1 हे बिन्यामीनियो, यरूशलेम में से अपना अपना सामान लेकर भागो ! तकोआ में नरसिंगा फूंको, और बेय्क्केरेम पर फण्डा ऊंचा करो; क्योंकि उत्तर की दिशा से आनेवाली विपत्ति बड़ी और विनाश लानेवाली है।
2 सिय्योन की सुन्दर और सुकुमार बेटी को मैं नाश करने पर हूँ।
3 चरवाहे अपक्की अपक्की भेड़-बकरियां संग लिए हुए उस पर चढ़कर उसके चारोंओर अपके तम्बू खड़े करेंगे, वे अपके अपके पास की घास चरा लेंगे।
4 आओ, उसके विरुद्ध युद्ध की तैयारी करो; उठो, हम दो पहर को चढ़ाई करें ! हाथ, हाथ, दिन ढलता जाता है, और सांफ की परछाई लम्बी हो चक्की है !
5 उठो, हम रात ही रात चढ़ाई करें और उसके महलोंको ढा दें।
6 सेनाओं का यहोवा तुम से कहता है, वृझ काट काटकर यरूशलेम के विरुद्व दमदमा बान्धो ! यह वही नगर है जो दणड के योग्य है; इस में अन्धेर ही अनधेर भरा हुआ है।
7 जैसा कूएं में से नित्य नया जल निकला करता है, वैसा ही इस नगर में से नित्य नई बुराई निकलती है; इस में उत्पात और उपद्रव का कोलाहल मचा रहता है; चोट और मारपीट मेरे देखने में निरन्तर आती है।
8 हे यरूशलेम, ताड़ना से ही मान ले, नहीं तो तू मेरे मन से भी उतर जाएगी; और, मैं तुझ को उजाड़कर निर्जन कर डालूंगा।
9 सेनाओं का यहोवा योंकहता है, इस्राएल के सब बचे हुए दाखलता की नाई ढूंढ़कर तोड़े जाएंगे; दाखके तोड़नेवाले की नाई उस लता की डालियोंपर फिर अपना हाथ लगा।
10 मैं किस से बोलूं और किसको चिताकर कहूं कि वे मानें? देख, थे ऊंचा सुनते हैं, वे ध्यान भी नहीं दे सकते; देख, यहोवा के वचन की वे निन्दा करते और उसे नहीं चाहते हैं।
11 इस कारण यहोवा का कोप मेरे मन में भर गया हे; मैं उसे रोकते रोकते उकता गया हूँ। बाज़ारोंमें बच्चोंपर और जवानोंकी सभा में भी उसे उंडेल दे; क्योंकि पति अपक्की पत्नी के साय और अधेड़ बूढ़े के साय पकड़ा जाएगा।
12 उन लोगोंके घर और खेत और स्त्रियां सब औरोंको हो जाएंगीं; क्योंकि मैं इस देश के रहनेवालोंपर हाथ बढ़ाऊंगा, यहोवा की यही वाणी है।
13 क्योंकि उन में छोटे से लेकर बड़े तक सब के सब लालची हैं; और क्या भविष्यद्वक्ता क्या याजक सब के सब छल से काम करते हैं।
14 वे, “शान्ति है, शान्ति,” ऐसा कह कहकर मेरी प्रजा के घाव को ऊपर ही ऊपर चंगा करते हैं, परन्तु शान्ति कुछ भी नहीं।
15 क्या वे कभी अपके घृणित कामोंके कारण लज्जित हुए? नहीं, वे कुछ भी लज्जित नहीं हुए; वे लज्जित होना जानते ही नहीं; इस कारण जब और लोग नीचे गिरें, तब वे भी गिरेंगे, और जब मैं उनको दणड देने लगूंगा, तब वे ठोकर खाकर गिरेंगे, यहोवा का यही वचन है।
16 यहोवा योंभी कहता है, सड़कोंपर खडे होकर देखो, और पूछो कि प्राचीनकाल का अच्छा मार्ग कौन सा है, उसी में चलो, और तुम अपके अपके मन में चैन पाओगे। पर उन्होंने कहा, हम उस पर न चलेंगे।
17 मैं ने तुम्हारे लिथे पहरुए बैठाकर कहा, नरसिंगे का शब्द ध्यान से सुनना ! पर उन्होंने कहा, हम न सुनेंगे।
18 इसलिथे, हे जातियो, सुनो, और हे मण्डली, देख, कि इन लोगोंमें क्या हो रहा है।
19 हे पृय्वी, सुन; देख, कि मैं इस जाति पर वह विपत्ति ले आऊंगा जो उनकी कल्पनाओं का फल है, क्योंकि इन्होंने मेरे वचनोंपर ध्यान नहीं लगाया, और मेरी शिझा को इन्होंने निकम्मी जाना है।
20 मेरे लिथे जो लोबान शबा से, और सुगन्धित नरकट जो दूर देश से आता है, इसका क्या प्रयोजन है? तुम्हारे होमबलियोंसे मैं प्रसन्न नहीं हूँ, और न तुम्हारे मेलबलि मुझे मीठे लगते हैं।
21 इस कारण यहोवा ने योंकहा है, देखो, मैं इस प्रजा के आगे ठोकर खाऊंगा, और बाप और बेटा, पड़ोसी और मित्र, सब के सब ठोकर खाकर नाश होंगे।
22 यहोवा योंकहता है, देखो, उत्तर से वरन पृय्वी की छोर से एक बड़ी जाति के लोग इस देश के विरोध में उभारे जाएंगे।
23 वे धनुष और बछीं धारण किए हुए आएंगे, वे क्रूर और निर्दय हैं, और जब वे बोलते हैं तब मानो समुद्र गरजता है; वे घोड़ोंपर चढ़े हुए आएंगे, हे सिय्योन, वे वीर की नाई सशस्त्र होकर तुझ पर चढ़ाई करेंगे।
24 इसका समाचार सुनते ही हमारे हाथ ढीले पड़ गए हैं; हम संकट में पके हैं; जच्चा की सी पीड़ा हम को उठी है।
25 मैदान में मत निकलो, मार्ग में भी न चलो; क्योंकि वहां शत्रु की तलवार और चारोंओर भय देख पड़ता है।
26 हे मेरी प्रजा कमर में टाट बान्ध, और राख में लोट; जैसा एकलौते पुत्र के लिथे विलाप होता है वैसा ही बड़ा शोकमय विलाप कर; क्योंकि नाश करनेवाला हम पर अचानक आ पकेगा।
27 मैं ने इसलिथे तुझे अपक्की प्रजा के बीच गुम्मट वा गढ़ ठहरा दिया कि तू उनकी चाल परखे और जान ले।
28 वे सब बहुत ही हटी हैं, वे लुतराई करते फिरते हैं; उन सभोंकी चाल बिगड़ी है, वे निरा ताम्बा और लोहा ही हैं।
29 घैंकनी जल गई, शीशा आग में जल गया; ढालनेवाले ने व्यर्य ही ढाला है; क्योंकि बुरे लोग नहीं निकाले गए।
30 उनका नाम खोटी चान्दी पकेगा, क्योंकि यहोवा ने उनको खोटा पाया है।