1 और हे मनुष्य के सन्तान, तू एक ईट ले और उसे अपके साम्हने रखकर उस पर एक नगर, अर्यात् यरूशलेम का चित्र ख्ींच;
2 तब उसे घेर अर्यात् उसके विरुद्ध क़िला बना और उसके साम्हने दमदमा बान्ध; और छावनी डाल, और उसके चारोंओर युद्ध के यंत्र लगा।
3 तब तू लोहे की याली लेकर उसको लोहें की शहरपनाह मानकर अपके ओर उस नगर के बीच खड़ा कर; तब अपना मुंह उसके साम्हने करके उसे घेरवा, इस रीति से तू उसे घेर रखना। यह इस्राएल के घराने के लिथे चिन्ह ठहरेगा।
4 फिर तू अपके बांथें पांजर के बल लेटकर इस्राएल के घराने का अधर्म अपके ऊपर रख; क्योंकि जितने दिन तू उस पांजर के बल लेटा रहेगा, उतने दिन तक उन लोगोंके अधर्म का भार सहता रह।
5 मैं ने उनके अधर्म के बषॉं के तुल्य तेरे लिथे दिन ठहराए हैं, अर्यात् तीन सौ नब्बे दिन; उतने दिन तक तू इस्राएल के घराने के अधर्म का भार सहता रह।
6 और जब इतने दिन पूरे हो जाएं, तब अपके दहिने पांजर के बल लेटकर यहूदा के घराने के अधर्म का भार सह लेना; मैं ने उसके लिथे भी और तेरे लिथे एक वर्ष की सन्ती एक दिन अर्यात् चालीस दिन ठहराए हैं।
7 और तू यरूशलेम के घेरने के लिथे बांह उघाड़े हुए अपना मुंह उघर करके उसके विरुद्ध भविष्यद्वाणी करना।
8 और देख, मैं तुझे रस्सिक्कों जकडूंगा, और जब तक उसके घेरने के दिन पूरे न हों, तब तक तू करवट न ले सकेगा।
9 और तू गेहूं, जव, सेम, मसूर, बाजरा, और कठिया गेहूं लेकर, एक बासन में रखकर उन से रोटी बनाया करना। जितने दिन तू अपके पांजर के बल लेटा रहेगा, उतने अर्यात् तीन सौ नब्बे दिन तक उसे खाया करना।
10 और जो भेजन तू खाए, उसे तौल तौलकर खाना, अर्यात् प्रति दिन बीस बीस शेकेल भर खाया करता, और उसे समय समय पर खाना।
11 पानी भी तू मापकर पिया करना, अर्यात् प्रति दिन हीन का छठवां अंश पीना; और उसको समय समय पर पीना।
12 और अपना भोजन जब की रोटियोंकी नाई बनाकर खाया करना, और उसको मनुष्य की बिष्ठा से उनके देखते दनाया करना।
13 फिर यहोवा ने कहा, इसी प्रकार से इस्राएल उन जातियोंके बीच अपक्की अपक्की रोटी अशुद्धता से खाया करेंगे, जहां में उन्हें बरबस पहुंचाऊंगा।
14 तब मैं ने कहा, हाथ, यहोवा परमेश्वर देख, मेरा मन कभी अशुद्ध नहीं हुआ, और न मैं ने बचपन से लेकर अब तक अपक्की मृत्यु से मरे हुए वा फाड़े हुए पशु का मांस खाया, और न किसी प्रकार का घिनौना मांस मेरे पुंह में कभी गया है।
15 तब उस ने मुझ से कहा, देख, मैं ने तेरे लिथे मनुष्य की विष्ठा की सन्ती गोबर ठहराया है, और उसी से तू अपक्की रोठी बनाना।
16 फिर उस ने मुझ से कहा, हे मनुष्य के सन्तान, देख, मैं यरूशलेम में अन्नरूपी आधार को दूर करूंगा; सो वहां के लोग तौल तोलकर और चिन्ता कर करके रोटी खाया करेंगे; और माप मापकर और विस्मित हो होकर पानी पिया करेंगे।
17 और इस से उन्हें रोटी और पानी की घटी होगी; और वे सब के सब घबराएंगे, और अपके अधर्म में फंसे हुए सूख् जाएंगे।