1 जब यीशु थे सब बातें कह चुका, तो अपके चेलोंसे कहने लगा।
2 तुम जानते हो, कि दो दिन के बाद फसह का पर्व्व होगा; और मनुष्य का पुत्र क्रूस पर चढ़ाए जाने के लिथे पकड़वाया जाएगा।
3 तब महाथाजक और प्रजा के पुरिनए काइफा नाम महाथाजक के आंगन में इकट्ठे हुए।
4 और आपस में विचार करने लगे कि यीशु को छत से पकड़कर मार डालें।
5 परन्तु वे कहते थे, कि पर्व्व के समय नहीं; कहीं ऐसा न हो कि लोगोंमें बलवा मच जाए।
6 जब यीशु बैतनिय्याह में शमौन कोढ़ी के घर में या।
7 तो एक स्त्री संगमरमर के पात्र में बहुमोल इत्र लेकर उसके पास आई, और जब वह भोजन करने बैठा या, तो उसके सिर पर उण्डेल दिया।
8 यह देखकर, उसके चेले रिसयाए और कहने लगे, इस का क्योंसत्यनाश किया गया
9 यह तो अच्छे दाम पर बिककर कंगालोंको बांटा जा सकता या।
10 यह जानकर यीशु ने उन से कहा, स्त्री को क्योंसताते हो उस ने मेरे साय भलाई की है।
11 कंगाल तुम्हारे साय सदा रहते हैं, परन्तु मैं तुम्हारे साय सदैव न रहूंगा।
12 उस ने मेरी देह पर जो यह इत्र उण्डेला है, वह मेरे गाढ़े जाने के लिथे किया है
13 मैं तुम से सच कहता हूं, कि सारे जगत में जहां कहीं यह सुसमाचार प्रचार किया जाएगा, वहां उसके इस काम का वर्णन भी उसके स्क़रण में किया जाएगा।
14 तब यहूदा इस्किरयोती नाम बारह चेलोंमें से एक ने महाथाजकोंके पास जाकर कहा।
15 यदि मैं उसे तुम्हारे हाथ पकड़वा दूं, तो मुझे क्या दोगे उन्होंने उसे तीस चान्दी के सिक्के तौलकर दे दिए।
16 और वह उसी समय से उसे पकड़वाने का अवसर ढूंढ़ने लगा।।
17 अखमीरी रोटी के पर्व्व के पहिले दिन, चेले यीशु के पास आकर पूछने लगे; तू कहां चाहता है कि हम तेरे लिथे फसह खाने की तैयारी करें
18 उस ने कहा, नगर में फुलाने के पास जाकर उस से कहो, कि गुरू कहता है, कि मेरा समय निकट है, मैं अपके चेलोंके साय तेरे यहां पर्व्व मनाऊंगा।
19 सो चेलोंने यीशु की आज्ञा मानी, और फसह तैयार किया।
20 जब सांफ हुई, तो वह बारहोंके साय भोजन करने के लिथे बैठा।
21 जब वे खा रहे थे, तो उस ने कहा, मैं तुम से सच कहता हूं, कि तुम में से एक मुझे पकड़वाएगा।
22 इस पर वे बहुत उदास हुए, और हर एक उस से पूछने लगा, हे गुरू, क्या वह मैं हूं
23 उस ने उत्तर दिया, कि जिस ने मेरे साय याली में हाथ डाला है, वही मुझे पकड़वाएगा।
24 मनुष्य का पुत्र तो जैसा उसके विषय में लिखा है, जाता ही है; परन्तु उस मनुष्य के लिथे शोक है जिस के द्वारा मनुष्य का पुत्र पकड़वाया जाता है: यदि उस मनुष्य का जन्क़ न होता, तो उसके लिथे भला होता।
25 तब उसके पकड़वानेवाले यहूदा ने कहा कि हे रब्बी, क्या वह मैं हूं
26 उस ने उस से कहा, तू कह चुका: जब वे खा रहे थे, तो यीशु ने रोटी ली, और आशीष मांगकर तोड़ी, और चेलोंको देकर कहा, लो, खाओ; यह मेरी देह है।
27 फिर उस ने कटोरा लेकर, धन्यवाद किया, और उन्हें देकर कहा, तुम सब इस में से पीओ।
28 क्योंकि यह वाचा का मेरा वह लोहू है, जो बहुतोंके लिथे पापोंकी झमा के निमित्त बहाथा जाता है।
