1 तब यरूशलेम से कितने फरीसी और शास्त्री यीशु के पास आकर कहने लगे।
2 तेरे चेले पुरिनयोंकी रीतोंको क्योंटालते हैं, कि बिना हाथ धोए रोटी खाते हैं
3 उस ने उन को उत्तर दिया, कि तुम भी अपक्की रीतोंके कारण क्योंपरमेश्वर की आज्ञा टालते हो
4 क्योंकि परमेश्वर ने कहा या, कि अपके पिता और अपक्की माता का आदर करना: और जो कोई पिता या माता को बुरा कहे, वह मार डाला जाए।
5 पर तुम कहते हो, कि यदि कोई अपके पिता या माता से कहे, कि जो कुछ तुझे मुझ से लाभ पहुंच सकता या, वह परमेश्वर को भेंट चढ़ाई जा चुकी।
6 तो वह अपके पिता का आदर न करे, सो तुम ने अपक्की रीतोंके कारण परमेश्वर का वचन टाल दिया।
7 हे कपटियों, यशायाह ने तुम्हारे विषय में यह भविष्यद्वाणी ठीक की।
8 कि थे लोग होठोंसे तो मेरा आदर करते हैं, पर उन का मन मुझ से दूर रहता है।
9 और थे व्यर्य मेरी उपासना करते हैं, क्योंकि मनुष्य की विधियोंको धर्मोपकेश करके सिखाते हैं।
10 और उस ने लोगोंको अपके पास बुलाकर उन से कहा, सुनो; और समझो।
11 जो मुंह में जाता है, वह मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता, पर जो मुंह से निकलता है, वही मनुष्य को अशुद्ध करता है।
12 तब चेलोंने आकर उस से कहा, क्या तू जानता है कि फरीसियोंने यह वचन सुनकर ठोकर खाई
13 उस ने उत्तर दिया, हर पौधा जो मेरे स्वर्गीय पिता ने नहीं लगाया, उखाड़ा जाएगा।
14 उन को जाने दो; वे अन्धे मार्ग दिखानेवाले हैं: और अन्धा यदि अन्धे को मार्ग दिखाए, तो दोनोंगड़हे में गिर पकेंगे।
15 यह सुनकर, पतरस ने उस से कहा, यह दृष्टान्त हमें समझा दे।
16 उस ने कहा, क्या तुम भी अब तक ना समझ हो
17 क्या नहीं समझते, कि जो कुछ मुंह में जाता, वह पेट में पड़ता है, और सण्डास में निकल जाता है
18 पर जो कुछ मुंह से निकलता है, वह मन से निकलता है, और वही मनुष्य को अशुद्ध करता है।
19 क्योंकि कुचिन्ता, हत्या, परस्त्रीगमन, व्यभिचार, चोरी, फूठी गवाही और निन्दा मन ही से निकलती है।
20 यही हैं जो मनुष्य को अशुद्ध करती हैं, परन्तु हाथ बिना धोए भोजन करना मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता।।
21 यीशु वहां से निकलकर, सूर और सैदा के देशोंकी ओर चला गया।
22 और देखो, उस देश से एक कनानी स्त्री निकली, और चिल्लाकर कहने लगी; हे प्रभु दाऊद के सन्तान, मुझ पर दया कर, मेरी बेटी को दुष्टात्क़ा बहुत सता रहा है।
23 पर उस ने उसे कुछ उत्तर न दिया, और उसके चेलोंने आकर उस से बिनती कर कहा; इसे विदा कर; क्योंकि वह हमारे पीछे चिल्लाती आती है।
24 उस ने उत्तर दिया, कि इस्राएल के घराने की खोई हुई भेड़ोंको छोड़ मैं किसी के पास नहीं भेजा गया।
25 पर वह आई, और उसे प्रणाम करके कहने लगी; हे प्रभु, मेरी सहाथता कर।
26 उस ने उत्तर दिया, कि लड़कोंकी रोटी लेकर कुत्तोंके आगे डालना अच्छा नहीं।
27 उस ने कहा, सत्य है प्रभु; पर कुत्ते भी वह चूरचार खाते हैं, जो उन के स्वामियोंकी मेज से गिरते हैं।
28 इस पर यीशु ने उस को उत्तर देकर कहा, कि हे स्त्री, तेरा विश्वास बड़ा है: जैसा तू चाहती है, तेरे लिथे वैसा ही हो; और उस की बेटी उसी घड़ी चंगी हो गई।।
29 यीशु वहां से चलकर, गलील की फील के पास आया, और पहाड़ पर चढ़कर वहां बैठ गया।
30 और भीड़ पर भीड़ लंगड़ों, अन्धों, गूंगों, टुंड़ों, और बहुत औरोंको लेकर उसके पास आए; और उन्हें उसके पांवोंपर डाल दिया, और उस ने उन्हें चंगा किया।
31 सो जब लोगोंने देखा, कि गूंगे बोलते और टुण्डे चंगे होते और लंगड़े चलते और अन्धे देखते हैं, तो अचम्भा करके इस्राएल के परमेश्वर की बड़ाई की।।
32 यीशु ने अपके चेलोंको बुलाकर कहा, मुझे इस भीड़ पर तरस आता है; क्योंकि वे तीन दिन से मेरे साय हैं और उन के पास कुछ खाने को नहींं; और मैं उन्हें भूखा विदा करना नहीं चाहता; कहीं ऐसा न हो कि मार्ग में यककर रह जाएं।
33 चेलोंने उस से कहा, हमें जंगल में कहां से इतनी रोटी मिलेगी कि हम इतनी बड़ी भीड़ को तृप्त करें
34 यीशु ने उन से पूछा, तुम्हारे पास कितनी रोटियां हैं उन्होंने कहा; सात और योड़ी सी छोटी मछिलयां।
35 तब उस ने लोगोंको भूमि पर बैठने की आज्ञा दी।
36 और उन सात रोटियोंऔर मछिलयोंको ले धन्यवाद करके तोड़ा और अपके चेलोंको देता गया; और चेले लोगोंको।
37 सो सब खाकर तृप्त हो गए और बचे हुए टुकड़ोंसे भरे हुए सात टोकरे उठाए।
38 और खानेवाले स्त्रियोंऔर बालकोंको छोड़ चार हजार पुरूष थे।
39 तब वह भीड़ को विदा करके नाव पर चढ़ गया, और मगदन देश के सिवानोंमें आया।।