1 हे यहोवा, यदि मैं तुझ से मुक़द्दमा लड़ूं, तौभी तू धमीं है; मुझे अपके साय इस विषय पर वादविवाद करने दे। दुष्टोंकी चाल क्योंसफंल होती है? क्या कारण है कि विश्वासघाती बहुत सुख से रहते हैं?
2 तू उनको बोता और वे जड़ भी पकड़ते; वे बढ़ते और फलते भी हैं; तू उनके मुंह के निकट है परन्तु उनके मनोंसे दूर है।
3 हे यहोवा तू मुझे जानता है; तू मुझे देखता है, और तू ने मेरे मन की पक्कीझा करके देखा कि मैं तेरी ओर किस प्रकार रहता हूँ। जैसे भेड़-बकरियां घात होने के लिथे फुण्ड में से निकाली जाती हैं, वैसे ही उनको भी निकाल ले और वध के दिन के लिथे तैयार कर।
4 कब तक देश विलाप करता रहेगा, और सारे मैदान की घास सूखी रहेगी? देश के निवासियोंकी बुराई के कारण पशु-पक्की सब नाश हो गए हैं, क्योंकि उन लोगोंने कहा, वह हमारे अन्त को न देखेगा।
5 तू जो प्यादोंही के संग दौड़कर यक गया है तो घेड़ोंके संग क्योंकर बराबरी कर सकेगा? और यद्यपि तू शान्ति के इस देश में निडर है, परन्तु यरदन के आसपास के धने जंगल में तू क्या करेगा?
6 क्योंकि तेरे भाई और तेरे घराने के लोगोंने भी तेरा विश्वासघात किया है; वे तेरे पीछे ललकारते हैं, यदि वे तुझ से मीठी बातें भी कहें, तौभी उनकी प्रतीति न करना।
7 मैं ने अपना घर छोड़ दिया, अपना निज भाग मैं ने त्याग दिया है; मैं ने अपक्की प्राणप्रिया को शत्रुओं के वश में कर दिया है।
8 क्योंकि मेरा निज भाग मेरे देखने में वन के सिंह के समान हो गया और मेरे विरुद्ध गरजा है; इस कारण मैं ने उस से बैर किया है।
9 क्या मेरा निज भाग मेरी दृष्टि में चित्तीवाले शिकारी पक्की के समान नहीं है? क्या शिकारी पक्की चारोंओर से उसे घेरे हुए हैं? जाओ सब जंगली पशुओं को इकट्ठा करो; उनको लाओ कि खा जाएं।
10 बहुत से चरवाहोंने मेरी दाख की बारी को बिगाड़ कर दिया, उन्होंने मेरे भाग को लताड़ा, वरन मेरे मनोहर भाग के खेत को सुनसान जंगल बना दिया है।
11 उन्होंने उसको उजाड़ दिया; वह उजड़कर मेरे साम्हने विलाप कर रहा है। सारा देश उजड़ गया है, तौभी कोई नहीं सोचता।
12 जंगल के सब मुंडे टीलोंपर नाशक चढ़ आए हैं; क्योंकि यहोवा की तलवार देश के एक छोर से लेकर दूसरी छोर तक निगलती जाती है; किसी मनुष्य को शांन्ति नहीं मिलती।
13 उन्होंने गेहूं तो बोया, परन्तु कटीले पेड़ काटे, उन्होंने कष्ट तो उठाया, परन्तु उस से कुछ लाभ न हुआ। यहोवा के क्रोध के भड़कने के कारण तुम अपके खेतोंकी उपज के विषय में लज्जित हो।
14 मेरे दुष्ट पड़ोसी उस भाग पर हाथ लगाते हैं, जिसका भागी मैं ने अपक्की प्रजा इस्राएल को बनाया है। उनके विष्य यहोवा योंकहता है कि मैं उनको उनकी भूमि में से उखाड़ डालूंगा, और यहूदा के घराने को भी उनके बीच में से उखड़ूंगा।
15 उन्हें उखाड़ने के बाद मैं फिर उन पर दया करूंगा, और उन में से हर एक को उसके निज़ भाग और भूमि में फिर से लगाऊंगा।
16 और यदि वे मेरी प्रजा की चाल सीखकर मेरे ही नाम की सौगन्ध, यहोवा के जीवन की सौगन्ध, खाने लगें, जिस प्रकार से उन्होंने मेरी प्रजा को बाल की सौगन्ध खाना सिखलाया या, तब मेरी प्रजा के बीच उनका भी वंश बढ़ेगा।
17 परन्तु यदि वे न मानें, तो मैं उस जाति को ऐसा उखाड़ूंगा कि वह फिर कभी न पनंपेगी, यहोवा की यही वाणी है।