29 मैं तुम से कहता हूं, कि दाख का यह रस उस दिन तक कभी न पीऊंगा, जब तक तुम्हारे साय अपके पिता के राज्य में नया न पीऊं।।
30 फिर वे भजन गाकर जैतून पहाड़ पर गए।।
31 तब यीशु ने उन से कहा; तुम सब आज ही रात को मेरे विषय में ठोकर खाओगे; क्योंकि लिखा है, कि मैं चरवाहे को मारूंगा; और फुण्ड की भेड़ें तित्तर बित्तर हो जाएंगी।
32 परन्तु मैं अपके जी उठने के बाद तुम से पहले गलील को जाऊंगा।
33 इस पर पतरस ने उस से कहा, यदि सब तेरे विषय में ठोकर खाएं तो खाएं, परन्तु मैं कभी भी ठोकर न खाऊंगा।
34 यीशु ने उस से कहा, मैं तुम से सच कहता हूं, कि आज ही राज को मुर्गे के बांग देने से पहिले, तू तीन बार मुझ से मुकर जाएगा।
35 पतरस ने उस से कहा, यदि मुझे तेरे साय मरना भी हो, तौभी, मैं तुझ से कभी न मुकरूंगा: और ऐसा ही सब चेलोंने भी कहा।।
36 तब यीशु ने अपके चेलोंके साय गतसमनी नाम एक स्यान में आया और अपके चेलोंसे कहने लगा कि यहीं बैठे रहना, जब तक कि मैं वहां जाकर प्रार्यना करूं।
37 और वह पतरस और जब्दी के दोनोंपुत्रोंको साय ले गया, और उदास और व्याकुल होने लगा।
38 तब उस ने उन से कहा; मेरा जी बहुत उदास है, यहां तक कि मेरे प्राण निकला चाहते: तुम यहीं ठहरो, और मेरे साय जागते रहो।
39 फिर वह योड़ा और आगे बढ़कर मुंह के बल गिरा, और यह प्रार्यना करने लगा, कि हे मेरे पिता, यदि हो सके, तो यह कटोरा मुझ से टल जाए; तौभी जैसा मैं चाहता हूं वैसा नहीं, परन्तु जैसा तू चाहता है वैसा ही हो।
40 फिर चेलोंके पास आकर उन्हें सोते पाया, और पतरस से कहा; क्या तुम मेरे साय एक घड़ी भी न जाग सके
41 जागते रहो, और प्रार्यना करते रहो, कि तुम पक्कीझा में न पड़ो: आत्क़ा तो तैयार है, परन्तु शरीर र्दुबल है।
42 फिर उस ने दूसरी बार जाकर यह प्रार्यना की; कि हे मेरे पिता, यदि यह मेरे पीए बिना नहीं हट सकता तो तेरी इच्छा पूरी हो।
43 तब उस ने आकर उन्हें फिर सोते पाया, क्योंकि उन की आंखें नींद से भरी यीं।
44 और उन्हें छोड़कर फिर चला गया, और वही बात फिर कहकर, तीसरी बार प्रार्यना की।
45 तब उस ने चेलोंके पास आकर उन से कहा; अब सोते रहो, और विश्रम करो: देखो, घड़ी आ पहुंची है, और मनुष्य का पुत्र पापियोंके हाथ पकड़वाया जाता है।
46 उठो, चलें; देखो, मेरा पकड़वानेवाला निकट आ पहुंचा है।।
47 वह यह कह ही रहा या, कि देखो यहूदा जो बारहोंमें से एक या, आया, और उसके साय महाथाजकोंऔर लोगोंके पुरिनयोंकी ओर से बड़ी भीड़, तलवारें और लाठियां लिए हुए आई।
48 उसके पकड़वानेवाले ने उन्हें यह पता दिया या कि जिस को मैं चूम लूं वही है; उसे पकड़ लेना।
49 और तुरन्त यीशु के पास आकर कहा; हे रब्बी नमस्कार; और उस को बहुत चूमा।
50 यीशु ने उस से कहा; हे मित्र, जिस काम के लिथे तू आया है, उसे कर ले। तब उन्होंने पास आकर यीशु पर हाथ डाले, और उसे पकड़ लिया।
51 और देखो, यीशु के सायियोंमें से एक ने हाथ बढ़ाकर अपक्की तलवार खींच ली और महाथाजक के दास पर चलाकर उस का कान उड़ा दिया।
52 तब यीशु ने उस से कहा; अपक्की तलवार काठी में रख ले क्योंकि जो तलवार चलाते हैं, वे सब तलवार से नाश किए जाएंगे।
