैसा विश्वासघात किया; आज जो तुम ने एक वेदी बना ली है, इस में तुम ने उसके पीछे चलना छोड़कर उसके विरूद्ध आज बलवा किया है?
17 सुनो, पोर के विषय का अधर्म हमारे लिथे कुछ कम या, यद्दपि यहोवा की मण्डली को भारी दण्ड मिला तौभी आज के दिन तक हम उस अधर्म से शुद्ध नहीं हुए; क्या वह तुम्हारी दृष्टि में एक छोटी बात है,
18 कि आज तुम यहोवा को त्यागकर उसके पीछे चलना छोड़ देते हो? क्या तुम यहोवा से फिर जाते हो, और कल वह इस्राएल की सारी मण्डली पर क्रोधित होगा।
19 परन्तु यदि तुम्हारी निज भूमि अशुद्ध हो, तो पार आकर यहोवा की निज भूमि में, जहां यहोवा का निवास रहता है, हम लोगोंके बीच में अपक्की अपक्की निज भूमि कर लो; परन्तु हमारे परमेश्वर यहोवा की बेदी को छोड़ और कोई वेदी बनाकर न तो यहोवा से बलवा करो, और न हम से।
20 देखो, जब जेरह के पुत्र आकान ने अर्पण की हुई वस्तु के विषय में विश्वासघात किया, तब क्या यहोवा का कोप इस्राएल की पूरी मण्डली पर न भड़का? और उस पुरूष के अधर्म का प्राणदण्ड अकेले उसी को न मिला।।
21 तब रूबेनियों, गादियों, और मनश्शे के आधे गोत्रियोंने इस्राएल के हजारोंके मुख्य पुरूषोंको यह उत्तर दिया,
22 कि यहोवा जो ईश्वरोंका परमेश्वर है, ईश्वरोंका परमेश्वर यहोवा इसको जानता है, और इस्राएली भी इसे जान लेंगे, कि यदि यहोवा से फिरके वा उसका विश्वासघात करके हम ने यह काम किया हो, तो तू आज हम को जीवित न छोड़,
23 यदि आज के दिन हम ने वेदी को इसलिथे बनाया हो कि यहोवा के पीछे चलना छोड़ दें, वा इसलिथे कि उस पर होमबलि, अन्नबलि, वा मेलबलि चढ़ाएं, तो यहोवा आप इसका हिसाब ले;
24 परन्तु हम ने इसी विचार और मनसा से यह किया है कि कहीं भविष्य में तुम्हारी सन्तान हमारी सन्तान से यह न कहने लगे, कि तुम को इस्राएल के परमेश्वर यहोवा से क्या काम?
25 क्योंकि, हे रूबेनियों, हे गादियों, यहोवा ने जो हमारे और तुम्हारे बीच में यरदन को हद्द ठहरा दिया है, इसलिथे यहोवा में तुम्हारा कोई भाग नहीं है। ऐसा कहकर तुम्हारी सन्तान हमारी सन्तान में से यहोवा का भय छुड़ा देगी।
26 इसीलिथे हम ने कहा, आओ, हम अपके लिथे एक वेदी बना लें, वह होमबलि वा मेलबलि के लिथे नहीं,
27 परन्तु इसलिथे कि हमारे और तुम्हारे, और हमारे बाद हमारे और तुम्हारे वंश के बीच में साझी का काम दे; इसलिथे कि हम होमबलि, मेलबलि, और बलिदान चढ़ाकर यहोवा के सम्मुख उसकी उपासना करें; और भविष्य में तुम्हारी सन्तान हमारी सन्तान से यह न कहने पाए, कि यहोवा में तुम्हारा कोई भाग नहीं।
28 इसलिथे हम ने कहा, कि जब वे लोग भविष्य में हम से वा हमारे वंश से योंकहने लेगें, तब हम उन से कहेंगे, कि यहोवा के वेदी के नमूने पर बनी हुई इस वेदी को देखो, जिसे हमारे पुरखाओं ने होमबलि वा मेलबलि के लिथे नहीं बनाया; परन्तु इसलिथे बनाया या कि हमारे और तुम्हारे बीच में साझी का काम दे।
29 यह हम से दूर रहे कि यहोवा से फिरकर आज उसके पीछे चलना छोड़ दें, और अपके परमेश्वर यहोवा की उस वेदी को छोड़कर जो उसके निवास के साम्हने है होमबलि, और अन्नबलि, वा मेलबलि के लिथे दूसरी वेदी बनाएं।।
30 रूबेनियों, गादियों, और मनश्शे के आधे गोत्रियोंकी इन बातोंको सुनकर पीनहास याजक और उसके संग मण्डली के प्रधान, जो इस्राएल के हजारोंके मुख्य पुरूष थे, वे अति प्रसन्न हुए।
31 और एलीआजर याजक के पुत्र पीनहास ने रूबेनियों, गादियों, और मनश्शेइयोंसे कहा, तुम ने जो यहोवा का ऐसा विश्वासघात नहीं किया, इस से आज हम ने यह जान लिया कि यहोवा हमारे बीच में है: और तुम लोगोंने इस्राएलियोंको यहोवा के हाथ से बचाया है।
32 तब एलीआज़र याजक का पुत्र पीनहास प्रधानोंसमेत रूबेनियोंऔर गादियोंके पास से गिलाद होते हुए कनान देश में इस्राएलियोंके पास लौट गया: और यह वृतान्त उनको कह सुनाया।
33 तब इस्राएली प्रसन्न हुए; और परमेश्वर को धन्य कहा, और रूबेनियोंऔर गादियोंसे लड़ने और उनके रहने का देश उजाड़ने के लिथे चढ़ाई करने की चर्चा फिर न की।
34 और रूबेनियोंऔर गादियोंने यह कहकर, कि यह वेदी हमारे और उनके मध्य में इस बात का साझी ठहरी है, कि यहोवा ही परमेश्वर है: उस वेदी का नाम एद रखा।।