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मत्ती - Chapter 23

1 तब यीशु ने भीड़ से और अपके चेलोंसे कहा। 
2 शास्त्री और फरीसी मूसा की गद्दी पर बैठे हैं। 
3 इसलिथे वे तुम से जो कुछ कहें वह करना, और मानना; परन्‍तु उन के से काम मत करना; क्‍योंकि वे कहते तो हैं पर करते नहीं। 
4 वे एक ऐसे भारी बोफ को जिन को उठाना किठन है, बान्‍धकर उन्‍हें मनुष्योंके कन्‍धोंपर रखते हैं; परन्‍तु आप उन्‍हें अपक्की उंगली से भी सरकाना नहीं चाहते । 
5 वे अपके सब काम लोगोंको दिखाने के लिथे करते हैं: वे अपके तावीजोंको चौड़े करते, और अपके वस्‍त्रोंकी कोरें बढ़ाते हैं। 
6 जेवनारोंमें मुख्य मुख्य जगहें, और सभा में मुख्य मुख्य आसन। 
7 और बाजारोंमें नमस्‍कार और मनुष्य में रब्‍बी कहलाना उन्‍हें भाता है। 
8 परन्‍तु, तुम रब्‍बी न कहलाना; कयोंकि तुम्हारा एक ही गुरू है: और तुम सब भाई हो। 
9 और पृय्‍वी पर किसी को अपना पिता न कहना, कयोंकि तुम्हारा एक ही पिता है, जो स्‍वर्ग में है। 
10 और स्‍वामी भी न कहलाना, क्‍योंकि तुम्हारा एक ही स्‍वामी है, अर्यात्‍ मसीह। 
11 जो तुम में बड़ा हो, वह तुम्हारा सेवक बने। 
12 जो कोई अपके आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा: और जो कोई अपके आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा।। 
13 हे कपक्की शास्‍त्रियोंऔर फरीसियोंतुम पर हाथ!
14 तुम मनुष्योंके विरोध में स्‍वर्ग के राज्य का द्वार बन्‍द करते हो, न तो आप ही उस में प्रवेश करते हो और न उस में प्रवेश करनेवालोंको प्रवेश करने देते हो।।
15 हे कपक्की शास्‍त्रियोंऔर फरीसियोंतुम पर हाथ! तुम एक जन को अपके मत में लाने के लिथे सारे जल और यल में फिरते हो, और जब वह मत में आ जाता है, तो उसे अपके से दूना नारकीय बना देते हो।। 
16 हे अन्‍धे अगुवों, तुम पर हाथ, जो कहते हो कि यदि कोई मन्‍दिर की शपय खाए तो कुछ नहीं, परन्‍तु यदि कोई मन्‍दिर के सोने की सौगन्‍ध खाए तो उस से बन्‍ध जाएगा। 
17 हे मूर्खो, और अन्‍धों, कौन बड़ा है, सोना या वह मन्‍दिर जिस से सोना पवित्र होता है 
18 फिर कहते हो कि यदि कोई वेदी की शपय खाए तो कुछ नहीं, परन्‍तु जो भेंट उस पर है, यदि कोई उस की शपय खाए तो बन्‍ध जाएगा। 
19 हे अन्‍धों, कौन बड़ा है, भेंट या वेदी: जिस से भेंट पवित्र होता है 
20 इसलिथे जो वेदी की शपय खाता है, वह उस की, और जो कुछ उस पर है, उस की भी शपय खाता है। 
21 और जो मन्‍दिर की शपय खाता है, वह उस की और उस में रहनेवालोंकी भी शपय खाता है। 
22 और जो स्‍वर्ग की शपय खाता है, वह परमेश्वर के सिहांसन की और उस पर बैठनेवाले की भी शपय खाता है।। 
23 हे कपक्की शास्‍त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाथ; तुम पोदीने और सौंफ और जीरे का दसवां अंश देते हो, परन्‍तु तुम ने व्यवस्या की गम्भीर बातोंको छोड़ दिया है; चाहिथे या कि इन्‍हें भी करते रहते, और उन्‍हें भी न छोड़ते। 
24 हे अन्‍धे अगुवों, तुम मच्‍छड़ को तो छान डालते हो, परन्‍तु ऊंट को निगल जाते हो। 
25 हे कपक्की शास्‍त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाथ, तुम कटोरे और याली को ऊपर ऊपर से तो मांजते हो परन्‍तु वे भीतर अन्‍धेर असंयम से भरे हुए हैं। 
26 हे अन्‍धे फरीसी, पहिले कटोरे और याली को भीतर से मांज कि वे बाहर से भी स्‍वच्‍छ हों।। 
27 हे कपक्की शास्‍त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाथ; तुम चूना फिरी हुई कब्रोंके समान हो जो ऊपर से तो सुन्‍दर दिखाई देती हैं, परन्‍तु भीतर मुर्दोंकी हिड्डयोंऔर सब प्रकार की मलिनता से भरी हैं। 
28 इसी रीति से तुम भी ऊपर से मनुष्योंको धर्मी दिखाई देते हो, परन्‍तु भीतर कपट और अधर्म से भरे हुए हो।। 
29 हे कपक्की शास्‍त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाथ; तुम भविष्यद्वक्ताओं की कब्रें संवारते और धमिर्योंकी कब्रें बनाते हो। 
30 और कहते हो, कि यदि हम अपके बापदादोंके दिनोंमें होते तो भविष्यद्वक्ताओं की हत्या में उन के साफी न होते। 
31 इस से तो तुम अपके पर आप ही गवाही देते हो, कि तुम भविष्यद्वक्ताओं के घातकोंकी सन्‍तान हो। 
32 सो तुम अपके बापदादोंके पाप का घड़ा भर दो। 
33 हे सांपो, हे करैतोंके बच्‍चो, तुम नरक के दण्‍ड से क्‍योंकर बचोगे 
34 इसलिथे देखो, मैं तुम्हारे पास भविष्यद्वक्ताओं और बुद्धिमानोंऔर शास्‍त्रियोंको भेजता हूं; और तुम उन में से कितनोंको मार डालोगे, और क्रूस पर चढ़ाओगे; और कितनोंको अपक्की सभाओं में कोड़े मारोगे, और एक नगर से दूसरे नगर में खदेड़ते फिरोगे। 
35 जिस से धर्मी हाबिल से लेकर बिरिक्‍याह के पुत्र जकरयाह तक, जिसे तुम ने मन्‍दिर और वेदी के बीच में मार डाला या, जितने धमिर्योंका लोहू पृय्‍वी पर बहाथा गया है, वह सब तुम्हारे सिर पर पकेगा। 
36 मैं तुम से सच कहता हूं, थे सब बातें इस समय के लोगोंपर आ पकेंगी।। 
37 हे यरूशलेम, हे यरूशलेम; तू जो भविष्यद्वक्ताओं को मार डालता है, और जो तेरे पास भेजे गए, उन्‍हें पत्यरवाह करता है, कितनी ही बार मैं ने चाहा कि जैसे मुर्गी अपके बच्‍चोंको अपके पंखोंके नीचे इकट्ठे करती है, वैसे ही मैं भी तेरे बालकोंको इकट्ठे कर लूं, परन्‍तु तुम ने न चाहा। 
38 देखो, तुम्हारा घर तुम्हारे लिथे उजाड़ छोड़ा जाता है। 
39 क्‍योंकि मैं तुम से कहता हूं, कि अब से जब तक तुम न कहोगे, कि धन्य है वह, जो प्रभु के नाम से आता है, तब तक तुम मुझे फिर कभी न देखोगे।।