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मत्ती - Chapter 3

1 उन दिनोंमें यूहन्ना बपतिस्क़ा देनेवाला आकर यहूदिया के जंगल में यह प्रचार करने लगा। कि 
2 मन फिराओ; क्‍योंकि स्‍वर्ग का राज्य निकट आ गया है। 
3 यह वही है जिस की चर्चा यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा की गई कि जंगल में एक पुकारनेवाले का शब्‍द हो रहा है, कि प्रभु का मार्ग तैयार करो, उस की सड़कें सीधी करो। 
4 यह यूहन्ना ऊंट के रोम का वस्‍त्र पहिने या, और अपक्की कमर में चमड़े का पटुका बान्‍धे हुए या, और उसका भोजन ट्टिड्डियाँ और बनमधु या। 
5 तब यरूशलेम के और सारे यहूदिया के, और यरदन के आस पास के सारे देश के लोग उसके पास निकल आए। 
6 और अपके अपके पापोंको मानकर यरदन नदी में उस से बपतिस्क़ा लिया। 
7 जब उस ने बहुतेरे फरीसियोंऔर सदूकियोंको बपतिस्क़ा के लिथे अपके पास आते देखा, तो उन से कहा, कि हे सांप के बच्‍चोंतुम्हें किस ने जता दिया, कि आनेवाले क्रोध से भागो 
8 सो मन फिराव के योग्य फल लाओ। 
9 और अपके अपके मन में यह न सोचो, कि हमारा पिता इब्राहीम है; क्‍योंकि मैं तुम से कहता हूं, कि परमेश्वर इन पत्यरोंसे इब्राहीम के लिथे सन्‍तान उत्‍पन्न कर सकता है। 
10 और अब कुल्हाड़ा पेड़ोंकी जड़ पर रखा हुआ है, इसलिथे जो जो पेड़ अच्‍छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में फोंका जाता है। 
11 मैं तो पानी से तुम्हें मन फिराव का बपतिस्क़ा देता हूं, परन्‍तु जो मेरे बाद आनेवाला है, वह मुझ से शक्तिशाली है; मैं उस की जूती उठाने के योग्य नहीं, वह तुम्हें पवित्र आत्क़ा और आग से बपतिस्क़ा देगा। 
12 उसका सूप उस के हाथ में है, और वह अपना खलिहान अच्‍छी रीति से साफ करेगा, और अपके गेहूं को तो खत्ते में इकट्ठा करेगा, परन्‍तु भूसी को उस आग में जलाएगा जो बुफने की नहीं।। 
13 उस समय यीशु मसीह गलील से यरदन के किनारे पर यूहन्ना के पास उस से बपतिस्क़ा लेने आया। 
14 परन्‍तु यूहन्ना यह कहकर उसे रोकने लगा, कि मुझे तेरे हाथ से बपतिस्क़ा लेने की आवश्यक्ता है, और तू मेरे पास आया है 
15 यीशु ने उस को यह उत्तर दिया, कि अब तो ऐसा ही होने दे, क्‍योंकि हमें इसी रीति से सब धामिर्कता को पूरा करना उचित है, तब उस ने उस की बात मान ली। 
16 और यीशु बपतिस्क़ा लेकर तुरन्‍त पानी में से ऊपर आया, और देखो, उसके लिथे आकाश खुल गया; और उस ने परमेश्वर के आत्क़ा को कबूतर की नाई उतरते और अपके ऊपर आते देखा। 
17 और देखो, यह आकाशवाणी हुई, कि यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं अत्यन्‍त प्रसन्न हूं।।