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मत्ती - Chapter 12

1 उस समय यीशु सब्‍त के दिन खेतोंमें से होकर जा रहा या, और उसके चेलोंको भूख लगी, सो वे बालें तोड़ तोड़कर खाने लगे। 
2 फरीसियोंने यह देखकर उस से कहा, देख तेरे चेले वह काम कर रहे हैं, जो सब्‍त के दिन करना उचित नहीं। 
3 उस ने उन से कहा; क्‍या तुम ने नहीं पढ़ा, कि दाऊद ने, जब वह और उसके सायी भूखे हुए तो क्‍या किया 
4 वह क्‍योंकर परमेश्वर के घर में गया, और भेंट की रोटियां खाईं, जिन्‍हें खाना न तो उसे और उसके सायियोंको, पर केवल याजकोंको उचित या 
5 या तुम ने व्यवस्या में नहीं पढ़ा, कि याजक सब्‍त के दिन मन्‍दिर में सब्‍त के दिन के विधि को तोड़ने पर भी निर्दोष ठहरते हैं। 
6 पर मैं तुम से कहता हूं, कि यहां वह है, जो मन्‍दिर से भी बड़ा है। 
7 यदि तुम इस का अर्य जानते कि मैं दया से प्रसन्न हूं, बलिदान से नहीं, तो तुम निर्दोष को दोषी न ठहराते। 
8 मनुष्य का पुत्र तो सब्‍त के दिन का भी प्रभु है।। 
9 वहां से चलकर वह उन की सभा के घर में आया। 
10 और देखो, एक मनुष्य या, जिस का हाथ सूखा हुआ या; और उन्‍होंने उस पर दोष लगाने के लिेय उस से पूछा, कि क्‍या सब्‍त के दिन चंगा करना उचित है 
11 उस ने उन से कहा; तुम में ऐसा कौन है, जिस की एक भेड़ हो, और वह सब्‍त के दिन गड़हे में गिर जाए, तो वह उसे पकड़कर न निकाले 
12 भला, मनुष्य का मूल्य भेड़ से कितना बढ़ कर है; इसलिथे सब्‍त के दिन भलाई करना उचित है: तब उस ने उस मनुष्य से कहा, अपना हाथ बढ़ा। 
13 उस ने बढ़ाया, और वह फिर दूसरे हाथ की नाई अच्‍छा हो गया। 
14 तब फरीसियोंने बाहर जाकर उसके विरोध में सम्मति की, कि उसे किस प्रकार नाश करें 
15 यह जानकर यीशु वहां से चला गया; और बहुत लागे उसके पीछे हो लिथे; और उस ने सब को चंगा किया। 
16 और उन्‍हें चिताया, कि मुझे प्रगट न करना। 
17 कि जो वचन यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया या, वह पूरा हो। 
18 कि देखो, यह मेरा सेवक है, जिसे मैं ने चुना है; मेरा प्रिय, जिस से मेरा मन प्रसन्न है: मैं अपना आत्क़ा उस पर डालूंगा; और वह अन्यजातियोंको न्याय का समाचार देगा। 
19 वह न फगड़ा करेगा, और न धूम मचाएगा; और न बाजारोंमें कोई उसका शब्‍द सुनेगा। 
20 वह कुचले हुए सरकण्‍डे को न तोड़ेगा; और धूआं देती हुई बत्ती को न बुफाएगा, जब तक न्याय को प्रबल न कराए। 
21 और अन्यजातियां उसके नाम पर आशा रखेंगी। 
22 तब लोग एक अन्‍धे-गूंगे को जिस में दुष्‍टात्क़ा यी, उसके पास लाए; और उस ने उसे अच्‍छा किया; और वह गूंगा बोलने और देखने लगा। 
23 इस पर सब लोग चकित होकर कहने लगे, यह क्‍या दाऊद की सन्‍तान का है 
24 परन्‍तु फरीसियोंने यह सुनकर कहा, यह तो दुष्‍टात्क़ाओं के सरदार शैतान की सहाथता के बिना दुष्‍टात्क़ाओं को नहीं निकालता। 
25 उस ने उन के मन की बात जानकर उन से कहा; जिस किसी राज्य में फूट होती है, वह उजड़ जाता है, और कोई नगर या घराना जिस में फूट होती है, बना न रहेगा। 
26 और यदि शैतान ही शैतान को निकाले, तो वह अपना ही विरोधी हो गया है; फिर उसका राज्य क्‍योंकर बना रहेगा 
27 भला, यदि मैं शैतान की सहाथता से दुष्‍टात्क़ाओं को निकालता हूं, तो तुम्हारे वंश किस की सहाथता से निकालते हैं इसलिथे वे ही तुम्हारा न्याय चुकाएंगे। 
