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यहेजकेल - Chapter 7

1 फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा, 
2 हे मनुष्य के सन्तान, प्रभु यहोवा इस्राएल की भूमि के विषय में योंकहता है, कि अन्त हुआ; चारोंकोनोंसमेत देश का अन्त आ गया है। 
3 तेरा अन्त भी आ गया, और मैं अपना कोप तुझ पर भड़काकर तेरे चालचलन के अनुसार तुझे दण्ड दूंगा; और तेरे सारे घिनौने कामोंका फल तुझे दूंगा। 
4 मेरी दयादृष्टि तुझ पर न होगी, और न मैं कोतलता करूंगा; और जब तक तेरे घिनौने पाप तुझ में बने रहेंगे तब तक मैं तेरे चालचलन का फल तुझे दूंगा। तब तू जान लेगा कि मैं यहोवा हूँ। 
5 प्रभु यहोवा योंकहता है, विपत्ति है, एक बड़ी विपत्ति है ! देखो, वह आती है। 
6 अन्त आ गया है, सब का अन्त आया है; वह तेरे विरुद्ध जागा है। देखो, वह आता है। 
7 हे देश के निवासी, तेरे लिथे चक्र घूम चुका, समय आ गया, दिन निकट है; पहाड़ोंपर आनन्द के शब्द का दिन नहीं, हुल्लड़ ही का होगा। 
8 अब योड़े दिनोंमें मैं अपक्की जलजलाहट तुझ पर भड़काऊंगा, और तुझ पर पूरा कोप उण्डेलूंगा और तेरे चालचलन के अनुसार तुझे दण्ड दूंगा। और तेरे सारे घिनौने कामोंका फल तुझे भुगताऊंगा। 
9 मेरी दयादृष्टि तुझ पर न होगी और न मैं तुझ पर कोपलता करूंगा। मैं तेरी चालचलन का फल तुझे भुगताऊंगा, और तेरे घिनौने पाप तुझ में बने रहेंगे। तब तुम जान लोगे कि मैं यहोवा दण्ड देनेवाला हूँ। 
10 देखो, उस दिन को देखो, वह आता है ! चक्र घूम चुका, छड़ी फूल चुकी, अभिमान फूला है। 
11 उपद्रव बढ़ते बढ़ते दुष्टता का दण्ड बन गया; उन में से कोई न बचेगा, और न उनकी भीड़-भाड़, न उनके धन में से कुछ रहेगा; और न उन में से किसी के लिथे विलाप सुन पकेगा। 
12 समय आ गया, दिन निकट आ गया है; न तो मोल लेनेवाला आनन्द करे और न बेचनेवाला शोक करे, क्योंकि उनकी सारी भीड़ पर कोप भड़क उठा है। 
13 चाहे वे जीवित रहें, तौभी बेचनेवाला बेची हुई वस्तु के पास कभी लौटने न पाएगा; क्योंकि दर्शन की यह बात देश की सारी भीड़ पर घटेगी; कोई न लौटेगा; कोई भी मनुष्य, जो अधर्म में जीवित रहता है, बल न पकड़ सकेगा। 
14 उन्होंने नरसिंगा फूंका और सब कुछ तैयार कर दिया; परन्तु युद्ध में कोई नहीं जाता क्योंकि देश की सारी भीड़ पर मेरा कोप भड़का हुआ है। 
15 बाहर तलवार और भीतर महंगी और मरी हैं; जो मैदान में हो वह तलवार से मरेगा, और जो नगर में हो वह भूख और मरी से मारा जाएगा। 
16 और उन में से जो बच निकलेंगे वे बचेंगे तो सही परन्तु अपके अपके अधर्म में फसे रहकर तराइयोंमें रहनेवाले कबूतरोंकी नाई पहाड़ोंके ऊपर विलाप करते रहेंगे। 
17 सब के हाथ ढीले और सब के घुटने अति निर्बल हो जाएंगे। 
18 और वे कमर में टाट कसेंगे, और उनके रोए खड़े होंगे; सब के मुंह सूख जाएंगे और सब के सिर मूंड़े जाएंगे। 
19 वे अपक्की चान्दी सड़कोंमें फेंक देंगे, और उनका सोना अशुद्ध वस्तु छहरेगा; यहोवा की जलन के दिन उनका सोना चान्दी उनको बचा न सकेगी, न उस से उनका जी सन्तुष्ट होगा, न उनके पेट भरेंगे। क्योंकि वह उनके अधर्म के ठोकर का कारण हुआ है। 
20 उनका देश जो शोभायमान और शिरोमणि या, उसके विषय में उन्होंने गर्व ही गर्व करके उस में अपक्की घृणित वस्तु ओं की मूरतें, और घृणित वस्तुएं बना रखीं, इस कारण मैं ने उसे उनके लिथे अशुद्ध वस्तु ठहराया हे। 
21 और मैं उसे लूटने के लिथे परदेशियोंके हाथ, और घन छाीनने के लिथे पृय्वी के बुष्ट लोगोंके वश में कर दूंगा; और वे उसे अपवित्र कर डालेंगे। 
22 मैं उन से मुंह फेर लूंगा, तब वे मेरे रझित स्यान को अपवित्र करेंगे; डाकू उस में घुसकर उसे अपवित्र करेंगे; 
23 एक सांकल बना दे, क्योंकि देश अन्याय की हत्या से, और नगर उपद्रव से भरा हुआ है। 
24 मैं अन्यजातियोंके बुरे से बुरे लोगोंको लाऊंगा, जो उनके घरोंके स्वामी हो जाएंगे; और मैं सामयिर्योंका गर्व तोड़ दूंगा और उनके पवित्रस्यान अपवित्र किए जाएंगे। 
25 सत्यानाश होने पर है तब ढूंढ़ने पर भी उन्हें शान्ति न मिलेंगी। 
26 विपत्ति पर विपत्ति आएगी और उड़ती हुई चर्चा पर चर्चा सुनाई पकेगी; और लोग भविष्यद्वक्ता से दर्शन की बात पूछेंगे, परन्तु याजक के पास से व्यवस्या, और पुरनिथे के पास से सम्मति देने की शक्ति जाती रहेगी। 
27 राजा तो शोक करेगा, और रईस उदासीरूपी वस्त्र पहिनेंगे, और देश के लोगोंके हाथ ढीले पकेंगे। मैं उनके चलन के अनुसार उन से बर्ताव करूंगा, और उनकी कमाई के समान उनको दण्ड दूंगा; तब वे जान लेंगे कि मैं यहोवा हूँ।