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यिर्मयाह - Chapter 31

1 उन दिनोंमें मैं सारे इस्राएली कुलोंका परमेश्वर ठहरूंगा और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यही वाणी है। 
2 यहोवा योंकहता है: जो प्रजा तलवार से बच निकली, उन पर जंगल में अनुग्रह हुआ; मैं इस्राएल को विश्रम देने के लिथे तैयार हुआ। 
3 यहोवा ने मुझे दूर से दर्शन देकर कहा है। मैं तुझ से सदा प्रेम रखता आया हूँ; इस कारण मैं ने तुझ पर अपक्की करुणा बनाए रखी है। 
4 हे इस्राएली कुमारी कन्या ! मैं तुझे फिर बसाऊंगा; वहां तू फिर सिंगार करके डफ बजाने लगेगी, और आनन्द करनेवालोंके बीच में नाचक्की हुई निकलेगी। 
5 तू शोमरोन के पहाड़ोंपर अंगूर की बारियं फिर लगाएगी; और जो उन्हें लगाएंगे, वे उनके फल भी खाने पाएंगे। 
6 क्योंकि ऐसा दिन आएगा, जिस में एप्रैम के पहाड़ी देश के पहरुए पुकारेंगे: उठो, हम अपके परमेश्वर यहोवा के पास सिय्योन को चलें। 
7 क्योंकि यहोवा योंकहता है: याकूब के कारण आनन्द से जयजयकार करो: जातियोंमें जो श्रेष्ट है उसके लिथे ऊंचे शबद से स्तुति करो, और कहो, हे यहोवा, अपक्की प्रजा इस्राएल के बचे हुए लोगोंका भी उद्धार कर। 
8 देखो, मैं उनको उत्तर देश से ले आऊंगा, और पृय्वी के कोने कोने से इकट्ठे करूंगा, और उनके बीच अन्धे, लंगड़े, गर्भवती, और जच्चा स्त्रियां भी आएंगी; एक बड़ी मण्डली यहां लौट आएगी। 
9 वे आंसू बहाते हुए आएंगे और गिड़गिड़ाते हुए मेरे द्वारा पहुंचाए जाएंगे, मैं उन्हें नदियोंके किनारे किनारे से और ऐसे चौरस मार्ग से ले आऊंगा, जिस से वे ठोकर न खाने पाएंगे; क्योंकि मैं इस्राएल का पिता हूँ, और एप्रैम मेरा जेठा है। 
10 हे जाति जाति के लोगो, यहोवा का वचन सुनो, और दूर दूर के द्वीपोंमें भी इसका प्रचार करो; कहो, कि जिस ने इस्राएलियोंको तितर- बितर किया या, वही उन्हें इकट्ठे भी करेगा, और उनकी ऐसी रझा करेगा जैसी चरवाहा अपके फुण्ड की करता है। 
11 क्योंकि यहोवा ने याकूब को छुड़ा लिया, और उस शत्रु के पंजे से जो उस से अधिक बलवन्त है, उसे छुटकारा दिया है। 
12 इसलिथे वे सिय्योन की चोटी पर आकर जयजयकार करेंगे, और यहोवा से अनाज, नया दाखमधु, टटका तेल, भेड़-बकरियां और गाय-बैलोंके बच्चे आदि उत्तम उत्तम दान पाने के लिथे तांता बान्धकर चलेंगे; और उनका प्राण सींची हुई बारी के समान होगा, और वे फिर कभी उदास न होंगे। 
13 उस समय उनकी कुमारियां नाचक्की हुई हर्ष करेंगी, और जवान और बूढ़े एक संग आनन्द करेंगे। क्योंकि मैं उनके शोक को दूर करके उन्हें आनन्दित करूंगा, मैं उन्हें शान्ति दूंगा, और दु:ख के बदले आनन्द दूंगा। 
14 मैं याजकोंको चिकनी वस्तुओं से अति तृप्त करूंगा, और मेरी प्रजा मेरे उत्तम दानोंसे सन्तुष्ट होगी, यहोवा की यही वाणी है। 
15 यहोवा यह भी कहता है: सुन, रामा नगर में विलाप और बिलक बिलककर रोने का शब्द सुनने में आता है। राहेल अपके लड़कोंके लिथे रो रही है; और अपके लड़कोंके कारण शान्त नहीं होती, क्योंकि वे जाते रहे। 
16 यहोवा योंकहता हे: रोने-पीटने और आंसू बहाने से रुक जा; क्योंकि तेरे परिश्र्म का फल मिलनेवाला है, और वे शत्रुओं के देश से लौट आएंगे। 
17 अन्त में तेरी आशा पूरी होगी, यहोवा की यह वाणी है, तेरे वंश के लोग अपके देश में लौट आएंगे। 
18 निश्चय मैं ने एप्रैम को थे बातें कहकर विलाप करते सुना है कि तू ने मेरी ताड़ना की, और मेरी ताड़ना ऐसे बछड़े की सी हुई जो निकाला न गया हो; परन्तु अब तू मुझे फेर, तब मैं फिरूंगा, क्योंकि तू मेरा परमेश्वर है। 
19 भटक जाने के बाद मैं पछताया: और सिखाए जाने के बाद मैं ने छाती पीटी: पुराने पापोंको स्मसण कर मैं लज्जित हुआ और मेरा मुंह काला हो गया। 
20 क्या एप्रैम मेरा प्रिय पुत्र नहीं है? क्या वह मेरा दुलारा लड़का नहीं है? जब जब मैं उसके विरुद्ध बातें करता हूं, तब तब मुझे उसका स्मरण हो आता है। इसलिथे मेरा मन उसके कारण भर आता है; और मैं निश्चय उस पर दया करूंगा, यहोवा की यही वाणी है। 
21 हे इस्राएली कुमारी, जिस राजमार्ग से तू गई यी, उसी में खम्भे और फण्डे खड़े कर; और अपके इन नगरोंमें लौट आने पर मन लगा। 
22 हे भटकनेवाली कन्या, तू कब तक इधर उधर फिरती रहेगी? यहोवा की एक नई सृष्टि पृय्वी पर प्रगट होगी, अर्यात्‌ नारी पुरुष की सहाथता करेगी। 
23 इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा योंकहता है: जब मैं यहूदी बंधुओं को उनके देश के नगरोंमें लौटाऊंगा, तब उन में यह आशीर्वाद फिर दिया जाएगा: हे धर्मभरे वासस्यान, हे पवित्र पर्वत, यहोवा तुझे आशीष दे ! 