28 पर यदि मैं परमेश्वर के आत्क़ा की सहाथता से दुष्‍टात्क़ाओं को निकालता हूं, तो परमेश्वर का राज्य तुम्हारे पास आ पहुंचा है। 
29 या क्‍योंकर कोई मनुष्य किसी बलवन्‍त के घर में घुसकर उसका माल लूट सकता है जब तक कि पहिले उस बलवन्‍त को न बान्‍ध ले और तब वह उसका घर लूट लेगा। 
30 जो मेरे साय नहीं, वह मेरे विरोध में है; और जो मेरे साय नहीं बटोरता, वह बियराता है। 
31 इसलिथे मैं तुम से कहता हूं, कि मनुष्य का सब प्रकार का पाप और निन्‍दा झमा की जाएगी, पर आत्क़ा की निन्‍दा झमा न की जाएगी। 
32 जो कोई मनुष्य के पुत्र के विरोध में कोई बात कहेगा, उसका यह अपराध झमा किया जाएगा, परन्‍तु जो कोई पवित्रआत्क़ा के विरोध में कुछ कहेगा, उसका अपराध न तो इस लोक में और न परलोक में झमा किया जाएगा। 
33 यदि पेड़ को अच्‍छा कहो, तो उसके फल को भी अच्‍छा कहो; या पेड़ को निकम्मा कहो; क्‍योंकि पेड़ फल ही से पहचाना जाता है। 
34 हे सांप के बच्‍चों, तुम बुरे होकर क्‍योंकर अच्‍छी बातें कह सकते हो क्‍योंकि जो मन में भरा है, वही मुंह पर आता है। 
35 भला, मनुष्य मन के भले भण्‍डार से भली बातें निकालता है; और बुरा मनुष्य बुरे भण्‍डार से बुरी बातें निकालता है। 
36 और मै तुम से कहता हूं, कि जो जो निकम्मी बातें मनुष्य कहेंगे, न्याय के दिन हर एक बात का लेखा देंगे। 
37 क्‍योंकि तू अपक्की बातोंके कारण निर्दोष और अपक्की बातोंही के कारण दोषी ठहराया जाएगा।। 
38 इस पर कितने शास्‍त्रियोंऔर फरीसियोंने उस से कहा, हे गुरू, हम तुझ से एक चिन्‍ह देखना चाहते हैं। 
39 उस ने उन्‍हें उत्तर दिया, कि इस युग के बुरे और व्यभिचारी लोग चिन्‍ह ढूंढ़ते हैं; परन्‍तु यूनुस भविष्यद्वक्ता के चिन्‍ह को छोड़ कोई और चिन्‍ह उन को न दिया जाएगा। 
40 यूनुस तीन राज दिन जल जन्‍तु के पेट में रहा, वैसे ही मनुष्य का पुत्र तीन रात दिन पृय्‍वी के भीतर रहेगा। 
41 नीनवे के लोग न्याय के दिन इस युग के लोगोंके साय उठकर उन्‍हें दोषी ठहराएंगे, क्‍योंकि उन्‍होंने यूनुस का प्रचार सुनकर, मन फिराया और देखो, यहां वह है जो यूनुस से बड़ा है। 
42 दक्‍खिन की रानी न्याय के दिन इस युग के लोगोंके साय उठकर उन्‍हें दोषी ठहराएगी, क्‍योंकि वह सुलैमान का ज्ञान सुनने के लिथे पृय्‍वी की छोर से आई, और देखो, यहां वह है जो सुलैमान से भी बड़ा है। 
43 जब अशुद्ध आत्क़ा मनुष्य में से निकल जाती है, तो सूखी जगहोंमें विश्रम ढूंढ़ती फिरती है, और पाती नहीं। 
44 तब कहती है, कि मैं अपके उसी घर में जहां से निकली यी, लौट जाऊंगी, और आकर उसे सूना, फाड़ा-बुहारा और सजा सजाया पाती है। 
45 तब वह जाकर अपके से और बुरी सात आत्क़ाओं को अपके साय ले आती है, और वे उस में पैठकर वहां वास करती है, और उस मनुष्य की पिछली दशा पहिले से भी बुरी हो जाती है; इस युग के बुरे लोगोंकी दशा भी ऐसी ही होगी। 
46 जब वह भीड़ से बातें कर ही रहा या, तो देखो, उस की माता और भाई बाहर खड़े थे, और उस से बातें करना चाहते थे। 
47 किसी ने उस से कहा; देख तेरी माता और तेरे भाई बाहर खड़े हैं, और तुझ से बातें करना चाहते हैं। 
48 यह सुन उस ने कहनेवाले को उत्तर दिया; कौन है मेरी माता 
49 और कौन है मेरे भाई और अपके चेलोंकी ओर अपना हाथ बढ़ा कर कहा; देखो, मेरी माता और मेरे भाई थे हैं। 
50 क्‍योंकि जो कोई मेरे स्‍वर्गीय पिता की इच्‍छा पर चले, वही मेरा भाई और बहिन और माता है।।