1 यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,
2 हे मनुष्य के सन्तान, इस्राएल के घराने से यह पकेली और दृष्टान्त कह; प्रभू यहोवा योंकहता हे,
3 एक लम्बे पंखवाले, परोंसे भरे और रडंगे बिरडंगे बडे उकाब पक्की ने लबानोन जाकर एक देवदार की फुनगी नोच ली।
4 तब उस ने उस फुनगी की सब से ऊपर की पतली टहनी को तोड़ लिया, और उसे लेन देन करनेवालोंके देश में ले जाकर व्योपारियोंके एक नगर में लगाया।
5 तब उस ने देश का कुछ बीज लेकर एक उपजाऊ खेत में बोया, और उसे बहुत जल भरे स्यान में मजनू की नाई लगाया।
6 और वह उगकर छोटी फैलनेवाली अंगूर की लता हो गई जिसकी डालियां उसकी ओर फुकीं, और उसकी सोर उसके नीचे फैलीं; इस प्रकार से वह अंगूर की लता होकर कनखा फोड़ने और पत्तोंसे भरने लगी।
7 फिर और एक लम्बे पंखवाला और परोंसे भरा हुआ बड़ा उकाब पक्की या; और वह अंगूर की लता उस स्यान से जहां वह लगाई गई यी, उस दूसरे उकाब की ओर अपक्की सोर फैलाने और अपक्की डालियां फुकाने लगी कि वह उसे ख्ींचा करे।
8 परन्तु वह तो इसलिथे अच्छी भूमि में बहुत जल के पास लगाई गई यी, कि कनखएं फोड़े, और फले, और उत्तम अंगूर की लता बने।
9 सो तू यह कह, कि प्रभु यहोवा योंपूछता है, क्या वह फूले फलेगी? क्या वह उसको जड़ से न उखाड़ेगा, और उसके फलोंको न फाड़ डालेगा कि वह अपक्की सब हरी नई पत्तियोंसमेत सूख जाए? इसे जड़ से उखाड़ने के लिथे अधिक बल और बहुत से मनुष्योंकी आवश्यकता न होगी।
10 चाहे, वह लगी भी रहे, तौभी क्या वह फूले फलेगी? जब पुरवाई उसे लगे, तब क्या वह बिलकुल सूख न जाएगी? वह तो जहां उगी है उसी क्यारी में सूख जाएगी।
11 फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा, उस बलवा करनेवाले घराने से कह,
12 क्या तुम इन बातोंका अर्य नहीं समझते? फिर उन से कह, बाबुल के राजा ने यरूशलेम को जाकर उसके राजा और और प्रधानोंको लेकर अपके यहां बाबुल में पहुंचाया।
13 तब राजवंश में से एक पुरुष को लेकर उस से वाचा बान्धी, और उसको वश में रहने की शपय खिलाई, और देश के सामयीं पुरुषोंको ले गया
14 कि वह राज्य निर्बल रहे और सिर न उठा सके, वरन वाचा पालने से स्यिर रहे।
15 तौभी इस ने घोड़े और बड़ी सेना मांगने को अपके दूत मिस्र में भेजकर उस से बलवा किया। क्या वह फूले फलेगा? क्या ऐसे कामोंका करनेवाला बचेगा? क्या वह अपक्की वाचा तोड़ने पर भी बच जाएगा?
16 प्रभु यहोवा योंकहता है, मेरे जीवन की सौगन्ध, जिस राजा की खिलाई हुई शपय उस ने तुच्छ जानी, और जिसकी वाचा उस ने तोड़ी, उसके यहां जिस ने उसे राजा बनाया या, अर्यात् बाबुल में ही वह उसके पास ही मर जाएगा।
17 और जब वे बहुत से प्राणियोंको नाश करने के लिथे दमदमा बान्धे, और गढ़ बनाएं, तब फिरौन अपक्की बड़ी सेना और बहुतोंकी मण्डली रहते भी युद्ध में उसकी सहाथता न करेगा।
18 क्योंकि उस न शपय को तुच्छ जाना, और वाचा को तोड़ा; देखो, उस ने वचन देने पर भी ऐसे ऐसे काम किए हैं, सो वह बचने न पाएगा।
19 प्रभु यहोवा योंकहता है कि मेरे जीवन की सौगन्ध, उस ने मेरी शपय तुच्छ जानी, और मेरी वाचा तोड़ी है; यह पाप मैं उसी के सिर पर डालूंगा।
20 और मैं अपना जाल उस पर फैलाऊंगा और वह मेरे फन्दे में फंसेगा; और मैं उसको बाबुल में पहुंचाकर उस विश्वासघात का मुक़द्दमा उस से लड़ूंगा, जो उस ने मुझ से किया है।
21 और उसके सब दलोंमें से जितने भागें वे सब तलवार से मारे जाएंगे, और जो रह जाएं सो चारोंदिशाओं में तितर-बितर हो जाएंगे। तब तुम लोग जान लोगे कि मुझ यहोवा ही ने ऐसा कहा है।
22 फिर प्रभु यहोवा योंकहता है, मैं भी देवदार की ऊंची फुनगी में से कुछ लेकर लगाऊंगा, और उसकी सब से ऊपरवाली कनखाओं में से एक कोमल कनखा तोड़कर एक अति ऊंचे पर्वत पर लगाऊंगा।
23 अर्यात् इस्राएल के ऊंचे पर्वत पर लगाऊंगा; सो वह डालियां फोड़कर बलवन्त और उत्तम देवदार बन जाएगा, और उसके नीचे अर्यात् उसकी डालियोंकी छाया में भांति भांति के सब पक्की बसेरा करेंगे।
24 तब मैदान के सब वृझ जान लेंगे कि मुझ यहोवा ही ने ऊंचे वृझ को नीचा और नीचे पृझ को ऊंचा किया, हरे वृझ को सुखा दिया, और सूखे वृझ को फुलाया फलाया है। मुझ यहोवा ही ने यह कहा और वैसा ही कर भी दिया है।