1 यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,
2 इस स्यान में विवाह करके बेटे-बेटियां मत जन्मा।
3 क्योंकि जो बेटे-बेटियां इस स्यन में उत्पन्न होंऔर जो माताएं उन्हें जनें और जो पिता उन्हें इस देश में जन्माएं,
4 उनके विषय यहोवा योंकहता है, वे बुरी बुरी बीमारियोंसे मरेंगे। उनके लिथे कोई छाती न पीटेगा, न उनको मिट्टी देगा; वे भूमि के ऊपर खाद की नाई पके रहेंगे। वे तलवार और महंगी से मर मिटेंगे, और उनकी लोथें आकाश के पझियोंऔर मैदान के पशुओं का आहार होंगी।
5 यहोवा ने कहा, जिस घर में रोनापीटना हो उस में न जाना, न छाती पीटने के लिथे कहीं जाना और न इन लोगोंके लिथे शोक करना; क्योंकि यहोवा की यह वाणी है कि मैं ने अपक्की शान्ति और करुणा और दया इन लोगोंपर से उठा ली है।
6 इस कारण इस देश के छोटे-बड़े सब मरेंगे, न तो इनको मिट्टी दी जाएगी, न लोग छाती पीटेंगे, न अपना शरीर चीरेंगे, और न सिर मुंड़ाएंगे। इनके लिथे कोई शोक करनेवालोंको रोटी न बाटेंगे कि शोक में उन्हें शान्ति दें;
7 और न लोग पिता वा माता के मरने पर किसी को शान्ति के लिथे कटोरे में दाखमधु पिलाएंगे।
8 तू जेवनार के घर में इनके साय खाने-पीने के लिथे न जाना।
9 क्योंकि सेनाओं का यहोवा, इस्राएल का परमेश्वर योंकहता है, देख, तुम लोगोंके देखते और तुम्हारे ही दिनोंमें मैं ऐसा करूंगा कि इस स्यान में न तो हर्ष और न आनन्द का शब्द सुनाई पकेगा, न दुल्हे और न दुल्हिन का शब्द।
10 और जब तू इन लोगोंसे थे सब बातें कहे, और वे तुझ से पूछें कि यहोवा ने हमारे ऊपर यह सारी बड़ी विपत्ति डालने के लिथे क्योंकहा है? हमारा अधर्म क्या है और हम ने अपके परमेश्वर यहोवा के विरुद्ध कौन सा पाप किया है?
11 तो तू इन लोगोंसे कहना, यहोवा की यह वाणी है, क्योंकि तुम्हारे पुरखा मुझे त्यागकर दूसरे देवताओं के पीछे चले, और उनकी उपासना करके उनको दण्डवत् की, और मुझ को त्याग दिया और मेरी व्यवस्या का पालन नहीं किया,
12 ओर जितनी बुराई तुम्हारे पुरखाओं ने की यी, उस से भी अधिक तुम करते हो, क्योंकि तुम अपके बुरे मन के हठ पर चलते हो और मेरी नहीं सुनते;
13 इस कारण मैं तुम को इस देश से उखाड़कर ऐसे देश में फेंक दूंगा, जिसको न तो तुम जानते हो और न तुम्हारे पुरखा जानते थे; और वहां तुम रात-दिन दूसरे देवताओं की उपासना करते रहोगे, क्योंकि वहां मैं तुम पर कुछ अनुग्रह न करूंगा।
14 फिर यहोवा की यह वाणी हुई, देखो, ऐसे दिन आनेवाले हैं जिन में फिर यह न कहा जाएगा कि यहोवा जो इस्राएलियोंको मिस्र देश से छुड़ा ले आया उसके जीवन की सौगन्ध,
15 वरन यह कहा जाएगा कि यहोवा जो इस्राएलियोंको उत्तर के देश से और उन सब देशोंसे जहां उस ने उनको बरबस कर दिया या छुड़ा ले आया, उसके जीवन की सौगन्ध। क्योंकि मैं उनको उनके निज देश में जो मैं ने उनके पूर्वजोंको दिया या, लौटा ले आऊंगा।
16 देखो, यहोवा की यह वाणी है कि मै बहुत से मछुओं को बुलवा भेजूंगा कि वे इन लोगोंको पकड़ लें, और, फिर मैं बहुत से बहेलियोंको बुलवा भेजूंगा कि वे इनको अहेर करके सब पहाड़ोंऔर पहाडिय़ोंपर से और चट्टानोंकी दरारोंमें से निकालें।
17 क्योंकि उनका पूरा चाल-चलन मेरी आंखोंके साम्हने प्रगट है; वह मेरी दृष्टि से छिपा नहीं है, न उनका अधर्म मेरी आखोंसे गुप्त है। सो मैं उनके अधर्म और पाप का दूना दण्ड दूंगा,
18 क्योंकि उन्होंने मेरे देश को अपक्की घृणित वस्तुओं की लोयोंसे अशुद्ध किया, और मेरे निज भाग को अपक्की अशुद्धता से भर दिया है।
19 हे यहोवा, हे मेरे बल और दृढ़ गढ़, संकट के समय मेरे शरणस्यान, जातिजाति के लोग पृय्वी की चहुंओर से तेरे पास आकर कहेंगे, निश्चय हमारे पुरखा फूठी, व्यर्य और निष्फल वस्तुओं को अपनाते आए हैं।
20 क्या मनुष्य ईश्वरोंको बनाए? नहीं, वे ईश्वर नहीं हो सकते !
21 इस कारण, एक इस बार, मैं इन लोगोंको अपना भुजबल और पराक्रम दिखाऊंगा, और वे जानेंगे कि मेरा नाम यहोवा है।