24 और यहूदा और उसके सब नगरोंके लोग और किसान और चरवाहे भी उस में इकट्टे बसेंगे। 
25 क्योंकि मैं ने यके हुए लोगोंका प्राण तृप्त किया, और उदास लोगोंके प्राण को भर दिया है। 
26 इस पर मैं जाग उठा, और देखा, ओर मेरी नीन्द मुझे मीठी लगी। 
27 देख, यहोवा की यह वाणी है, कि ऐसे दिन आनेवाले हैं जिन में मैं इस्राएल और यहूदा के घरानोंके लड़केबाले और पशु दोनोंको बहुत बढ़ाऊंगा। 
28 और जिस प्रकार से मैं सोच सोचकर उनको गिराता और ढाता, नष्ट करता, काट डालता और सत्यानाश ही करता या, उसी प्रकार से मैं अब सोच सोचकर उनको रोपूंगा और बढ़ाऊंगा, यहोवा की यही वाणी है। 
29 उन दिनोंमें वे फिर न कहेंगे कि पुरखा लोगोंने तो जंगली दाख खाई, परन्तु उनके वंश के दांत खट्टे हो गए हैं। 
30 क्योंकि जो कोई जंगली दाख खाए उसी के दांत खट्टे हो जाएंगे, और हर एक मनुष्य अपके ही अधर्म के कारण मारा जाएगा। 
31 फिर यहोवा की यह भी वाणी है, सुन, ऐसे दिन आनेवाले हैं जब मैं इस्राएल और यहूदा के घरानोंसे नई वाचा बान्धूंगा। 
32 वह उस वाचा के समान न होगी जो मैं ने उनके पुरखाओं से उस समय बान्धी यी जब मैं उनका हाथ पकड़कर उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया, क्योंकि यद्यपि मैं उनका पति या, तौभी उन्होंने मेरी वह वाचा तोड़ डाली। 
33 परन्तु जो वाचा मैं उन दिनोंके बाद इस्राएल के घराने से बान्धूंगा, वह यह है: मैं अपक्की व्यवस्या उनके मन में समवाऊंगा, और उसे उनके ह्रृदय पर लिखूंगा; और मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा, और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यह वाणी है। 
34 और तब उन्हें फिर एक दूसरे से यह न कहना पकेगा कि यहोवा को जानो, क्योंकि, यहोवा की यह वाणी है कि छोटे से लेकर बड़े तक, सब के सब मेरा ज्ञान रखेंगे; क्योंकि मैं उनका अधर्म झमा करूंगा, और उनका पाप फिर स्मरण न करूंगा। 
35 जिसने दिन को प्रकाश देने के लिथे सूर्य को और रात को प्रकाश देने के लिथे चन्द्रमा और तारागण के नियम ठहराए हैं, जो समुद्र को उछालता और उसकी लहरोंको गरजाता है, और जिसका नाम सेनाओं का यहोवा है, वही यहोवा योंकहता है: 
36 यदि थे नियम मेरे साम्हने से टल जाएं तब ही यह हो सकेगा कि इस्राएल का वंश मेरी दृष्टि में सदा के लिथे एक जाति ठहरने की अपेझा मिट सकेगा। 
37 यहोवा योंभी कहता है, यदि ऊपर से आकाश मापा जाए और नीचे से पुय्वी की नेव खोद खोदकर पता लगाया जाए, तब ही मैं इस्राएल के सारे वंश को अनके सब पापोंके कारण उन से हाथ उठाऊंगा। 
38 देख, यहोवा की यह वाणी है, ऐसे दिन आ रहे हैं जिन में यह नगर हननेल के गुम्मट से लेकर कोने के फाटक तक यहोवा के लिथे बनाया जाएगा। 
39 और मापके की रस्सी फिर आगे बढ़कर सीधी गारेब पहाड़ी तक, और वहां से घूमकर गोआ को पहुंचेगी। 
40 और लोयोंऔर राख की सब तराई और किद्रोन नाले तक जितने खेत हैं, घोड़ोंके पूवीं फाटक के कोने तक जितनी भूमि है, वह सब यहोवा के लिथे पवित्र ठहरेगी। सदा तक वह नगर फिर कभी न तो गिराया जाएगा और न ढाया जाएगौ