1 यहोवा ने योंकहा, यहूदा के राजा के भवन में उतरकर यह वचन कह,
2 हे दाऊद की गद्दी पर विराजमान यहूदा के राजा, तू अपके कर्मचारियोंऔर अपक्की प्रजा के लोगोंसमेत जो इन फाटकोंसे आया करते हैं, यहोवा का वचन सुन।
3 यहोवा योंकहता है, न्याय और धर्म के काम करो; और लुटे हुए को अन्धेर करनेवाले के हाथ से छुड़ाओ। और परदेशी, अनाय और विधवा पर अन्धेर व उपद्रव मत करो, न इस स्यान में निदॉषोंका लोहू बहाओ।
4 देखो, यदि तुम ऐसा करोगे, तो इस भवन के फाटकोंसे होकर दाऊद की गद्दी पर विराजमान राजा रयोंऔर घोड़ोंपर चढ़े हुए अपके अपके कर्मचारियोंऔर प्रजा समेत प्रवेश किया करेंगे।
5 परन्तु, यदि तुम इन बातोंको न मानो तो, मैं अपक्की ही सौगन्ध खाकर कहता हूँ, यहोवा की यह वाणी है, कि यह भवन उजाड़ हो जाएगा।
6 क्योंकि यहोवा यहूदा के राजा के इस भवन के विषय में योंकहता है, तू मुझे गिलाद देश सा और लबानोन के शिखर सा दिखाई पड़ता है, परन्तु निश्चय मैं तुझे मरुस्यल व एक निर्जन नगर बनाऊंगा।
7 मैं नाश करनेवालोंको हयियार देकर तेरे विरुद्ध भेजूंगा; वे तेरे सुन्दर देवदारोंको काटकर आग में फोंक देंगे।
8 और जाति जाति के लोग जब इस नगर के पास से निकलेंगे तब एक दूसरे से पूछेंगे, यहोवा ने इस बड़े नगर की ऐसी दशा क्योंकी है?
9 तब लोग कहेंगे, इसका कारण यह हे कि उन्होंने अपके परमेश्वर यहोवा की वाचा को तोड़कर दूसरे देवताओं को दण्डवत् की और उनकी उपासना भी की।
10 मरे हुओं के लिथे मत रोओ, उसके लिथे विलाप मत करो। उसी के लिथे फूट फूटकर रोओ जो परदेश चला गया है, क्योंकि वह लौटकर अपक्की जन्मभूमि को फिर कभी देखने न पाएगा।
11 क्योंकि यहूदा के राजा योशिय्याह का पुत्र शल्लूम, जो अपके पिता योशिय्याह के स्यान पर राजा या और इस स्यान से निकल गया, उसके विषय में यहोवा योंकहता है कि वह फिर यहां लौटकर न आने पाएगा।
12 वह जिस स्यान में बंधुआ होकर गया है उसी में मर जाएगा, और इस देश को फिर कभी देखने न पाएगा।
13 उस पर हाथ जो अपके घर को अधर्म से और अपक्की उपरौठी कोठरियोंको अन्याय से बनवाता है; जो अपके पड़ोसी से बेगारी में काम कराता है और उसकी मज़दूरी नहीं देता।
14 वह कहता है, मैं अपके लिथे लम्बा-चौड़ा घर और हवादार कोठा बना लूंगा, और वह खिड़कियां बनाकर उन्हें देवदार की लकड़ी से पाट लेता है, और सिन्दूर से रंग देता है।
15 तू जो देवदार की लकड़ी का अभिलाषी है, क्या इस रीति से तेरा राज्य स्यिर रहेगा। देख, तेरा पिता न्याय और धर्म के काम करता या, और वह खाता पीता और सुख से भी रहता या !
16 वह इस कारण सुख से रहता या क्योंकि वह दीन और दरिद्र लोगोंका न्याय चुकाता या। क्या यही मेरा ज्ञान रखना नहीं है? यहोवा की यह वाणी है।
17 परन्तु तू केवल अपना ही लाभ देखता है, और निदॉषोंकी हत्या करने और अन्धेर और उपद्रव करने में अपना मन और दृष्टि लगाता है।
18 इसलिथे योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा यहोयाकीम के विषय में यहोवा यह कहता है, कि जैसे लोग इस रीति से कहकर रोते हैं, हाथ मेरे भाई, हाथ मेरी बहिन ! इस प्रकार कोई हाथ मेरे प्रभु वा हाथ तेरा विभव कहकर उसके लिथे विलाप न करेगा।
19 वरन उसको गदहे की नाई मिट्टी दी जाएगी, वह घसीटकर यरूशलेम के फाटकोंके बाहर फेंक दिया जाएगा।
20 लबानोन पर चढ़कर हाथ हाथ कर, तब बाशान जाकर ऊंचे स्वर से चिल्ला; फिर अबारीम पहाड़ पर जाकर हाथ-हाथ कर, क्योंकि तेरे सब मित्र नाश हो गए हैं।
21 तेरे सुख के समय मैं ने तुझ को चिताया या, परन्तु तू ने कहा, मैं तेरी न सुनूंगी। युवावस्या ही से तेरी चाल ऐसी है कि तू मेरी बात नहीं सुनती।
22 तेरे सब चरवाहे वायु से उड़ाए जाएंगे, और तेरे मित्र बंधुआई में चले जाएंगे; निश्चय तू उस समय अपक्की सारी बुराइयोंके कारण लज्जित होगी और तेरा मुंह काला हो जाएगा।
23 हे लबानोन की रहनेवाली, हे देवदार में अपना घोंसला बनानेवालो, जब तुझ को जच्चा की सी पीड़ाएं उठें तब तू व्याकुल हो जाएगी !
24 यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, चाहे यहोयाकीम का पुत्र यहूदा का राजा कोन्याह, मेरे दहिने हाथ की अंगूठी भी होता, तोभी मैं उसे उतार फेंकता।
25 मैं तुझे तेरे प्राण के खोजियोंके हाथ, और जिन से तू डरता है उनके अर्यात् बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर और कसदियोंके हाथ में कर दूंगा।
26 मैं तुझे तेरी जननी समेत एक पराए देश में जो तुम्हारी जन्मभूमि नहीं है फेंक दूंगा, और तुम वहीं मर जाओगे।
27 परन्तु जिस देश में वे लौटने की बड़ी लालसा करते हैं, वहां कभी लौटने न पाएंगे।
28 क्या, यह पुरुष कोन्याह तुच्छ और टूटा हुआ बर्तन है? क्या यह निकम्मा बर्तन है? फिर वह वंश समेत अनजाने देश में क्योंनिकालकर फेंक दिया जाएगा?
29 हे पृय्वी, पृय्वी, हे पृय्वी, यहोवा का वचन सुन !
30 यहोवा योंकहता है कि इस पुरुष को निर्वश लिखो, उसका जीवनकाल कुशल से न बीतेगा; और न उसके वंश में से कोई भाग्यवान होकर दाऊद की गद्दी पर विराजमान वा यहूदियोंपर प्रभुता करनेवाला होगा।