1 उसी घड़ी चेले यीशु के पास आकर पूछने लगे, कि स्वर्ग के राज्य में बड़ा कौन है
2 इस पर उस ने एक बालक को पास बुलाकर उन के बीच में खड़ा किया।
3 और कहा, मैं तुम से सच कहता हूं, यदि तुम न फिरो और बालकोंके समान न बनो, तो स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने नहीं पाओगे।
4 जो कोई अपके आप को इस बालक के समान छोटा करेगा, वह स्वर्ग के राज्य में बड़ा होगा।
5 और जो कोई मेरे नाम से एक ऐसे बालक को ग्रहण करता है वह मुझे ग्रहण करता है।
6 पर जो कोई इन छोटोंमें से जो मुझ पर विश्वास करते हैं एक को ठोकर खिलाए, उसके लिथे भला होता, कि बड़ी चक्की का पाट उसके गले में लटकाया जाता, और वह गहिरे समुद्र में डुबाया जाता।
7 ठोकरोंके कारण संसार पर हाथ! ठोकरोंका लगना अवश्य है; पर हाथ उस मनुष्य पर जिस के द्वारा ठोकर लगती है।
8 यदि तेरा हाथ या तेरा पांव तुझे ठोकर खिलाए, तो काटकर फेंक दे; टुण्डा या लंगड़ा होकर जीवन में प्रवेश करना तेरे लिथे इस से भला है, कि दो हाथ या दो पांव रहते हुए तू अनन्त आग में डाला जाए।
9 और यदि तेरी आंख तुझे ठोकर खिलाए, तो उसे निकालकर फेंक दे।
10 काना होकर जीवन में प्रवेश करना तेरे लिथे इस से भला है, कि दो आंख रहते हुए तू नरक की आग में डाला जाए।
11 देखो, तुम इन छोटोंमें से किसी को तुच्छ न जानना; क्योंकि मैं तुम से कहता हूं, कि स्वर्ग में उन के दूत मेरे स्वर्गीय पिता का मुंह सदा देखते हैं।
12 तुम क्या समझते हो यदि किसी मनुष्य की सौ भेड़ें हों, और उन में से एक भटक जाए, तो क्या निन्नानवे को छोड़कर, और पहाड़ोंपर जाकर, उस भटकी हुई को न ढूंढ़ेगा
13 और यदि ऐसा हो कि उसे पाए, तो मैं तुम से सच कहता हूं, कि वह उन निन्नानवे भेड़ोंके लिथे जो भटकी नहीं यीं इतना आनन्द नहीं करेगा, जितना कि इस भेड़ के लिथे करेगा।
14 ऐसा ही तुम्हारे पिता की जो स्वर्ग में है यह इच्छा नहीं, कि इन छोटोंमें से एक भी नाश हो।
15 यदि तेरा भाई तेरा अपराध करे, तो जा और अकेले में बातचीत करके उसे समझा; यदि वह तेरी सुने तो तू ने अपके भाई को पा लिया।
16 और यदि वह न सुने, तो और एक दो जन को अपके साय ले जा, कि हर एक बात दो या तीन गवाहोंके मुंह से ठहराई जाए।
17 यदि वह उन की भी न माने, तो कलीसिया से कह दे, परन्तु यदि वह कलीसिया की भी न माने, तो तू उसे अन्यजाति और महसूल लेनेवाले के ऐसा जान।
18 मैं तुम से सच कहता हूं, जो कुछ तुम पृय्वी पर बान्धोगे, वह स्वर्ग पर बन्धेगा और जो कुछ तुम पृय्वी पर खोलोगे, वह स्वर्ग पर खुलेगा।
19 फिर मैं तुम से कहता हूं, यदि तुम में से दो जन पृय्वी पर किसी बात के लिथे जिसे वे मांगें, एक मन के हों, तो वह मेरे पिता की ओर से स्वर्ग में है उन के लिथे हो जाएगी।
20 क्योंकि जहां दो या तीन मेरे नाम पर इकट्ठे होते हैं वहां मैं उन के बीच में होता हूं।।
21 तब पतरस ने पास आकर, उस से कहा, हे प्रभु, यदि मेरा भाई अपराध करता रहे, तो मैं कितनी बार उसे झमा करूं, क्या सात बार तक
22 यीशु ने उस से कहा, मैं तुझ से यह नहीं कहता, कि सात बार, बरन सात बार के सत्तर गुने तक।
23 इसलिथे स्वर्ग का राज्य उस राजा के समान है, जिस ने अपके दासोंसे लेखा लेना चाहा।
24 जब वह लेखा लेने लगा, तो एक जन उसके साम्हने लाया गया जो दस हजार तोड़े धारता या।
25 जब कि चुकाने को उसके पास कुछ न या, तो उसके स्वामी ने कहा, कि यह और इस की पत्नी और लड़केबाले और जो कुछ इस का है सब बेचा जाए, और वह कर्ज चुका दिया जाए।
26 इस पर उस दास ने गिरकर उसे प्रणाम किया, और कहा; हे स्वामी, धीरज धर, मैं सब कुछ भर दूंगा।
27 तब उस दास के स्वामी ने तरस खाकर उसे छोड़ दिया, और उसका धार झमा किया।
28 परन्तु जब वह दास बाहर निकला, तो उसके संगी दासोंमें से एक उस को मिला, जो उसके सौ दीनार धारता या; उस ने उसे पकड़कर उसका गला घोंटा, और कहा; जो कुछ तू धारता है भर दे।
29 इस पर उसका संगी दास गिरकर, उस से बिनती करने लगा; कि धीरज धर मैं सब भर दूंगा।
30 उस ने न माना, परन्तु जाकर उसे बन्दीगृह में डाल दिया; कि जब तक कर्ज को भर न दे, तब तक वहीं रहे।
31 उसके संगी दास यह जो हुआ या देखकर बहुत उदास हुए, और जाकर अपके स्वामी को पूरा हाल बता दिया।
32 तब उसके स्वामी ने उस को बुलाकर उस से कहा, हे दुष्ट दास, तू ने जो मुझ से बिनती की, तो मैं ने तो तेरा वह पूरा कर्ज झमा किया।
33 सो जैसा मैं ने तुझ पर दया की, वैसे ही क्या तुझे भी अपके संगी दास पर दया करना नहीं चाहिए या
34 और उसके स्वामी ने क्रोध में आकर उसे दण्ड देनेवालोंके हाथ में सौंप दिया, कि जब तक वह सब कर्जा भर न दे, तब तक उन के हाथ में रहे।
35 इसी प्रकार यदि तुम में से हर एक अपके भाई को मन से झमा न करेगा, तो मेरा पिता जो स्वर्ग में है, तुम से भी वैसा ही करेगा।।