1 नवें वर्ष के दसवें महीने के दसवें दिन को, यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,
2 हे मनुष्य के सन्तान, आज का दिन लिख रख, क्योंकि आज ही के दिन बाबुल के राजा ने यरूशलेम आ घेरा है।
3 और इस बलबई घराने से यह दृष्टान्त कह, प्रभु यहोवा कहता है, हण्डे को आग पर घर दो; उसे धरकर उस में पानी डाल दो;
4 तब उस में जांध, कन्धा और सब अच्छे अच्छे टुकड़े बटोरकर रखो; और उसे उत्तम उत्तम हड्डियोंसे भर दो।
5 फुंड में से सब से अच्छे पशु लेकर उन हड्डियोंको हगडे के नीचे ढेर करो; और उनको भली-भांति पकाओ ताकि भीतर ही हड्डियां भी पक जाएं।
6 इसलिथे प्रभु यहोवा योंकहता है, हाथ, उस हत्यारी नगरी पर ! हाथ उस हण्डे पर ! जिसका मोर्चा उस में बना है और छूटा नहीं; उस में से टुकड़ा टुकड़ा करके निकाल लो, उस पर चिट्ठी न डाली जाए।
7 क्योंकि उस नगरी में किया हुआ खून उस में है; उस ने उसे भूमि पर डालकर धूलि से नहीं ढांपा, परन्तु नंगी चट्टान पर रख दिया।
8 इसलिथे मैं ने भी उसका खून नंगी चट्टान पर रखा है कि वह ढंप न सके और कि बदला लेने को जलजलाहट भड़के।
9 प्रभु यहोवा योंकहता है, हाथ, उस खूनी नगरी पर ! मैं भी ढेर को बड़ा करूंगा।
10 और अधिक लकड़ी डाल, आग को बहुत तेज कर, मांस को भली भांति पका और मसाला मिला, और हड्डियां भी जला दो।
11 तब हण्डे को छूछा करके अंगारोंपर रख जिस से वह गर्म हो और उसका पीतल जले और उस में का मैल गले, और उसका मोर्चा नष्ट हो जाए।
12 मैं उसके कारण परिश्र्म करते करते यक गया, परन्तु उसका भारी मोर्चा उस से छूटता नहीं, उसका मोर्चा आग के द्वारा भी नहीं छूटता।
13 हे नगरी तेरी अशुद्धता महापाप की है। मैं तो तुझे शुद्ध करना चाहता या, परन्तु तू शुद्ध नहीं हुई, इस कारण जब तक मैं अपक्की लजलजाहट तुझ पर शान्त न कर लूं, तब तक तू फिर शुद्ध न की जाएगी।
14 मुझ यहोवा ही ने यह कहा है; और वह हो जाएगा, मैं ऐसा ही करूंगा, मैं तुझे न छोड़ूंगा, न तुझ पर तरस खऊंगा न पछताऊंगा; तेरे चालचलन और कामोंही के अनुसार तेरा न्याय किया जाएगा, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।
15 यहोवा का यह भी वचन मेरे पास पहुंचा,
16 हे मनुष्य के सन्तान, देख, मैं तेरी आंखोंकी प्रिय को मारकर तेरे पास से ले लेने पर हूँ; परन्तु न तू रोना-पीटना और न आंसू बहाना।
17 लम्बी सांसें ले तो ले, परन्तु वे सुनाई न पकें; मरे हुओं के लिथे भी विलाप न करना । सिर पर पगड़ी बान्धे और पांवोंमें जूती पहने रहना; और न तो अपके होंठ को ढांपना न शोक के योग्य रोटी खाना।
18 तब मैं सवेरे लोगोंसे बोला, और सांफ को मेरी स्त्री मर गई। और बिहान को मैं ने आज्ञा के अनुसार किया।
19 तब लोग मुझ से कहने लगे, क्या तू हमें न बताएगा कि यह जो तू करता है, इसका हम लोगोंके लिथे क्या अर्य है?
20 मैं ने उनको उत्तर दिया, यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,
21 तू इस्राएल के घराने से कह, प्रभु यहोवा योंकहता है, देखो, मैं अपके पवित्रस्यान को जिसके गढ़ होने पर तुम फूलते हो, और जो तम्हारी आंखोंका चाहा हुआ है, और जिसको तुम्हारा मन चाहता है, उसे मैं अपवित्र करने पर हूं; और अपके जिन बेटे-बेटियोंको तुम वहां छोड़ आए हो, वे तलवार से मारे जाएंगे।
22 और जैसा मैं ने किया है वैसा ही तुम लोग करोगे, तुम भी अपके होंठ न ढांपोगे, न शोक के योग्य रोटी खाओगे।
23 तूम सिर पर पगड़ी बान्धे और पांवोंमें जूती पहिने रहोगे, न तुम रोओगे, न छाती पीटोगे, वरन अपके अधर्म के कामोंमें फंसे हुए गलते जाओगे और एक दूसरे की ओर कराहते रहोगे।
24 इस रीति यहोजकेल तुम्हारे लिथे चिन्ह ठहरेगा; जैसा उस ने किया, ठीक वैसा ही तुम भी करोगे। और जब यह हो जाए, तब तुम जान लोगे कि मैं परमेश्वर यहोवा हूँ।
25 और हे मनुष्य के सन्तान, क्या यह सच नहीं, कि जिस दिन मैं उनका दृढ़ गढ़, उनकी शोभा, और हर्ष का कारण, और उनके बेटे-बेटियां जो उनकी शोभा, उनकी आंखोंका आनन्द, और मन की चाह हैं, उनको मैं उन से ले लूंगा,
26 उसी दिन जो भागकर बचेगा, वह तेरे पास आकर तुझे समाचार सुनाएगा।
27 उसी दिन तेरा मुंह खुलेगा, और तू फिर चुप न रहेगा परन्तु उस बचे हुए के साय बातें करेगा। सो तू इन लोगोंके लिथे चिन्ह ठहरेगा; और थे जान लेंगे कि मैं यहोवा हूँ।