1 जब यरदन के पच्छिम की ओर रहनेवाले एमोरियोंके सब राजाओं ने, और समुद्र के पास रहनेवाले कनानियोंके सब राजाओं ने यह सुना, कि यहोवा ने इस्राएलियोंके पार होने तक उनके साम्हने से यरदन का जल हटाकर सुखा रखा है, तब इस्राएलियोंके डर के मारे उनका मन घबरा गया, और उनके जी में जी न रहा।।
2 उस समय यहोवा ने यहोशू से कहा, चकमक की छुरियां बनवाकर दूसरी बार इस्राएलियोंका खतना करा दें।
3 तब यहोशू ने चकमक की छुरियां बनवाकर खलडिय़ां नाम टीले पर इस्राएलियोंका खतना कराया।
4 और यहोशू ने जो खतना कराया, इसका कारण यह है, कि जितने युद्ध के योग्य पुरूष मिस्र से निकले थे वे सब मिस्र से निकलने पर जंगल के मार्ग में मर गए थे।
5 जो पुरूष मिस्र से निकले थे उन सब का तो खतना हो चुका या, परन्तु जितने उनके मिस्र से निकलने पर जंगल के मार्ग में उत्पन्न हुए उन में से किसी का खतना न हुआ या।
6 क्योंकि इस्राएली तो चालीस वर्ष तक जंगल में फिरते रहे, जब तक उस सारी जाति के लोग, अर्यात् जितने युद्ध के योग्य लोग मिस्र से निकले थे वे नाश न हो गए, क्योंकि उन्होंने यहोवा की न मानी यी; सो यहोवा ने शपय खाकर उन से कहा या, कि जो देश मैं ने तुम्हारे पूर्वजोंसे शपय खाकर तुम्हें देने को कहा या, और उस में दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, वह देश मैं तुम को नहीं दिखाने का।
7 तो उन लोगोंके पुत्र जिन को यहोवा ने उनके स्यान पर उत्पन्न किया या, उनका खतना यहोशू से कराया, क्योंकि मार्ग में उनके खतना न होने के कारण वे खतनारहित थे।
8 और जब उस सारी जाति के लोगोंका खतना हो चुका, तब वे चंगे हो जाने तक अपके अपके स्यान पर छावनी में रहे।
9 तब यहोवा ने यहोशू से कहा, तुम्हारी नामधराई जो मिस्रियोंमें हुई है उसे मैं ने आज दूर की है। इस कारण उस स्यान का नाम आज के दिन तक गिलगाल पड़ा है।।
10 सो इस्राएली गिलगाल में डेरे डाले हुए रहे, और उन्होंने यरीहो के पास के अराबा में पूर्णमासी की सन्ध्या के समय फसह माना।
11 और फसह के दूसरे दिन वे उस देश की उपज में से अखमीरी रोटी और उसी दिन से भुना हुआ दाना भी खाने लगे।
12 और जिस दिन वे उस देश की उपज में से खाने लगे, उसी दिन बिहान को मन्ना बन्द हो गया; और इस्राएलियोंको आगे फिर कभी मन्ना न मिला, परन्तु उस वर्ष उन्होंने कनान देश की उपज में से खाई।।
13 जब यहोशू यरीहो के पास या तब उस ने अपक्की आंखें उठाई, और क्या देखा, कि हाथ में नंगी तलवार लिथे हुए एक पुरूष साम्हने खड़ा है; और यहोशू ने उसके पास जाकर पूछा, क्या तू हमारी ओर का है, वा हमारे बैरियोंकी ओर का?
14 उस ने उत्तर दिया, कि नहीं; मैं यहोवा की सेना का प्रधान होकर अभी आया हूं। तब यहोशू ने पृय्वी पर मुंह के बल गिरकर दण्डवत् किया, और उस से कहा, अपके दास के लिथे मेरे प्रभु की क्या आज्ञा है?
15 यहोवा की सेना के प्रधान ने यहोशू से कहा, अपक्की जूती पांव से उतार डाल, क्योंकि जिस स्यान पर तू खड़ा है वह पवित्र है। तब यहोशू ने वैसा ही किया।।