53 क्या तू नहीं समझता, कि मैं अपके पिता से बिनती कर सकता हूं, और वह स्वर्गदूतोंकी बारह पलटन से अधिक मेरे पास अभी उपस्यित कर देगा
54 परन्तु पवित्र शास्त्र की बातें कि ऐसा ही होना अवश्य है, क्योंकर पूरी होंगी
55 उसी घड़ी यीशु ने भीड़ से कहा; क्या तुम तलवारें और लाठियां लेकर मुझे डाकू के समान पकड़ने के लिथे निकले हो मैं हर दिन मन्दिर में बैठकर उपकेश दिया करता या, और तुम ने मुझे नहीं पकड़ा।
56 परन्तु यह सब इसलिथे हुआ है, कि भविष्यद्वक्ताओं के वचन के पूरे हों: तब सब चेलें उसे छोड़कर भाग गए।।
57 और यीशु के पकड़नेवाले उस को काइफा नाम महाथाजक के पास ले गए, जहां शास्त्री और पुरिनए इकट्ठे हुए थे।
58 और पतरस दूर से उसके पीछे पीछे महाथाजक के आंगन तक गया, और भीतर जाकर अन्त देखने को प्यादोंके साय बैठ गया।
59 महाथाजक और सारी महासभा यीशु को मार डालने के लिथे उसके विरोध में फूठी गवाही की खोज में थे।
60 परन्तु बहुत से फूठे गवाहोंके आने पर भी न पाई।
61 अन्त में दो जनोंने आकर कहा, कि उस ने कहा है; कि मैं परमेश्वर के मन्दिर को ढा सकता हूं और उसे तीन दिन में बना सकता हूं।
62 तब महाथाजक ने खड़े होकर उस से कहा, क्या तू कोई उत्तर नहीं देता थे लोग तेरे विरोध में क्या गवाही देते हैं परन्तु यीशु चुप रहा: महाथाजक ने उस से कहा।
63 मैं तुझे जीवते परमेश्वर की शपय देता हूं, कि यदि तू परमेश्वर का पुत्र मसीह है, तो हम से कह दे।
64 यीशु ने उस से कहा; तू ने आप ही कह दिया: बरन मैं तुम से यह भी कहता हूं, कि अब से तुम मनुष्य के पुत्र को सर्वशक्तिमान की दिहनी ओर बैठे, और आकाश के बादलोंपर आते देखोगे।
65 तब महाथाजक ने अपके वस्त्र फाड़कर कहा, इस ने परमेश्वर की निन्दा की है, अब हमें गवाहोंका क्या प्रयोजन
66 देखो, तुम ने अभी यह निन्दा सुनी है! तुम क्या समझते हो उन्होंने उत्तर दिया, यह वध होने के योग्य है।
67 तब उन्होंने उस से मुंह पर यूका, और उसे घूंसे मारे, औरोंने यप्पड़ मार के कहा।
68 हे मसीह, हम से भविष्यद्ववाणी करके कह: कि किस ने तुझे मारा
69 और पतरस बाहर आंगन में बैठा हुआ या: कि एक लौंड़ी ने उसके पास आकर कहा; तू भी यीशु गलीली के साय या।
70 उस ने सब के साम्हने यह कह कर इन्कार किया और कहा, मैं नहीं जानता तू क्या कह रही है।
71 जब वह बाहर डेवढ़ी में चला गया, तो दूसरी ने उसे देखकर उन से जो वहां थे कहा; यह भी तो यीशु नासरी के साय या।
72 उस ने शपय खाकर फिर इन्कार किया कि मैं उस मनुष्य को नहीं जानता।
73 योड़ी देर के बाद, जो वहां खड़े थे, उन्होंने पतरस के पास आकर उस से कहा, सचमुच तू भी उन में से एक है; क्योंकि तेरी बोली तेरा भेद खोल देती है।
74 तब वह धिक्कारने देने और शपय खाने लगा, कि मैं उस मनुष्य को नहीं जानता; और तुरन्त मुर्ग ने बांग दी।
75 तब पतरस को यीशु की कही हुई बात स्क़रण आई की मुर्ग के बांग देने से पहिले तू तीन बार मेरा इन्कार करेगा और वह बाहर जाकर फूट फूट कर रोने लगा।।