1 तब मूसा और इस्राएलियोंने यहोवा के लिथे यह गीत गाया। उन्होंने कहा, मैं यहोवा का गीत गाऊंगा, क्योंकि वह महाप्रतापी ठहरा है; घोड़ोंसमेत सवारोंको उस ने समुद्र में डाल दिया है।।
2 यहोवा मेरा बल और भजन का विषय है, और वही मेरा उद्धार भी ठहरा है; मेरा ईश्वर वही है, मैं उसी की स्तुति करूंगा, (मैं उसके लिथे निवासस्यान बनाऊंगा ), मेरे पूर्वजोंका परमेश्वर वही है, मैं उसको सराहूंगा।।
3 यहोवा योद्धा है; उसका नाम यहोवा है।।
4 फिरौन के रयोंऔर सेना को उस ने समुद्र में डाल दिया; और उसके उत्तम से उत्तम रयी लाल समुद्र में डूब गए।।
5 गहिरे जल ने उन्हें ढांप लिया; वे पत्यर की नाईं गहिरे स्यानोंमें डूब गए।।
6 हे यहोवा, तेरा दहिना हाथ शक्ति में महाप्रतापी हुआ हे यहोवा, तेरा दहिना हाथ शत्रु को चकनाचूर कर देता है।।
7 और तू अपके विरोधियोंको अपके महाप्रताप से गिरा देता है; तू अपना कोप भड़काता, और वे भूसे की नाईं भस्म हो जाते हैं।।
8 और तेरे नयनोंकी सांस से जल एकत्र हो गया, धाराएं ढेर की नाईं यम गईं; समुद्र के मध्य में गहिरा जल जम गया।।
9 शत्रु ने कहा या, मैं पीछा करूंगा, मैं जा पकडूंगा, मैं लूट के माल को बांट लूंगा, उन से मेरा जी भर जाएगा। मै अपक्की तलवार खींचते ही अपके हाथ से उनको नाश कर डालूंगा।।
10 तू ने अपके श्वास का पवन चलाया, तब समुद्र ने उनको ढांप लिया; वे महाजलराशि में सीसे की नाई डूब गए।।
11 हे यहोवा, देवताओं में तेरे तुल्य कौन है? तू तो पवित्रता के कारण महाप्रतापी, और अपक्की स्तुति करने वालोंके भय के योग्य, और आश्चर्य कर्म का कर्त्ता है।।
12 तू ने अपना दहिना हाथ बढ़ाया, और पृय्वी ने उनको निगल लिया है।।
13 अपक्की करूणा से तू ने अपक्की छुड़ाई हुई प्रजा की अगुवाई की है, अपके बल से तू उसे अपके पवित्र निवासस्यान को ले चला है।।
14 देश देश के लोग सुनकर कांप उठेंगे; पलिश्तियोंके प्राण के लाले पड़ जाएंगे।।
15 एदोम के अधिपति व्याकुल होंगे; मोआब के पहलवान यरयरा उठेंगे; सब कनान निवासियोंके मन पिघल जाएंगें।।
16 उन में डर और घबराहट समा जाएगा; तेरी बांह के प्रताप से वे पत्यर की नाई अबोल होंगे, जब तक, हे यहोवा, तेरी प्रजा के लोग निकल न जाएं, जब तक तेरी प्रजा के लोग जिनको तू ने मोल लिया है पार न निकल जाएं।।
17 तू उन्हें पहुचाकर अपके निज भागवाले पहाड़ पर बसाएगा, यह वही स्यान है, हे यहोवा जिसे तू ने अपके निवास के लिथे बनाया, और वही पवित्रस्यान है जिसे, हे प्रभु, तू ने आप स्यिर किया है।।
18 यहोवा सदा सर्वदा राज्य करता रहेगा।।
19 यह गीत गाने का कारण यह है, कि फिरौन के घोड़े रयोंऔर सवारोंसमेत समुद्र के बीच में चले गए, और यहोवा उनके ऊपर समुद्र का जल लौटा ले आया; परन्तु इस्राएली समुद्र के बीच स्यल ही स्यल पर होकर चले गए।
20 और हारून की बहिन मरियम नाम नबिया ने हाथ में डफ लिया; और सब स्त्रियां डफ लिए नाचक्की हुई उसके पीछे हो लीं।
21 और मरियम उनके साय यह टेक गाती गई कि :- यहोवा का गीत गाओ, क्योंकि वह महाप्रतापी ठहरा है; घोड़ोंसमेत सवारोंको उस ने समुद्र में डाल दिया है।।
22 तब मूसा इस्राएलियोंको लाल समुद्र से आगे ले गया, और वे शूर नाम जंगल में आए; और जंगल में जाते हुए तीन दिन तक पानी का सोता न मिला।
23 फिर मारा नाम एक स्यान पर पहुंचे, वहां का पानी खारा या, उसे वे न पी सके; इस कारण उस स्यान का नाम मारा पड़ा।
24 तब वे यह कहकर मूसा के विरूद्ध बकफक करने लगे, कि हम क्या पीएं ?
25 तब मूसा ने यहोवा की दोहाई दी, और यहोवा ने उसे एक पौधा बतला दिया, जिसे जब उस ने पानी में डाला, तब वह पानी मीठा हो गया। वहीं यहोवा ने उनके लिथे एक विधि और नियम बनाया, और वहीं उस ने यह कहकर उनकी पक्कीझा की,
26 कि यदि तू अपके परमेश्वर यहोवा का वचन तन मन से सुने, और जो उसकी दृष्टि में ठीक है वही करे, और उसकी सब विधियोंको माने, तो जितने रोग मैं ने मिस्रियोंपर भेजा है उन में से एक भी तुझ पर न भेजूंगा; क्योंकि मैं तुम्हारा चंगा करनेवाला यहोवा हूं।।
27 तब वे एलीम को आए, जहां पानी के बारह सोते और सत्तर खजूर के पेड़ थे; और वहां उन्होंने जल के पास डेरे खड़े किए।।